रंगनाथ सिंह-
‘अमर उजाला’ ने पिछले कुछ सालों में हिन्दी को समृद्ध करने के लिए कई उल्लेखनीय कार्य किये हैं। अमर उजाला काव्य तो अपनी तरह का अनूठा प्रयोग है। अमर उजाला शब्द सम्मान के तहत पाँच-पाँच लाख के दो और एक-एक लाख के चार पुरस्कार दिये जाते हैं। इनमें एक पुरस्कार हिन्दी से इतर भारतीय भाषा के लिए है।
जाहिर है कि ये सारी धनराशि हिन्दी लेखकों के हिस्से की है। हिन्दी लेखन को दरिद्र उन लोगों ने बनाया है जिन्होंने हिन्दी को कविता-कहानी तक समेटकर रख दिया है। हिन्दी के सभी पुरस्कारों को कविता-कहानी की जंजीर से आजाद कराने की जरूरत है। तभी हिन्दी भाषा में किये गये मौलिक लेखन को बढ़ावा मिलेगा।
विभिन्न विधाओं में हिन्दी में लिखने वालों में इन सभी पुरस्कारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने की भी जरूरत है ताकि अधिक से अधिक लोग प्रविष्टियाँ भेजें। इन पुरस्कारों के वितरण में पारदर्शिता बरतने पर जोर देना, जागरूकता बढ़ाने से भी ज्यादा जरूरी है। ऐसी अश्लीलताओं से परहेज करना होगा कि एक ही आदमी बायें हाथ से किताब छापे और दायें हाथ से उसे पुरस्कार दे दे।
हाल ही में अमर उजाला की एक नई पहल पर नजर पड़ी। नीचे जो विज्ञापन दिख रहा है उसके अनुसार अमर उजाला दो मिनट तकी शॉर्टफिल्म के लिए पाँच लाख का एक और पाँच अन्य को एक-एक लाख रुपये का पुरस्कार देगा।
अमर उजाला की इस पहल के नतीजे का इन्तजार रहेगा। देखते हैं, पाँच लाख और एक लाख रुपये वाली शॉर्टस कैसी बनती हैं।
आवेदन भेजने की आखिरी तिथि है- 10 सितम्बर
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