Connect with us

Hi, what are you looking for?

दिल्ली

थानवी ने कहा – गाली देकर केजरीवाल ने खुद को छोटा कर लिया, योगेंद्र का धरना खत्म, आप की हंगामी मीटिंग शुरू

जनसत्ता के संपादक ओम थानवी ने अपने फेसबुक वॉल पर आज लिखा कि.. ‘माना कि गुस्सा आ सकता है, पर आपसी गलतफहमियां लगता है चरम पर पहुँच गईं। दोनों खेमे जरूर कहीं न कहीं सीमाएं लांघ गए होंगे, पर उन्हें निपटा कर पार्टी को लाइन पर ले आना ही नेतृत्व की सफलता होता।

<p style="margin-top: 0px; margin-bottom: 6px; color: #141823; font-family: helvetica, arial, 'lucida grande', sans-serif; line-height: 19.3199996948242px;">जनसत्ता के संपादक ओम थानवी ने अपने फेसबुक वॉल पर आज लिखा कि.. 'माना कि गुस्सा आ सकता है, पर आपसी गलतफहमियां लगता है चरम पर पहुँच गईं। दोनों खेमे जरूर कहीं न कहीं सीमाएं लांघ गए होंगे, पर उन्हें निपटा कर पार्टी को लाइन पर ले आना ही नेतृत्व की सफलता होता।</p>

जनसत्ता के संपादक ओम थानवी ने अपने फेसबुक वॉल पर आज लिखा कि.. ‘माना कि गुस्सा आ सकता है, पर आपसी गलतफहमियां लगता है चरम पर पहुँच गईं। दोनों खेमे जरूर कहीं न कहीं सीमाएं लांघ गए होंगे, पर उन्हें निपटा कर पार्टी को लाइन पर ले आना ही नेतृत्व की सफलता होता।

 

Advertisement. Scroll to continue reading.

‘बहरहाल कोई गाली सहज या संसदीय है या नहीं, यह मुद्दा नहीं है; दरअसल स्वराज की बात के साथ यह भाषा सुहाती नहीं; इसलिए मेरी तरह बहुत मानते होंगे (शायद उनके मित्र और शुभेच्छु भी) कि इससे अरविन्द ने खुद को कुछ छोटा किया है। अपनी भाषा और बरताव की फिसलन मान लेते, तब भी भला था। समस्या से खुद दो-चार होते, प्यादों के जरिए नहीं। पर असल समस्या अहंकार की है, जिससे दूसरों को आगाह करना आसान है, खुद निर्वाह करना मुश्किल।

‘अगर सर्वोच्च नेता के नाते अरविन्द अपनी देर से सुधारते भी हैं तो उसका क्या लाभ होगा? स्टिंग क्यों किया या दिखाया गया, यह उतना अहम नहीं; राजनीति में यह धंधा सदा चलता रहेगा। अच्छी सरकार चलाना एक बात है, पार्टी अच्छे से चलाना दूसरी – ‘अच्छे से’ में दुश्मनों, षड्यंत्रकारियों से निपटने के लिए भी कुछ नए तरीके खोजने-आजमाने होते हैं। यह भाषा, ये तरीके बहुत बोदे हैं। सब ऐसा करते हैं कहने से काम नहीं चलेगा। ‘आप’ को अलग कैसे जाहिर और साबित करेंगे – निरंतर कसौटी यह है। यह टूट कोई सबक देगी या मौजूदा तौर-तरीकों के बीच सिलसिला बन जाएगी? वक्त बताएगा।’

Advertisement. Scroll to continue reading.

उधर, आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की दिल्ली में बैठक शुरू हो चुकी है। इससे पहले बैठक स्थल के बाहर पार्टी के नेता योगेंद्र यादव के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी और धक्कामुक्की हुई। वहीं योगेंद्र यादव धरने पर बैठ गए। बाद में धरना ख़त्म कर वह बैठक में शामिल होने चले गए। वह यह कहते हुए धरने पर बैठे थे कि जब तक उन सब लोगों को राष्ट्रीय परिषद की बैठक में जाने नहीं दिया जाता जिनके पास न्योता है, तब तक वह धरने पर रहेंगे।

योगेंद्र ने अपने ट्विटर पर पार्टी के लोकपाल एडमिरल (सेवानिवृत्त) एल रामदास की एक चिट्ठी डाली है, जिसमें रामदास ने कहा है कि उन्हें बैठक में आने से मना कर दिया गया है। रामदास बैठक में हिस्सा लेने के लिए महाराष्ट्र से दिल्ली आए हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement