अमर उजाला के गढ़वाल संस्करण में तीन साल पुरानी फोटो को काट कर पिछले दो सालों से लगातार नया फोटो बता कर छापा जा रहा है जबकि यह फोटो पूर्व में अमर उजाला में कार्यरत संवाददाता की भेजी हुई है जो कि अब संस्थान में नहीं है. इस बारे में उक्त संवाददाता द्वारा अपने फेसबुक पेज पर अपडेट भी किया गया है. इस संबंध में सूरज का फेसबुक स्टेटस इस प्रकार है…
सूरज कपरुवान : भाई साहब अगर फोटो की इतनी ही कमी है तो सीधे मुझे बताइए ना,क्यूँ बार बार पुराने फोटो को काट छांट कर पाठकों को मूर्ख बना रहे हो. नए फोटो दूंगा एकदम ताजे लेकिन मेरे दो साल पहले भेजे फोटो को कितने बार अखबार में चिपकाओगे. इस फोटो के दायें हिस्से को काट कर पिछले साल 16जनवरी को लगाया था अब ठीक एक साल बाद फिर से वही फोटो और इस बार बाएं हिस्से को काट कर लगा दिया…अरे भाई जी कब तक एक ही फोटो से काम चलाओगे ? शायद अगले साल बीच का हिस्सा काट कर फिर से अख़बार में चिपका दो…….लेकिन उसके बाद? आप लोगो को बता दूँ कि पिछले डेढ़ साल से अमर उजाला में मेरे भेजे हुए फोटो चार बार लग चुके हैं. बात तो वैसे ख़ुशी की है लेकिन हो इसलिए नहीं रही क्यूंकि काम अच्छा न होना दिखा कर मुझे अमर उजाला छोड़ने के लिए कहा गया था जो कि मैंने सहर्ष स्वीकार कर भी लिया था……. लेकिन यह सवाल आज मैं अख़बार के संपादक महोदय से पूछना चाहूँगा कि अगर मेरा काम इतना ही ख़राब तो क्यों आज भी दो साल पुराने फोटो नए दिखा कर अख़बार में लगाये जा रहे हैं? लगता है फोटो कुछ ज्यादा ही पसंद आगये हैं………….इस फोटो में बीच वाला फोटो मेरे द्वारा दो साल पहले अमर उजाला को भेजा गया फोटो है जबकि दायीं और की कटिंग 16 जनवरी 2014 व बायीं ओर की कटिंग 23 जनवरी 2015 की है……. दोनों ही बार मेरे पुराने फोटो को काट कर लगाया गया है…. शायद आप लोगों को कुछ समझ आये…..
सोलह जनवरी 2014 को इस फोटो के दायें हिस्से को काट कर अख़बार में लगाया गया और इसे “चमोली जिले में बुधवार को बर्फ से ढकी बद्रीनाथ की पहाड़ियां” केप्सन के साथ लगाया गया. जोशीमठ के सामने की पहाड़ियों को पैंतालीस किलोमीटर दूर बद्रीनाथ धाम का दिखा दिया.
हद तो तब हो गई जब फिर से फोटो के बाएं हिस्से को काट कर 23 जनवरी 2015 को फिर से अमरउजाला में “जोशीमठ की समीप की चोटियों ने ओढ़ी बर्फ की चादर” केप्सन के साथ लगा दिया. एक ही फोटो कैसे बार बार अख़बार में काट छांट कर लगाया जा रहा है और इसकी खबर न तो डेस्क में बैठे प्राणियों को लगा रही है न ही संपादक महोदय को. या फिर यह खेल सबकी मर्जी से खेला जा रहा है. लेकिन जो भी हो इस कारण पाठकों को पुराना फोटो नया दिखा कर परोसा जा रहा है.
Comments on “तीन साल पुरानी फोटो को कांट-छांट के बाद नया बताकर छाप रहा है अमर उजाला”
vijay tripath yek yogy sampak hain, unke chamche unse bhi yogy, nhi to yek hi foto sree badarinath our joshimath ka kaise bna dete. teen sal tak foto sambhal kar rakhna kam karigari nhi hai. usase bhi bri parakh hai ki aap jis pitrakar k kam se asantusht ho amar ujala se hata rahe hain, uski foto ka 4 bar our yek hi foto ka do bar istmal kar rahe hain.
Sujaj bhai ne thik likha hai ki agle sal bich ka foto kat sakte hai.wah re no one.