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सुख-दुख

बेहतरीन फोटो जर्नलिस्ट बापी एक शानदार इंसान और जिंदादिल सहकर्मी थे!

वाइएन झा-

बापी, लोग इसी नाम से उसे जानते-पहचानते थे। 90 के दशक में रांची की सड़कों पर सबसे तेज बाइक चलानेवाला इंसान बापी ही था। कई लोग तो उसकी बाइक पर बैठने से भी डरते थे। यामहा की 350 सीसी वाली बाइक को वह किसी स्टंटबाज की तरह घुमाता था। बाद में उसने कहीं से एक विलिस जीप खरीदी, जो एक लीटर पेट्रोल में शायद पांच किलोमीटर चलती थी। उस समय प्रभात खबर में प्रकाशित होनेवाली एक फोटो के बदले उसे 20 रुपये मिलते थे, लेकिन वह फोटो खींचने के लिए उसी जीप से जाया करता था। उस जमाने में लोग विल्स फिल्टर नेवी कट सिगरेट पीनेवाले को ईर्ष्या की निगाह से देखते थे, लेकिन बापी का खर्च हर दिन तीन से चार पैकेट नेवी कट था।

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बापी के साथ न जाने कितनी यादें जुड़ी हैं। वह एक शानदार इंसान तो था ही, बेहतरीन फोटोग्राफर भी था। साहसी भी उतना ही था। एक बार कश्मीर के दौरे पर भेजा गया, तो बिना पासपोर्ट-वीसा के आजाद कश्मीर के मुजफ्फराबाद घूम कर आ गया। महिला आयोग की तत्कालीन अध्यक्ष मोहिनी गिरी कांके स्थित रिनपास के दौरे पर गयीं, तो वह भी किसी तरह उस टीम में शामिल हो गया। अंदर की हृदयविदारक तस्वीरें प्रकाशित हुईं, तो अगले दिन मोहिनी गिरी प्रेस कांफ्रेंस से प्रभात खबर के संवाददाताओं को भला-बुरा कहते हुए बाहर निकालने पर उतारू हो गयीं। नतीजा प्रेस कांफ्रेंस ही रद्द हो गया। पुरुलिया हथियार कांड के कवरेज में बापी ने ऐसी-ऐसी तस्वीरें खींची, जो इतिहास बन गयीं। रांची में बिजली के टावर गिर गये थे और पांच दिन से रांची अंधेरे में थी। कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही थी।

एकीकृत बिहार के बिजली मंत्री बिजेंद्र राय रांची आये। युवा कांग्रेसियों ने उन्हें सर्किट हाउस में बंद कर दिया और बाहर धरना देने लगे। सुधीर प्रसाद रांची के डीसी और सीआर कासवान एसएसपी थे, अरविंद पांडेय सिटी एसपी। तीनों अधिकारी देर रात सर्किट हाउस पहुंचे और युवा कांग्रेसियों को जबरन ले जाने लगे। प्रभात खबर की टीम वहां मौजूद थी। बापी भी था। उसने फोटो खींची, तो अधिकारी नाराज हो गये। उसका कैमरा छीन लिया। बाद में एफआइआर भी किया। लालू यादव सीएम थे। वह रांची आये, तो पत्रकारों की टीम उनसे मिली। बापी का कैमरा वापस मिल गया, लेकिन एफआइआर के कारण उसे सीजेएम की अदालत में सरेंडर करना पड़ा। तत्काल जमानत भी मिल गयी, छह महीने की औपबंधिक जमानत। बापी की जमानत मैंने ली। बदले में अपने बजाज स्कूटर का ओनर बुक अदालत में जमा कर दिया। हर छमाही एक बार अदालत में उपस्थित होकर मैं उसकी जमानत लेता रहा। बाद में एक बार उसने बताया कि केस खत्म हो गया है। अपने पेशे के प्रति इतना समर्पित कि अपनी शादी से आधे घंटे पहले तक वह प्रेस में फोटो पहुंचा रहा था।

बेहतरीन सहकर्मी के रूप में बापी को रांची का हर मीडियाकर्मी याद करता है। जब कभी किसी सहकर्मी को मदद की जरूरत होती थी, बापी हमेशा आगे रहता था। खिलंदड़ इतना कि सिगरेट में मिर्च के पाउडर भर कर सहयोगियों को पिलाता था। कभी एक साथ दर्जन भर अंडा खाने की शर्त लगाता, तो कभी एक मिनट में तीन थिन आरारोट बिस्किट बिना पानी के खानेवाले से शर्त लगाता। पेशेवर जिंदगी में उसे कभी किसी ने उदास या नाराज नहीं देखा। मुझे याद नहीं कि कभी किसी से उसका झगड़ा या मनमुटाव हुआ था। प्रतिद्वंद्वी फोटोग्राफरों की भी वह खूब मदद करता था। वह डिजिटल युग नहीं था, इसलिए हर फोटो का पहले निगेटिव बना कर उसको प्रिंट करना होता था। बापी को कभी किसी ने हड़बड़ी में या परेशान हाल नहीं देखा। वह अपना काम पूरी शिद्दत और एकाग्रता से करता, हंसी-ठिठोली करता और काम खत्म।
इस जिंदादिल इंसान और बेहतरीन फोटो जर्नलिस्ट की अब यादें ही शेष हैं। नमन।

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श्रीनिवास- एकदम सटीक चित्रण. जिंदादिल, लगभग खिलंदड़ जैसा, मगर काम के प्रति गंभीर. ऐसे लोग अपवाद ही होते हैं. कल आपने यह दुखद सूचना दी, तो यकीन करने का मन नहीं हुआ. लेकिन निधन से जितना दुख नहीं हुआ, उससे कहीं अधिक यह जान कर हुआ कि अंतिम दिनों में वह बिल्कुल अकेला हो गया था. इतनी रईसी से जी चुका आदमी निराश्रित जी रहा था. अफसोस कि हम लोग उसकी कोई खोज खबर नहीं रख सके. आपने बापी के बहुत तेज बाइक चलाने का जिक्र किया है, तो मुझे एक बार की घटना याद आ गयी. मैंने सुन रखा था कि यदि कोई पीछे बैठा हो तो वह ‘बदमाशी’ से तेजी से चलते हुए अचानक ब्रेक लगा देता. एकाध शायद गिर भी गए थे. बापी अपनी छह गेयर की यामहा गाड़ी स्त्तार्ट कर रहा था. उसी समय मुझे किसे काम से प्रभात खबर दफ्तर से रोड तक जाना था. उसने कहा, बैठ जाइए. मैंने कहा- नहीं, बाइक मैं चलाऊंगा. सुने हैं तुम गिरा देते हो. उसने हंसते हुए कहा- ठीक है, आप ही चलाइये. वह पीछे बैठा. रोड तक पहुंचने से पहले ही बोला- जरा स्पीडोमीटर देख लीजिये. गाड़ी 60 किमी की रफ़्तार में थी. मुझे पता ही नहीं चला कि इतनी जल्दी इतनी रफ़्तार कैसे हो गयी.उसके घर भी जाने का मौका मिला. एकाध बार वह भी घर आया. एक बार किसी उभरती महिला नेत्री के साथ. बापी उसे प्रमोट कर रहा था.आपने जो किस्से बताये, उनमें से कुछ भूल भी चुका था. आपका धन्यवाद. पता नहीं प्रभात खबर ने उसे किस रूप में याद किया. प्रभात खबर से नाता टूटने (अवकाश प्राप्ति) के बाद बापी सहित अनेक सहकर्मियों से संपर्क छूटता गया. लेकिन बापी की जिंदादिली हमेशा याद रहेगी. विदा वापी. ऐसे नहीं जाना था!

मूल खबर-

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कद्दावर फोटोग्राफर की अज्ञात व्यक्ति के रूप में मौत

1 Comment

1 Comment

  1. फैसल खान

    September 15, 2023 at 7:50 pm

    विनम्र श्रद्धांजलि एक महान फोटोग्राफर और शानदार जिंदादिल इंसान को

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