भगवा वस्त्रधारी मुख्यमंत्री का प्रयोग पहले-पहल मध्यप्रदेश में हुआ था. भारतीय जनता पार्टी ने ही दिसंबर-2003 के चुनाव उमा भारती को बतौर मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट किया और बनाया भी. तब उमा भारती को लगा कि मध्यप्रदेश में पार्टी उनकी वजह से जीती और यह एहसास और अहंकार उन्हें पार्टी से दूर कर गया. वे एक साल भी मुख्यमंत्री नहीं रह पाईं और अदालती फैसले की आड़ लेकर हटा दी गईं.
जिस प्रकार अर्जुन सिंह ने मुख्यमंत्री से पंजाब का राज्यपाल बनाए जाने पर हाईकमान की पसंद माधवराव सिंधिया की जगह कमजोर मानकर मोतीलाल वोरा को मुख्यमंत्री बनवाया था, ठीक उसी अंदाज में उमा भारती ने पार्टी की पसंद शिवराजसिंह चौहान की बजाय बाबूलाल गौर को गद्दी दिलवाई थी. मध्य प्रदेश में भगवा मुख्यमंत्री का प्रयोग फ्लॉप होने के 14 साल बाद पार्टी ने उत्तर प्रदेश में शानदार जीत के बाद फिर भगवा वस्त्रधारी योगी आदित्यनाथ का दांव चला है. वे जबसे मुख्यमंत्री बने हैं मीडिया में छाए हुए हैं और चौबीस घंटे चलने वाले न्यूज़ चैनलों के प्रिय पात्र बने हुए हैं.
इसके बावजूद इंडियन एक्सप्रेस जैसे अख़बार शहीद के घर उनके जाने से पहले वहां की बैठक को एसी, सोफा और कालीन से सज्जित करने और उनसे मिलने आने से पहले मुसहर जाति के लोगों को साफ सफाई के लिए साबुन और शेम्पू बांटने को खबर बनाते छापते रहे हैं. अब इंडियन एक्सप्रेस ने खबर दी है कि साबुन शेम्पू बांटने की मानसिकता पर विरोध जताने और साबुन की सवा सौ किलो की बट्टी योगी को भेंट देने जा रहे अहमदाबाद के एक संगठन के लोगों को झाँसी में धर लिया गया.
तीन जुलाई के अखबारों में योगीजी के यूपी के बारे में और कई चिंताजनक खबरें छपी हैं. एक दर्दनाक खबर दुष्कर्म पीड़ित महिला की है जिस पर चौथी बार तेज़ाब से हमला किया गया है. हैरान करने वाली बात है की पिछले २३ मार्च को जब उसे जबरदस्ती तेज़ाब पिलाया गया था तब योगीजी अस्पताल में मिले थे और उन्हें पुलिस सुरक्षा मिली थी. दूसरी खबर बुलंदशहर से डीएसपी श्रेष्ठा सिंह के तबादले की है.
ये वही श्रेष्ठा सिंह हैं जिन्होंने ट्रेफिक नियम तोड़ने पर भाजपा नेताओं के चालान काट कर खूब सुर्खियाँ बटोरी थीं. उन्होंने अपने तबादले पर ख़ुशी का इजहार करते हुए फेसबुक पर क्या खूब लिखा है-जहाँ भी जाएगा रोशनी लुटाएगा,चिराग का अपना कोई मकाँ नहीं होता.! एक खबर योगी के मंत्री ओमप्रकाश राजभर की घोषणा से संबंधित है. उन्होंने कलेक्टर के तबादले को लेकर गाजीपुर कलेक्टोरेट में धरना देने का ऐलान किया..
इन तमाम चीजों को देखते हुए लगता है कि भगवा वस्त्रधारी को सीएम बनाने का प्रयोग एमपी के बाद यूपी में भी फेल हो सकता है.
लेखक श्रीप्रकाश दीक्षित भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार हैं.