रवीश कुमार-
मैंने कुछ दिन पहले दैनिक भास्कर की तल्ख़ी भरी आलोचना की थी। होनी चाहिए। तब भी लिखा था कि इस अख़बार के पास एक से एक पत्रकार है। आज इस अख़बार ने 23000 करोड़ रुपए के घोटाले की ख़बर छापी है। नई जानकारी जोड़ी है। शानदार।
भास्कर ने आज फ्रंट पेज पर जो इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट छापी है वह मोदी सरकार की सारी पोल खोल देती है
गिरीश मालवीय-
भाग गए न सारे आरोपी ! मोदी सरकार सारे बड़े घोटालेबाजों को सेफ पैसेज देकर देश से रवाना कर देती हैं यह बात एक बार फिर से सिद्ध हो गईं हैं ……देश का सबसे बड़ा बैंकिंग लोन स्कैम के आरोपी FIR दर्ज होने से पहले ही देश छोड़कर फरार हो गए हैं सूत्रों के अनुसार ऋषी अग्रवाल सिंगापुर भाग गया है
सांप निकल गया लकीर पीटते रहे की कहावत चरितार्थ करते हुए CBI ने एबीजी शिपयार्ड के मुख्य आरोपियों के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी किया है।
लुकआउट सर्कुलर किसी आरोपी को एयरपोर्ट और अन्य तरीकों से देश की सीमा से बाहर जाने से रोकने के लिए जारी किया जाता है। लेकिन भारतीय स्टेट बैंक ने तो 2019 में मे ही ऋषी अग्रवाल के खिलाफ वर्ष 2019 में लुक आउट नोटिस जारी करवा चुकी थी…….
भास्कर ने आज पत्रकारिता के मूल्यों का निर्वाहन करते हुए आज फ्रंट पेज पर जो इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट छापी हैं वह मोदी सरकार की इस केस में की गई हीला- हवाली की सारी पोल खोल देती है इस लेख में बताया गया है कि यह मामला तो 2018 में ही डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल अहमदाबाद के सामने आ गया था। तब देना बैंक, ICICI बैंक और SBI की 3 अलग-अलग शिकायतों पर 3 अलग-अलग फैसले दिए गए थे।
देना बैंक के पहले फैसले ट्रिब्यूनल ने 27 दिसंबर 2018 को ब्याज (सालाना 12.7% की दर से) सहित 35 हजार करोड़ रु. रिकवरी का आदेश दिया था।
दूसरे फैसले में ICICI बैंक द्वारा दर्ज कराए गए मामले पर ट्रिब्यूनल ने 2 अक्टूबर 2018 को आदेश दिया कि जिम्मेदारों से क्रमश: 4503.94 करोड़ रु. और 174.7 करोड़ रु. दो महीने के अंदर वसूले जाए
12 अप्रैल 2018 को SBI ने भी ट्रिब्यूनल में केस कराया था। इस पर आदेश दिया गया था कि ऋषि अग्रवाल से 2510 करोड़ रु. वसूले जाएं
इन तीनों फैसलों मे यह भी कहा था कि रिकवरी न हो सके तो बैंक कंपनी की चल-अचल संपत्ति बेचकर वसूली करे।
अगर इतने स्पष्ट आदेश थे तो कार्यवाही क्यो नही की गई ? 2018 से 2022 केसे हो गया
यह भी झूठ हैं कि 2014 के बाद ऋषि अग्रवाल को नया लोन नहीं दिया गया ….इसी ख़बर मे कहा गया है कि 31 मार्च 2016 को ऋषि अग्रवाल ने 2.66 लाख करोड़ रु. की चल-अचल संपत्ति बताकर 1935 करोड़ का लोन लिया था। और बैंकों से लिए लोन को करार के अनुसार चुकाने के समझौते भी किए,
इन सारे कर्ज को 2017 में एनपीए घोषित कर दिया गया। सबसे बड़ा सवाल यही है कि देश के सबसे बड़े बैंकिंग घोटाले में मोदी सरकार 4 साल तक मुंह में दही जमाकर बैठी क्यों रही