भोपाल/लखनऊ : अपराध करने के बाद सरकारी अफसर किस तरह से अपनी पीठ थप-थपाते हैं, यदि यह जानना है तो केंद्रीय व्यावसायिक शिक्षा संस्थान के संयुक्त निदेशक आरबी शिवगुड़े की बातचीत का आडियो टेप सुनना होगा। इस आडियो टेप से पता चलता है कि डेढ़ साल पहले उन्होंने किस तरह से रिश्वत लेने के मामले में आरोपी को संस्थान में नियुक्त कर दिया था। जब इस बात की पोल खुली तो उन्होंने बैकडेट में इस्तीफा लेकर मामले को दबा दिया। डेढ़ साल बाद अपनी पीठ थप-थपा रहे अधिकारी का आडियो टेप हाथ लगा है।
दरअसल कोई डेढ़ साल पहले केंद्रीय व्यावसायिक शिक्षा संस्थान में संविदा भर्तियां हुई थीं, जिसमें मीडिया परामर्शदाता, असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए थे। इसमें अनेक आवेदन प्राप्त हुए थे। इन आवेदनकर्ताओं में से एक लखनऊ के प्रभु झिंगरन का आवेदन भी शामिल था। जिस दिन आवेदनकर्ताओं को साक्षात्कार के लिए बुलाया गया, उस दिन प्रभु झिंगरन भोपाल नहीं आ सके। साक्षात्कार लेने वाली समिति ने संयुक्त निदेशक आरबी शिवगुड़े के निर्देश पर साक्षात्कार निरस्त कर दिए।
निरस्त करने का कारण बताया कि एक भी आवेदनकर्ता पद के लिए उपयुक्त नहीं था। पुन: साक्षात्कार हुआ और प्रभु झिंगरम की नियुक्ति कर दी गई। प्रभु झिंगरन तीन दिन संस्थान में कार्य करते हुए दिखाई दिए। इसके बाद वह लखनऊ चले गए। जब वह कई दिनों तक संस्थान में कार्यस्थल पर दिखाई नहीं दिए तो संयुक्त निदेशक से उनके संबंध में पूछा गया। निदेशक ने कहा कि प्रभु लखनऊ से ही काम कर रहे हैं।
इसके बाद जब यह खबर सामने आई कि 10 साल पहले एक मामले में प्रभु झिंगरन को सीबीआई विशेष न्यायालय ने सजा सुना दी है, तब आनन-फानन में संयुक्त निदेशक आरबी शिवगुड़े ने उनसे बैकडेट में इस्तीफा ले लिया। इस इस्तीफे में प्रभु ने वेतन नहीं देने की भी बात लिखी। इसकी जानकारी मुख्यालय एनसीआरटीई को नहीं दी गई। इस जानकारी को छुपा कर अवैध नियुक्ति मामले में उस समय संयुक्त निदेशक शिवगुड़े ने लाभ लिया।
एक आडियो टेप में संयुक्त निदेशक आरबी शिवगुड़े अपनी करतूत खुद ही बयान कर रहे हैं। उन्होंने बताया है कि एक अखबार में प्रकाशित खबर के बाद उन्होंने तत्काल प्रभु झिंगरन को फोन लगाया। उस समय तक उनकी जमानत हो गई थी। फोन पर संयुक्त निदेशक ने कहा कि वह उनकी नियुक्ति के मामले में उलझ गए हैं, क्या किया जाए, तब प्रभु ने उधर से कहा कि डोंट-वरी मैं बैकडेट में अपना इस्तीफा आपको भेज देता हूं, जिसमें मैं, वेतन नहीं चाहिए भी लिखता हूं। इसी बैक डेट के इस्तीफे की वजह से संयुक्त निदेशक आरबी शिवगुड़े उस समय बच गए थे।
संयुक्त निदेशक शिवगुड़े के साथ प्रभु झिंगरन अपने संबधों के कारण नियुक्ति के प्रति इस सीमा तक आश्वस्त थे कि केंद्रीय व्यावसायिक शिक्षा संस्थान द्वारा उनकी मीडिया परामर्शदाता के रूप में नियुक्ति के पूर्व, संस्थान द्वारा आयोजित उनकी पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में उन्होंने मंच से खुलकर बोला कि वे संस्थान में भविष्य में क्या-क्या करेंगे।
आखिर, संयुक्त निदेशक रिश्वत लेने वाले प्रभु झिंगरन पर इतने मेहरबान क्यों थे? यदि संस्थान को मीडिया परामर्शदाता के रूप में प्रभु की ही नियुक्ति करना थी तो पद का विज्ञापन और साक्षात्कार क्यों लिए गए। दरअसल संयुक्त निदेशक आरबी शिवगुड़े और सीबीआई द्वारा रिश्वत के आरेाप में गिरफ्तार किए प्रभु झिंगरन के बीच गहरी दोस्ती है। दोनों एनआईटीटीईआर भोपाल में एक साथ दो-तीन साल पदस्थ थे। दोनों के बीच नजदीकी संबध होने के बाद भी संयुक्त निदेशक शिवगुड़े को प्रभु के रिश्वत मामले की जानकारी कैसे नहीं हो सकती?
एक सजायाफ्ता अपराधी और सरकारी अफसर की सांठगांठ देखिए कि बैक डेट में इस्तीफा देने पर प्रभु को ये अफसर भला आदमी बता रहा है। आरबी शिवगुड़े इस ऑडियो टेप में यह कहते सुनाई दे रहे हैं कि प्रभु बहुत भला आदमी है। उसने बैकडेट में इस्तीफा दिया और वेतन भी नहीं लेने को लिखा।
आरबी शिवगुड़े भर्तियों के मामले में नियमों का पालन नहीं करते हैं। उनकी भूमिका शुरू से ही संदिग्ध रही है। हाल ही में इसी पद मीडिया परामर्शदाता के लिए साक्षात्कार के लिए चयन हुए आवेदनकर्ताओं के नामों में साक्षात्कार के ठीक पहले चंद्रिका पांडे नाम जोड़ा गया। जबकि चयन सूची में यह नाम नहीं था।
वर्ष 2004 में प्रभु झिंगरन लखनऊ दूरदर्शन केंद्र के निदेशक थे, इस दौरान उन्होंने धारावाहिक निर्माता विशाल चतुर्वेदी से चैनल पर उनका धारावाहिक प्रसारित करने के लिए दो लाख रुपए रिश्वत मांगी थी। इसकी शिकायत विशाल चतुर्वेदी ने सीबीआई से की थी। विशाल की शिकायत पर सीबीआई ने प्रभु झिंगरन को उनको डालीबाग कालोनी स्थित उनके आवास से दो लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया। इस मामले में ही प्रभु को 17 फरवरी 2014 को सीबीआई की विशेष आदालत ने तीन साल की सजा और एक लाख दस हजार जुर्माना अर्थदंड का फैसला सुनाया था। इस दौरान ही प्रभु झिंगरन भोपाल स्थित केन्द्रीय व्यवसायिक शिक्षा संस्थान में पदस्थ थे और बकौल संस्थान के संयुक्त निदेशक, वह लखनऊ में रहकर काम कर रहे थे।
वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल कुष्ण छिब्बर कहते हैं कि सीबीआई जैसी जांच ऐजेसी द्वारा रिश्वत के इतने बड़े मामले में गिरफ्तारी के बाद नियुक्ति असंवैधानिक है। इस तरह के आरोपी की किसी सरकारी संस्था में नियुक्ति नहीं की जा सकती।
लेखक श्रवण मवई से संपर्क : shrawanmavai@gmail.com