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हिंदुस्तान, बरेली के संपादक अभिमन्यु की प्रधान संपादक शशिशेखर से शिकायत

Date: 2015-03-26 14:56 GMT+05:30

Subject: COMPLAIN

To: [email protected]

सर

हिंदुस्तान बरेली में 14 march शनिवार की क्यू सी मीटिंग में जो कुछ हुआ, उसकी ओर आपका ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूँ।

1. संपादक श्री अभिमन्यु कुमार सिंह ने कुछ साथियों को कॉलर पकड़ कर बाहर निकालने की धमकी दी।कहा कि कुत्ता बना दूंगा। हरामखोरों की यहाँ जगह नहीं है। यह भी कहा कि यहाँ गद्दार भरे हुए हैं।

<p>Date: 2015-03-26 14:56 GMT+05:30</p> <p>Subject: COMPLAIN</p> <p>To: <a href="mailto:[email protected]">[email protected]</a></p> <p>सर<br /><br />हिंदुस्तान बरेली में 14 march शनिवार की क्यू सी मीटिंग में जो कुछ हुआ, उसकी ओर आपका ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूँ। <br /><br />1. संपादक श्री अभिमन्यु कुमार सिंह ने कुछ साथियों को कॉलर पकड़ कर बाहर निकालने की धमकी दी।कहा कि कुत्ता बना दूंगा। हरामखोरों की यहाँ जगह नहीं है। यह भी कहा कि यहाँ गद्दार भरे हुए हैं।</p>

Date: 2015-03-26 14:56 GMT+05:30

Subject: COMPLAIN

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To: [email protected]

सर

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हिंदुस्तान बरेली में 14 march शनिवार की क्यू सी मीटिंग में जो कुछ हुआ, उसकी ओर आपका ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूँ।

1. संपादक श्री अभिमन्यु कुमार सिंह ने कुछ साथियों को कॉलर पकड़ कर बाहर निकालने की धमकी दी।कहा कि कुत्ता बना दूंगा। हरामखोरों की यहाँ जगह नहीं है। यह भी कहा कि यहाँ गद्दार भरे हुए हैं।

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2. इस घटना के बाद से तमाम साथियों में गुस्सा है। यह शब्द किसी गाली से कम नहीं हैं। कुछ लोगों ने पूरा मामला वेस्ट यूपी हेड श्री अनिल भास्कर के सामने भी मेल के जरिये रखा। 11 दिन हो गए हैं, लेकिन किसी ने पूछा तक नहीं है।

3. एक साथी चीफ रिपोर्टर पंकज मिश्र इन्हीं सब तनाव की वजह से कल से बीमार भी हो गए। उन्होंने इसकी सूचना भी भास्कर जी को दे दी है। इससे पहले भी पंकज मिश्र को इन्ही संपादक जी की प्रताड़ना से तंग आकर हार्ट अटैक पड़ा था, जो आपकी जानकारी में भी है।

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सर, सभी निराश हैं और गुस्से में भी। कोई इनके साथ काम नहीं करना चाहता है। गाली गलौज इनका प्रिय शगल है, जिसके ये बहाने तलाशते रहते हैं।तमाम बार अपने से पहले के साथियों को पुराने संपादको का ‘पाप’ ढोना बताते रहते हैं।

ऑफिस में काम का कोई माहौल नहीं है। गाली खाकर कौन काम करना चाहेगा। अगर इस मामले को निपटाया नहीं गया तो कोई भी अप्रिय हालात पैदा हो सकते हैं। इस मामले की जाँच वेस्ट यूपी हेड श्री अनिल भास्कर को छोड़कर किसी अन्य या HR Department के किसी व्यक्ति से करा ली जाये।

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सादर
हिंदुस्तान परिवार के कुछ कर्मचारी
बरेली

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0 Comments

  1. Sanjeev Sharma

    March 26, 2015 at 7:42 pm

    शशि जी के साथ एक गजब की दिक्‍कत शुरू से ही है. ये किसी भी नई टीम के साथ कभी नहीं खेल सकते. हर समय-हर जगह हुजूर के हुजरे में चतुर चाटुकारों की चाह रहती है. दरबार में वही दरबान बना रह सकता है, जो वही देखे जो शशि दादा दिखाना चाहते हैं और ऐसी ही रवायत चेलों की भी हो गई है, वे भी वही दिखाते हैं जो दादा देखना चाहते हैं. मेरी पीढ़ा इसलिए भी मौजूं है क्‍योंकि मैं बरेली की बोली पिछले 20 बरस से बोल रहा हूं. रुहेलखंड की भाषाई रूह आज भी, अच्‍छे से महसूस करती है कि कैसे ये युवा अखबार कभी बरेली में शीर्ष पर जा जमा था, और फिर कैसे कामचोरों की करतूत ने इसे कोडि़यों के मोल में ला खड़ा किया. फर्श पर लाने या आने की बहस के केंद्र में हैं मौजूदा संपादक अभिमन्‍यु. ये क्‍यों ऐसे हैं, ये कब तक ऐसे रहेंगे, इसका इल्‍म खुदा को भी नहीं होगा. लेकिन, हम चौंक इसलिए जाते हैं कि आंख वाले शशि कुमार शेखर को क्‍यों ये दिखाई नहीं दे रहा. बरेली में हिन्‍दुस्‍तान कब तक नंबर 01 था, अभिमन्‍यु ने ऐसा क्‍या चक्रव्‍यूह बनाया जिसमें आंख वाले शशि कुमार शेखर फंस गए. भगवान भला करे श्री अमित चोपड़ा जी का जिन्‍होंने हिन्‍दुस्‍तान छोड़ दिया नहीं तो बरेली की दुर्दशा पर आज आंख वाले शशि कुमार शेखर को हिन्‍दुस्‍तान छोड़ना पड़ता, क्‍योंकि नए मेनेजमेंट को तो पता नहीं है लेकिन आज अगर अमित जी होते तो मेरठ से बरेली तक सबकुछ मथ देते. मेरठ में अजेय राज कर रहे अरोड़ा जी आप भी तो कुछ करो, एक तुलनात्‍मक रिपोर्ट ही बना लो. भाई शशि जी ने अब हिन्‍दुस्‍तान का खेल समझ लिया है अपने चेलों को बचाने में वे जी-जान लगा देंगे, अब इस कीमत पर अगर अखबार गर्त में चला जाए तो उनकी बला से. वैसे भी आंख वाले शशि कुमार शेखर को गधों को पालने, चापलूसी के टेस्‍ट में पास होने के बाद उन्‍हें खच्‍चर बनाने और फिर कोई माने या ना माने लेकिन उन्‍हें घोड़ा साबित करने में महारत हासिल है. इनकी प्रयोगशाला में तैयार ऐसे कई जंतु आगरा से पटना होकर अब लखनउ के नवाब बन बैठे हैं. आंख वाले अब जाग, गधे मत पाल. अगर आजमाए अरबी घोड़े पालोगे तो वे आपको भी पार लगा देंगे. और वैसे आपके लाड़ले नवाब की नई कहानी जल्‍द सामने आ रही है आप तो अभी से पूरी ताकत उसे बचाने में लगाओ क्‍योंकि हो सकता है इस बार तीर निशाने पर लगे.

  2. mithilesh

    March 27, 2015 at 5:39 pm

    abhimnyu sir ko mai 2009 se janta hu. ve apne karmchari kya kisi anjan ko bhi gali nahi de sakate hai.yah sab unki salin chhabi ko kharab karne ke liye kiya ja raha hai…

  3. सुमित

    March 27, 2015 at 5:39 pm

    गाज़ियाबाद के ब्लैक लिस्टेड लोगों को दो दो प्रमोशन देकर अपने साथ लाये थे अभिमन्यु कुमार । सपना दिखाया था अखबार को फिर से नयम्बर वन बना देंगे पर हुआ क्या सर्कुलेशन और गिर गया। ऐसा संपादक मिला जिसको न बोलने की तमीज है न लिखने की। कभी कोई अभियान चलाया भी तो कमाने के लिए।खनन के खिलाफ अभियान छाप। अच्छा था पर डील के साथ ख़त्म। दुबारा तब शुरू हुआ जब सिटी चीफ के बन रहे मकान के लिए रेत मुफ़्त नहीं मिली। यहाँ आते ही गैंग ऑफ़ गाज़ियाबाद के कुछ सदस्य तो 20 लाख के प्लाट ले लिए तो कई लोगों के घर ‘उपहारों’ से भर गए। इन तीन साल में इन सभी के इनकम की जाँच होनी चाहिए।

  4. raj

    March 27, 2015 at 10:55 pm

    अभिमन्यु की तारीफ में कसीदे पढने वाले तू भी इसी गिरोह का लगता है तुझे पता होना चाहिए जो आदमी चपरासी की जेब से पैसे निकलवाकर समोसा खा ले, वह कितना ईमानदार होगा

  5. Sandeep

    March 27, 2015 at 11:19 pm

    सोमवार 23 मार्च को बरेली के संपादक श्री अभिमन्यु कुमार सिंह ने प्रेस नोट न छपने पर जानकारी लेने आए पी आर कंपनी के प्रतिनिधि को पीट दिया। इसमें उनका साथ सिटी इंचार्ज अनुरोध भारद्वाज ने दिया।
    दरअसल दो दिन पहले दुर्गेश नाम का यह युवक वीएलसीसी का एक प्रेस नोट दे गया था। इसकी जानकारी करने वह सुबह की मीटिंग के दौरान आया था। कुछ बातचीत के दौरान संपादक जी उसे पीटने लगे। फिर सिटी इंचार्ज ने भी उसे पीटा और स्टाफ रिपोर्टर अखिलेश अवस्थी ने भी। इस दौरान वहां विज्ञापन समेत तमाम लोग थे। सभी यह देखकर चौंक गए।
    इतने पर भी गुस्सा शांत नहीं हुआ तो संपादक जी ने पुलिस बुलवाकर उस बेचारे को थाने भिजवा दिया। जहाँ से वह शाम के बाद में किसी तरह छूट सका।

    इस तरह से बेमतलब में ऑफिस में पुलिस का आना अशोभनीय है। अंदाज लगाया जा सकता है कि प्रेस नोट लेकर आये आदमी को पीटने वाले संपादक का क्या मानसिक स्तर होगा और इनका ऑफिस में अपने अधीनस्थों से क्या व्यव्हार रहता होगा। वीएलसीसी से बात करके दुर्गेश के बारे में पता किया जा सकता है, जो अपने साथ हुई मारपीट की जानकारी दे देगा। सिटी ऑफिस के गार्ड से पता किया जा सकता है।सवाल यह है कि सिटी ऑफिस में बैठकर हर काम में दखल देने वाले संपादक जी अपनी मर्यादा कैसे भूल गए। अपने पद की गरिमा तो रखी होती।

  6. Sudeep Sharma

    March 28, 2015 at 12:13 pm

    भाइयों मजमून अब भी मुकम्‍मल नहीं है. आप लोग जड़ में जमी जकड़न पर जोर क्‍यों नहीं लगा रहे हैं. क्‍यों नहीं असली परेशानी समझ रहे हैं. आंख वाले शशि शेखर जी क्‍यों पूरी अराजकता को लेकर अंधे बनने का नाटक कर रहे हैं. जैसे सर्वर बंद होते ही सिस्‍टम बंद हो जाते हैं ठीक वैसे ही आंख वाले शशि शेखर जी का समर्थन हटते ही ऐसे तमाम जंतु अपने आप जंगल में लौट जाएंगे. आप सभी वर्तमान में हो रहे दर्द-दिक्‍कतों से रूबरू हैं लिहाजा बार-बार वही-वही बताया और दोहराया जा रहा है. जबकि मूल मसले में जो मूली फंसी है तमाम दुर्गंध की असली वजह वही है. सीधी सी बात है दो साल से ये गुंडाराज चल रहा है, बार-बार खुलेआम सभी को बताया जा रहा है, फिर क्‍यों अभिमन्‍यु और उसका अभिमान कायम है. आंख वाले शशि शेखर जी को अपने सूचना तंत्र पर बड़ा गुमान रहता है, यदि ये सच है तो जरा पता तो लगाइए कि लखनउ के नवाब साहब कैसे अभिमन्‍यु के आंख और … में मिर्च डलवा रहे हैं. आंख वाले शशि शेखर जी उठो, अपनी आंख पानी से धो लो, अपना मुंह खोलो, फिर गधों को बोलो – बड़े भइया बहुत हो गया, अब बाहर जाएं.

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