MAHESH JHALANI-
जयपुर : सीबीआई की ओर से अब अखबारो के फर्जी सर्कुलेशन में उच्च स्तरीय घपले में कई चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) पर तेजी से कसंजा कसा जा रहा है । फर्जीवाड़े इस खेल में लिप्त जयपुर के कई सीए को सीबीआई की ओर से नोटिस प्रदान किये गए है तथा कुछ सीए से पूछताछ जारी है । इसके अतिरिक्त अखबार संचालको से भी विस्तार से पूछताछ की जा रही है ।
उधर प्रधानमंत्री सचिवालय भी फर्जी सर्कुलेशन के जरिये सरकारी कोष को चूना लगाने वाले अखबारों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई करने के सम्बंध में सक्रिय है । प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से राजस्थान में गड़बड़ी करने वाले कुछ अखबारों के विरुद्ध कार्रवाई के लिए डीएवीपी को लिखा गया है । ज्ञात हुआ है कि दैनिक नवज्योति सहित 40 से ज्यादा अखबार प्रधानमंत्री सचिवालय के राडार पर है ।
प्रत्येक अखबार जो राज्य, केंद्रीय विभाग, प्राधिकरण, बोर्ड, निगम, कम्पनी, बैंक, रेल, सड़क परिवहन, नागरिक उड्डयन मंत्रालय से विज्ञापन हासिल करते है, उन्हें प्रति वर्ष चार्टर्ड अकाउंटेंट से प्रसार संख्या को सत्यापित कर आरएनआई में विवरणी (रिटर्न) दाखिल करनी होती है । इस विवरणी में प्रसार संख्या का सम्पूर्ण ब्यौरा होता है जिसे चार्टर्ड अकाउंटेंट अथवा प्राधिकृत आडिटर द्वारा सत्यापित किया जाता है । बिना सीए या आडिटर के सत्यापित विवरणी का कोई महत्व नही है ।
रजिस्ट्रेशन ऑफ न्यूजपेपर्स (केंद्रीय) रूल्स, 1956 के अंतर्गत अखबारों की प्रसार संख्या को प्रमाणित करने में सीए की अहम भूमिका होती है, इसलिए अधिकांश सीए फर्जी प्रसार संख्या को सत्यापित करने के लिए मोटी राशि अखबार संचालको से वसूलते है । अर्थात इस तरह के फर्जीवाड़े का मुख्य किरदार सीए होता है । कुछ ऐसे सीए है जिनकी प्रेक्टिस नही चलती है, उनका मुख्य पेशा ही फर्जी प्रसार संख्या दर्शा कर मोटी राशि वसूलना है । कई बड़े अखबारों ने तो सीए फर्म को हायर भी कर रखा है ।
सीए के सर्टिफिकेट के आधार पर ही आरएनआई/पीआईबी द्वारा अखबारों को फर्जी सर्कुलेशन का फर्जी प्रमाणपत्र जारी किया जाता है । इस सर्कुलेशन प्रमाणपत्र के एवज में सम्बंधित अधिकारी अखबार मालिकों से हर साल करोड़ो रूपये की रिश्वत वसूलते है । बड़े अखबार संचालको की ओर से प्रति वर्ष दी जाने वाली रिश्वत की राशि करोड़ो में होती है ।
नियमानुसार प्रमाणपत्र जारी करते वक्त आरएनआई या पीआईबी के अधिकारियों द्वारा प्रसार संख्या का सत्यापन करने के लिए संबन्धित अखबार की प्रेस, कार्यालय और गोदाम आदि का भौतिक सत्यापन करना आवश्यक होता है । लेकिन रिश्वत की राशि मिलने पर दफ्तर में बैठे बैठे फर्जी सत्यापन दिखाया जाता है । अगर किसी दफ्तर में कोई अधिकारी जाता भी है तो वह केवल खाना पूर्ति करके चला आता है ।
सीबीआई के अलावा प्रधानमंत्री सचिवालय, केंद्रीय मुख्य सतर्कता आयुक्त और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को शिकायत मिली कि राजस्थान में बहुत बड़े पैमाने पर फर्जी अखबारों के जरिये जबरदस्त घपला हो रहा है । केंद्रीय कार्मिक एवं पेंशन मंत्रालय के निर्देश के बाद फर्जीवाड़े की जांच का काम सीबीआई के हाथों में चला गया । उल्लेखनीय है कि सीबीआई गृह मंत्रालय के बजाय केंद्रीय कार्मिक एवं पेंशन विभाग के अधीन है । क्योंकि सीबीआई का गठन दिल्ली स्पेशल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट के अंर्तगत हुआ है ।
ज्ञातव्य है कि पिछले दिनों मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राष्ट्रदूत का उल्लेख करते हुए अखबारों के फर्जीवाड़े पर विस्तार से प्रकाश डाला था । मुख्यमंत्री ने स्वीकार किया कि राष्ट्रदूत जैसे अखबार न केवल फर्जी सर्कुलेशन दिखा रहे है, बल्कि लोगों को ब्लैकमेल करने में पीछे नही है । उन्होंने प्रेस कौंसिल से अपेक्षा की कि वह ऐसे ब्लेकमेलर अखबारों के खिलाफ संज्ञान ले ।
मुख्यमंत्री के इसी बयान को आधार बनाते हुए मैंने प्रधानमंत्री, केंद्रीय सतर्कता आयुक्त सहित सीबीआई को पत्र लिखते हुए फर्जी सर्कुलेशन की आड़ में लूट मचाने वाले अखबार माफिया के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई की मांग की । विस्तृत सत्यापन के बाद केंद्रीय सतर्कता आयुक्त, सचिव-सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, पीएम सचिवालय और सचिव-केंद्रीय कार्मिक एवं पेंशन मंत्रालय की संयुक्त अनुमति के बाद सीबीआई की दिल्ली जोन की ओर से पीआईबी, जयपुर की एडीजी श्रीमती प्रज्ञा पालीवाल और सेवानिवृत अधिकारी प्रेम भारती सहित सभी संबन्धित व्यक्ति, फर्म आदि के खिलाफ पीई दर्ज करली
गई है ।
मेरी एक ओर शिकायत जिसमे मैंने आरोप लगाया है कि राजस्थान सरकार द्वारा केंद्र प्रवर्तित योजनाओ की राशि का भरपूर दुरुपयोग किया जा रहा है । पीएम सचिवालय और अन्य सम्बन्धित अधिकारियों ने इस फर्जीवाड़े को काफी गंभीरता से लेते हुए प्रभावी कार्रवाई करने का निर्णय लिया है । ज्ञातव्य है कि सीबीआई को राज्य से सम्बंधित किसी मामले में जांच करने का कोई अधिकार हासिल नही है । महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल की तर्ज पर गहलोत सरकार ने भी सीबीआई जांच पर रोक लगादी है ।
सीबीआई केवल राज्य के उन्ही केस की जांच कर सकती है जिसके लिए स्वयं राज्य सरकार केंद्र से आग्रह करें या फिर अदालत का निर्देश हो । जैसा कि आजकल रीट परीक्षा घोटाले की सीबीआई से जांच कराने की मांग विपक्ष द्वारा की जा रही है । जब तक राज्य सरकार खुद केंद्र से आग्रह नही करेगी, तब तक सीबीआई को दखल देने का कोई अधिकार नही है ।
केन्द्र प्रवर्तित योजनाओ में राशि दुरुपयोग का जहाँ तक सवाल है, सीबीआई सक्षम स्वीकृति के बाद राजस्थान सरकार के मंत्री, अफसर और प्राइवेट व्यक्ति या फर्म पर भी हाथ डाल सकती है । ज्ञात हुआ है कि सक्षम स्वीकृति के लिए पत्रावली पीएम सचिवालय गई हुई है । अगर सीबीआई को स्वीकृति मिल गई तो डीपीआर के कई आला अफसरों की जान मुसीबत में आ सकती है । इसके अलावा चिकित्सा विभाग के अधिकारी भी जांच के दायरे में आ सकते है । केंद्र से सबसे ज़्यादा पैसा इसी विभाग को मिलता है ।
सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि जयपुर की कई नामी सीए फर्म सीबीआई के दायरे में आ चुकी है । इसके अलावा एबीसी (ऑडिट ब्यूरो ऑफ सरकूएशन) से भी पूछताछ की जा सकती है । फर्जी सर्कुलेशन के सर्टिफिकेट बांटने में इसकी भी महत्वपूर्ण भूमिका है । एबीसी रिपोर्ट के मुताबिक दैनिक नवज्योति की प्रसार सांख्य लाखों में है । जबकि हकीकत यह है कि इसकी वास्तविक प्रसार संख्या दस हजार से भी कम है । सरकारी कार्यालयों और अफसरों के घरों तक सीमित है । जयपुर के बाजार में 360 कॉपी ही बिकती है । इस तरह फर्जीवाड़ा कर मीडिया माफिया सरकार को पूरी तरह निचोड़ रहा है ।
ज्ञात हुआ है कि इन दिनों आरएनआई, पीआईबी और डीपीआर के संरक्षण में बिना अखबार छापे सरकार को प्रति माह करोड़ो का चूना लगाया जा रहा है । मजे की बात तो यह है कि मुख्यमंत्री की जानकारी में होते हुए भी बिना खौफ के लूट का कार्य बेलगाम जारी है । ज्ञात हुआ कि जयपुर की एक सीए फर्म फर्जी सर्कुलेशन के कबाड़े में काफी कुख्यात है । हो सकता है कि सीबीआई इस फर्म के संचालको से भी पूछताछ करले ।
Mahesh Jhalani
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