CHARAN SINGH RAJPUT-
उत्तर प्रदेश में प्रचंड बहुमत के साथ राज करने वाली मायावती के योगी सरकार में विपक्ष की भूिमका निभाने बजाय चुप्पी साध लेने पर चंद्रशेखर आजाद लगातार दलित वोटबैंक में सेंध लगा रहे हैं। चंद्रशेखर आजाद उत्तर प्रदेश चुनाव में राजनीतिक वजूद बनाने के लिए मायावती के खिलाफ खुलकर बोल रहे हैं। मायावती के पंचायत चुनाव में अध्यक्ष पद पर न लडऩे के बयान पर चंद्रशेखर ने ऐसे ही ‘मायावती के दलित वोटबैंक इस्तेमाल करने’ की बात नहीं कही है। चंद्रशेखर आजाद लगातार दलितों को एहसास करा रहे हैं कि मौजूदा हालात में मायावती दलितों की लड़ाई नहीं लड़ रही हैं बल्कि अपनी और अपने भाई की गर्दन बचा रही हैं। उत्तर प्रदेश में एआईएमआईएम के साथ बसपा के गठबंधन से इनकार करने पर चंद्रशेखर को मुस्लिम वोटबैंक के सहयोग के लिए ओवैसी के साथ हाथ मिलाने का सुनहरा मौका और मिल गया है। वैसे भी इन परिस्थितियों में ओवैसी भी चंद्रशेखर के साथ गठबंधन करना चाहते हैं।
दरअसल मायावती के गठबंधन की खबरों को खारिज करने के बाद असदुद्दीन ओवैसी ने रविवार को एक ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने वह सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) के ओम प्रकाश राजभर के भागीदारी संकल्प मोर्चा के साथ होने की बात कही है। ओवैसी ने ट्वीट किया कि उनकी पार्टी 100 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। हालांकि सीटों पर लडऩे की बात होने से राजभर ने इनकार किया है।
दरअसल संकल्र्प मोर्चे के लिए राजभर की आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर से काफी समय बात चल रही है। इस मुद्दे पर साल के शुरुआत में ही दोनों के बीच लंबी बातचीत हुई थी। दोनों नेताओं ने पूर्वांचल के दलित और पिछड़ों को जोडऩे की रणनीति पर चर्चा की थी।
उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए चंद्रशेखर पूरी रणनीति के साथ जुटे हैं। दरअसल पश्चिमी यूपी को मायावती का गढ़ माना जाता है। इस गढ़ की बदौलत वह कई बार प्रदेश की सत्ता पर काबिज हुई हैं लेकिन इस बार के पंचायत चुनाव में आजाद समाज पार्टी ने यहां के कई जिलों में सीटें पाईं हैं। इससे बसपा के गढ़ में सेंधमारी के संकेत के रूप में देखा गया।
दरअसल गत वर्ष बिहार चुनाव में ओवैसी बीएसपी और आरएलएसपी ने मिलकर सेक्युलर डेमोक्रेटिक फ्रंट बनाया था। इस चुनाव में बीएसपी ने 80 सीटों पर चुनाव लड़ा था और एक पर सीट जीत भी दर्ज की थी जबकि ओवैसी के एआईएमआईएम ने 20 सीटों पर उम्मीदवार उतारकर 5 सीटों को फतह कर लिया था।
यदि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ओवैसी और चंद्रशेखर आजाद मिल गये तो न बसपा बल्कि सपा को भी नुकसान होगा। वैसे भी मायावती के भाजपा के दबाव में आ जाने के बाद दलित युवा चंद्रशेखर को अपने हीरो के रूप में देखने लगे हैं। दिल्ली दंगों में मुस्लिमों को टारगेट बनाने पर जब चंद्रशेखर आजाद ने दिल्ली जामा मस्जिद पर मोदी सरकार के खिलाफ हुंकार भरी थी तो मुस्लिम युवाओं का रुझना भी चंद्रशेखर की ओर बढ़ा था। वैसे भी दलित और मुस्लिम शोषण के खिलाफ चंद्रशेखर लगातार मोर्चा ले रहे हैं। चाहे हाथरस हत्याकांड का मामला हो या फिर दिल्ली में सीएए के विरोध में शाहीनबाग आंदोलन चंद्रशेखर उत्तर प्रदेश में योगी सरकार तो केंद्र में मोदी सरकार के खिलाफ लड़ते रहे हैं।
चंद्रशेखर आजाद ने भले चुनाव लडऩे के लिए आजाद समाज पार्टी बना ली हो पर उनकी असली पहचान भीम आर्मी से है । चंद्रशेखर ने 2017 में अपनी ताकत उस वक्त दिखायी, जब नयी दिल्ली के जंतर-मंतर पर बड़ी संख्या में दलितों ने पुलिस कार्रवाई के खिलाफ प्रदर्शन किया। सहारनपुर में दलितों पर हुई हिंसा के खिलाफ प्रदर्शन के बाद चंद्रशेखर ने कहा था कि यदि 37 निर्दोष दलित जमानत पर रिहा किये जाएं, तो वह आत्मसमर्पण कर देगा।
आजाद समाज पार्टी के पहले बनी भीम आर्मी एक बहुजन संगठन माना जाता है। जिसे भारत एकता मिशन भी कहा जाता है। ये दलित चिंतक सतीश कुमार के दिमाग की उपज मानी जाती है। इसे 2014 में चंद्र्रशेखर आजाद ‘रावण’ और विनय रतन आर्य ने हाशिए वाले वर्गांे के विकास के लिए स्थापित किया गया।
भीम आदर्मी का आधार मुख्य तौर पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में माना जाता है। सहारनपुर में यह संगठन 2017 में चर्चाओं में आया था। चर्चाओं में आने की वजह जातीय संघर्ष थी। संघर्ष हिंसा के आरोपों के बाद भीम आर्मी के मुख्य कर्ताधर्ता चंद्रशेखर को गिरफ्तार कर लिया गया था। चंद्रशेखर की असली पहचान भीम आर्मी से ही है।
चंद्रशेखर की अगुवाई में 25 युवा भीम आर्मी संभालते हैं। चंद्रशेखर का वजूद सहारनपुर में सवर्णों के साथ मोर्चा लेने के बाद बना था। दरअसल 5 मई 2017 को सहारनपुर से 25 किलोमीटर दूर शब्बीरपुर गांव में राजपूतों और दलितों के बीच हिंसा हुई थी। इस हिंसा में कथित तौर पर दलितों के 25 घर जला दिए गए थे और एक शख्स की मौत हो गई थी। इस हिंसा के विरोध में जब प्रदर्शन किया गया तो पुलिस ने 37 लोगों को जेल में डाल दिया और 300 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। इस पूरे मामले के बाद चंद्रशेखर आजाद के नेतृत्व में भीम आर्मी ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया था।