फर्जी मुकदमे दर्ज करने के लिए कुख्यात और हाल के दिनों में बेहद बदनाम हो चुकी दिल्ली पुलिस की बची खुची इज्जत दैनिक जागरण वालों ने उतार दी. पैसे लेने के बावजूद इंस्पेक्टर नहीं बनाए जाने की सनसनीखेज खबर छापकर दैनिक जागरण ने दिल्ली में तहलका मचा दिया. हर कोई खबर पढ़ने के बाद दिल्ली पुलिस की कार्यप्रणाली पर थूथू करने लगा.
डैमेज कंट्रोल के तहत दिल्ली पुलिस की तरफ से एक खंडन दैनिक जागरण को भेजा गया. दैनिक जागरण ने सिंगल कालम में दिल्ली पुलिस का पक्ष छापकर मामले को निपटा दिया.
ज्ञात हो कि भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह पर दिल्ली पुलिस ने बिना जांच ही एक के बाद एक कुल दो फर्जी मुकदमे दर्ज किए. एक आईजीआई एयरपोर्ट पुलिस स्टेशन पर और दूसरा भारत नगर थाना में. इन फर्जी मुकदमों को दर्ज किए जाने के बाद भड़ास एडिटर ने हर माध्यम और हर मंच पर दिल्ली पुलिस की कारस्तानी के खिलाफ आवाज उठाई. हर तरफ से दिल्ली पुलिस पर उंगली उठने लगी.
यही नहीं, भड़ास एडिटर यशवंत के साथ दिल्ली के भारत नगर थाने में एसीपी संजीव कुमार और इंस्पेक्टर सूरज पाल ने पूछताछ के नाम पर भयंकर अभद्रता और बदतमीजी की. भड़ास एडिटर का मोबाइल फोन छीन लिया गया और कोई रसीद तक नहीं दी गई. जब थाने के भीतर इस मोबाइल लूट को अलग अलग मंचों पर उठाया गया तो दिल्ली पुलिस की तरफ से जानकारी दी गई कि ये मोबाइल फोन जांच के लिए लिया गया है. यशवंत को अभी तक मोबाइल फोन जब्ती की रसीद नहीं दी गई है.
दिल्ली पुलिस का नया कारनामा सामने आ गया है. पैसे लेकर थानेदारी दिलाने का अब ये नया प्रकरण प्रकट हुआ है. दैनिक जागरण ने पूरे साहस के साथ दिल्ली पुलिस के अंदर का सच बाहर निकाल कर दिल्ली पुलिस के अफसरों को आइना दिखा दिया है.
पढ़ें दैनिक जागरण में प्रकाशित मूल खबर, दैनिक जागरण में प्रकाशित दिल्ली पुलिस का सिंगल कॉलम पक्ष और दिल्ली पुलिस द्वारा भेजा गया खंडन-
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