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उत्तर प्रदेश

आईपीएस रहे इस बुजुर्ग दलित एक्टिविस्ट को योगी पुलिस ने जेल भेजा!

Lal Bahadur Singh-

पहले सभी नागरिकों की समान नागरिकता के लिए, अब सभी गरीबों को जमीन और आजीविका की माँग के लिये 82 वर्षीय दारापुरी जी जेल में डाले गए ! इस अन्याय के खिलाफ हम सब आवाज उठायें !

82 वर्ष के लोकतान्त्रिक जन-बुद्धिजीवी, रैडिकल अंबेडकरवादी योद्धा दारापुरी जी को जेल भेज दिया गया है, उनका अपराध यह था कि वे गोरखपुर कमिश्नरी पर सभी गरीबों दलितों पीड़ितों के लिए न्यूनतम एक एकड़ जमीन की मांग को लेकर आयोजित शांतिपूर्ण कार्यक्रम में वक्ता के बतौर शामिल हुए थे। यह मांग न तो गैर-कानूनी है, न अजूबा है, वरन दलितों-गरीबों के सम्मानजनक आजीविका की जरूरी शर्त है। इस तरह का प्रावधान तेलंगाना में पहले से लागू है जहां जमीन उपलब्ध न होने पर सरकार खरीद कर गरीबों को जमीन देती है।

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सबसे शर्मनाक यह है कि गम्भीर पार्किंसन्स बीमारी से ग्रस्त दारापुरी जी पर IPC 307 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। वहाँ से किसी फ्रांसीसी नागरिक की गिरफ्तारी को लेकर विदेशी हाथ की सनसनी भी पैदा की जा रही है।

पुलिस महानिरीक्षक पद से सेवानिवृत्त दारापुरी जी को क्या कानून के राज में अपने विश्वास और देशप्रेम की फिर से परीक्षा देनी होगी ?

यह बेहद पीड़ादायक है कि यह सब उस दारापुरी जी के खिलाफ हो रहा है जिन्होंने रिटायरमेंट के बाद अय्याशी और अवसरवाद नहीं, गरीबों की सेवा और इंसाफ का रास्ता चुना है, जो डॉ0 अंबेडकर के विजन को विकसित करने और जमीन पर उतारने के संघर्ष में लगे हैं।

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दारापुरी जी के साथ प्रतिबद्ध जनपत्रकार डॉ0 सिद्धार्थ रामू तथा अन्य लोगों को भी गिरफ्तार किया गया है।

यह साफ है कि इस बर्बर दमन के निशाने पर भले कुछ व्यक्ति दिख रहे हों, असल निशाना गरीबों दलितों की जमीन की न्यायोचित मांग है, इंसाफ और आजीविका के लिए उनका संघर्ष है।

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सभी न्यायप्रिय नागरिकों, लोकतान्त्रिक व्यक्तियों/संगठनों को इस अन्याय के खिलाफ खड़ा होना होगा तथा आदरणीय दारापुरी जी, डॉ0 सिद्धार्थ रामू तथा अन्य सभी की रिहाई की आवाज बुलंद करना होगा।

कुछ प्रतिक्रियाएं-

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Chandra Bhushan
यूपी में लोकतंत्र और जन अधिकारों की बची हुई दुर्लभ आवाज हैं दारापुरी जी। उनकी रिहाई के लिए लड़ना मनुष्यता को गर्त में पहुंचा रही योगी सरकार के सामने मानव मूल्यों के पक्ष में खड़ा होने के लिए संकल्पबद्ध होने जैसा है।

Ashutosh Kumar
निसंदेह यह हर एक आत्मसम्मानी नागरिक की लड़ाई है। देश को दुनिया की सबसे बड़ी खुली जेल में बदल दिया गया है। अवाम के जो हिस्से धार्मिक राष्ट्रवाद की अफीम के असर में हैं,उन्हें झकझोर कर जगाना होगा।

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Kaushal Kishor
यह दमन का चरम रूप है। यह लोकतंत्र पर हमला है। आज पूरा देश ही गैस चैम्बर में बदल गया है। सांस लेना मुश्किल हो गया है। यह जागने का वक्त है।

Surya Narayan
योगी और मोदी सरकार खुलेआम लोकतंत्र का गला घोंट रहे हैं। यह शर्मनाक है।

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Roop Rekha Verma
दारापुरी जी और उनके साथी गरीबों के लिये सर्वथा उचित मांग करने के लिये जेल भेजे गये, ये प्रमाण है निज़ाम की निर्धन द्रोही नीति का। जेल भेजे गये सभी साथियों को सलाम और उनकी रिहाई की मांग मेरी ओर से भी।

Virendra Yadav
दारापुरी जी और रामू सिद्धार्थ सरीखे बुद्धिजीवी व सामाजिक कार्यकर्ता भारतीय जनतंत्र के प्रहरी और संविधान के रक्षक हैं। उन पर यह दमनात्मक कारवाई निंदनीय है। उन्हे त्तुरंत रिहा किया जाना चाहिए।

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Gupteshwar Singh
रामराज्य में गरीबों और उनके रहनुमा की खैर नहीं है…..!!!!

Daya Shankar Rai
यह सब बेहद शर्मनाक है और यह फासीवादी निज़ाम लोकतंत्र को पूरी तरह खत्म कर देने पर उतारू है।

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Arun Singh
सरकार का ये फैसला अलोकतांत्रिक है

Shrawan Kushwaha
दारापुरी साहब डॉ सिद्धार्थ रामू सहित सभी राजनीतिक कार्यकर्ताओं को तत्काल रिहा करो

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Naish Hasan
ये बहुत अफसोसनाक बात है, उन्हें निशाना बनाया गया है। उनकी रिहाई फौरन होनी चाहिए।

Ramvilas Yadav
गरीब जनता की आवाज दारापुरी जी को रिहा करो ।

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Rk Sahani
घोर निंदनीय गिरफ्तारी। ये गिरफ्तारी सरकार के फासिस्ट होने का सबूत है। भूमिहीन गरीब विरोधी सरकार दमन के जरिए अमीरों की सरकार विना रोक टोक चलाना चाहती है।

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1 Comment

1 Comment

  1. अनुराग यादव

    October 15, 2023 at 11:07 pm

    घोर निंदनीय ,दारापुरी जी और रामू सिद्धार्थ जैसे बुद्धिजीवी व सामाजिक कार्यकर्ता पर यह दमनात्मक कारवाई निंदनीय है। सभी न्यायप्रिय नागरिकों/संगठनों को इस अन्याय के खिलाफ खड़ा होना होगा।

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