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दयाशंकर मिश्र ने न्यूज़18 प्रबंधन को अंधेरे में रख अपने कई रिश्तेदारों को भर्ती किया!

न्यूज़18 हिन्दी डिजिटल के हेड रहते हुए दयाशंकर मिश्र ने संस्थान को अंधेरे में रखते हुए अपने ढेर सारे रिश्तेदारों को न्यूजरूम में नौकरी पर रखा था! अब दयाशंकर कहते घूम रहे हैं कि वह मीडिया में न्याय के लिए लड़ रहे हैं। बताया जाता है कि डिजिटल न्यूज़रूम में महत्वपूर्ण पदों को संभालने वाले ख़ास लोग भी उनकी ही जाति से थे, जिन्हें उन्होंने ही नियुक्त किया था। अधिकतर लोग उनके गृह नगर से थे।

दयाशंकर द्वारा नियुक्त नंदलाल शर्मा ने कंपनी की सेवा में रहते हुए यह पुस्तक लिखी। दयाशंकर की अनुमति से वह लंबे समय तक अनुपस्थित रहे। दयाशंकर ने सभी को बताया कि नंदलाल एक सीक्रेट प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे। नंदलाल ने 31 अक्टूबर को इस्तीफा दे दिया और दयाशंकर ने नोटिस अवधि समाप्त करते हुए एक सप्ताह में उन्हें कार्यमुक्त कर दिया।

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इसके तुरंत बाद नंदलाल ने किताब का प्रमोशन शुरू कर दिया। दयाशंकर ने उन्हें पहला इंटरव्यू दिया जहां दोनों ने चैनल के खिलाफ गलत बयानबाजी की।

किताब के तीसरे पन्ने पर दयाशंकर ने नंदलाल को धन्यवाद दिया है। तो दया ने न्यूज़ रूम में सभी को जो बताया कि नंदलाल किसी गुप्त प्रोजेक्ट पर पर काम कर रहे हैं, वह गुप्त प्रोजेक्ट राहुल गांधी पर किताब लिखना था।

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हितेंद्र तिवारी नामक डिजाइनर ने किताब का कवर डिजाइन किया है। दयाशंकर के कंप्यूटर में एक फाइल मिली है जिसे हितेंद्र तिवारी ने बनाया था। यह जून, 2023 में डिज़ाइन किए गए पुस्तक का कवर था।

दयाशंकर की राजनीतिक विचारधारा भी संदिग्ध है क्योंकि उन्होंने नेटवर्क 18 में रहते हुए कभी कोई राजनीतिक आलेख या कॉलम नहीं लिखा और आज कांग्रेसी / राहुलवादी बने फिर रहे हैं।

न्यूज़18 डिजिटल हिन्दी में कार्यरत एक मीडिया कर्मी द्वारा भेजे गये पत्र पर आधारित.

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1 Comment

1 Comment

  1. S K Sharma

    November 30, 2023 at 8:04 pm

    दयाशंकर मिश्र ने कुछ अलग नहीं किया। सभी मीडिया संस्थानों में हेड अपने लोगों को ही रखते है जो उनकी जाति के लोग ही होते हैं। चाहे वो टेक्निकल हेड हो या डेस्क के हेड हो।
    हेड के पद पर कुछ जाति के लोगों का कब्जा है। इसी वज़ह से अन्य जाति के लोगों का मीडिया में प्रतिनिधित्व नहीं के बराबर है।
    जब राहुल गांधी ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में उपस्थित एससी, एसटी और ओबीसी के रिपोर्टर से हाथ उठाने को कहा तो एक भी हाथ नहीं उठा।
    जातियता सबसे ज्यादा पढ़े लिखे लोगों में ही है।

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