Connect with us

Hi, what are you looking for?

सुख-दुख

यकीन नहीं होता अमर उजाला बस्ती के ब्यूरो चीफ धीरज पांडेय नहीं रहे..

आज जैसे ही पता चला धीरज पांडेय हमारे बीच नही रहे तबसे काफी व्यथित हूं। बार-बार धीरज से जुड़ी यादें मुझे विचलित कर रही हैं। धीरज से आखिरी मुलाकात चंद दिनों पहले दिल्ली में हुई थी, तब बड़े उत्साह से भविष्य की बातों पर चर्चा हुई।  यह फोटो दिल्ली के 13, तालकटोरा रोड की है जहां मैंने और धीरज ने महामहिम राष्ट्रपति जी के सांसद पुत्र अभिजीत मुखर्जी जी के साथ बैठकर कुछ वक्त गुजारा।

आज जैसे ही पता चला धीरज पांडेय हमारे बीच नही रहे तबसे काफी व्यथित हूं। बार-बार धीरज से जुड़ी यादें मुझे विचलित कर रही हैं। धीरज से आखिरी मुलाकात चंद दिनों पहले दिल्ली में हुई थी, तब बड़े उत्साह से भविष्य की बातों पर चर्चा हुई।  यह फोटो दिल्ली के 13, तालकटोरा रोड की है जहां मैंने और धीरज ने महामहिम राष्ट्रपति जी के सांसद पुत्र अभिजीत मुखर्जी जी के साथ बैठकर कुछ वक्त गुजारा।

धीरज काफी परेशान थे और कहा कि वे अमर उजाला में जब से महराजगंज से बस्ती आए हैं तब से मन नही लग रहा है। जानबूझकर परेशान करने की नीयत से गोरखपुर के अमर उजाला प्रबंधन ने उन्हें बस्ती का ब्यूरो प्रमुख बनाकर भेजा है।  धीरज अब इस नौकरी से तंग आ चुके थे और इस्तीफा देकर महराजगंज वापस आना चाहते थे। बीमार पिता की देखरेख की चिंता और पत्नी द्वारा पिछले साल ही प्रारंभ किये गये किड्स गार्डन नाम के नर्सरी के बच्चों के स्कूल को ठीक तरीके से संचालित करने की चिंता उन्हें भीतर से बुरी तरह साल रही थी।

Advertisement. Scroll to continue reading.

धीरज से मेरी मुलाकात 14 साल पहले हुई थी, तब वे नये-नये खुले ईटीवी के महराजगंज में रिपोर्टर हुआ करते थे औऱ मैं जनसत्ता एक्सप्रेस का संवाददाता। धीरज अपनी काली राजदूत मोटरसाईकिल लेकर निचलौल से महराजगंज आते और अपनी गाड़ी मेरे घर खड़ी कर देते, इसके बाद बारी आती मेरी नीली हीरो होंडा मोटरसाइकिल UMB 2989 की, जिस पर सवार होकर हम पत्रकारिता के लिए निकल पड़ते।  बीस दिन से धीरज लखनऊ मेडिकल कालेज के ट्रामा सेंटर में जिंदगी औऱ मौत से लड़ जंग लड़ रहे थे, एक वक्त लगा सब कुछ ठीक हो जाएगा लेकिन ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था। मिलनसार, मददगार औऱ मृदुभाषी व्यक्तित्व के धनी धीरज के छोटे-छोटे बच्चों का भविष्य अब अंधकारमय हो गया है। पत्रकारिता के 15 साल के लंबे तजुर्बे के बाद मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि संकट के समय पत्रकारों का कोई साथी नही होता।

दूरदर्शन न्यूज़, नई दिल्ली के वरिष्ठ पत्रकार मनोज टिबड़ेवाल आकाश के फेसबुक वाल से साभार.

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement