यह महज एक दुर्योग है या कुछ और। पर बात तथ्य पर आधारित है। दैनिक जागरण में जब भी किसी मुख्यमंत्री का इंटरव्यू आधे पेज से अधिक स्थान में छपा, उसकी सरकार चली गई। इसी प्रकार का एक और दुर्योग प्रचलित है कि जो भी मुख्यमंत्री नोएडा आया, उसकी सरकार चली गई। आखिर ऐसा क्यों होता आया है, बात समझ से परे है। फिर भी मैं सोचता हूं कि जो काम जनहित से परे स्वार्थ के लिए किया जाता है, उसमें ये दुर्योग जरूर आते हैं।
बात उस समय की है, जब हरियाणा में चुनाव थे। मैं चुनाव डेस्क पर था। मुझे फरमान सुनाया गया कि ओम प्रकाश चौटाला का साक्षात्कार आधे पेज से बड़ा छापना है। मैंने सोचा कि आधे पेज से अधिक स्थान में तो कोई भी साक्षात्कार छापने की दैनिक जागरण की नीति ही नहीं है तो इसे क्यों छापा जाए। कल इस पर समाचार संपादक की सहमति लेकर ही छापा जाएगा। अगले दिन समाचार संपादक महोदय ने ही पूछ लिया। वो साक्षात्कार नहीं छपा। मैंने कहा, इसे छापने से पहले आपकी सहमति लेना चाहता था। उन्होंने कहा, कोई बात नहीं, आज छाप देना। इंटरव्यू आज भी नहीं छप सका, क्योंकि विज्ञापन ज्यादा था। अगले दिन समाचार संपादक जी ने कहा, अरे इंटरव्यू को छाप दो। संजय जी का आदेश है। हालांकि वह इंटरव्यू मैं नहीं छाप पाया, क्योंकि तब तक मुझे चुनाव डेस्क से हटा दिया गया था।
चुनाव परिणाम आए तो चौटाला जी सत्ता से हाथ धो चुके थे। हरियाणा में ऐसा बंसीलाल साहब के साथ भी घटित हुआ था। उस समय बंसीलाल ने हमारे एक वरिष्ठ साथी जो अब स्टेट हेड हैं, पर भारी दबाव बना कर अपने अनुकूल खबरें छपवाई थीं और उन्हें सत्ता से हाथ धोना पड़ा था। इसी क्रम में कर्मचारियों पर दबाव बनाने के लिए दैनिक जागरण में उत्तर प्रदेश के सीएम का इंटरव्यू फुल पेज पर छापा गया। उसके बाद उत्तर प्रदेश में क्या हो रहा है, सब आपके सामने है। दैनिक जागरण ने इंटरव्यू का पासा फेंकने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी नहीं छोड़ा। उनका फुल पेज का इंटरव्यू छापा तो उसके बाद अब कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी सीना छप्पन से फाइव प्वाइंट सिक्स करने पर अड़ गए हैं। यह मनहूस इंटरव्यू इन नेताओं पर कहर बनकर टूटेगा या नहीं, यह तो समय बताएगा। फिर भी इतना तो तय है कि जागरण को जनहित का ध्यान रखना चाहिए और इस तरह से इंटरव्यू बेचने से बाज आना चाहिए।
श्रीकांत सिंह के एफबी वाल से