Connect with us

Hi, what are you looking for?

प्रिंट

ईवीएम पर भाजपा के चुनाव निशान के नीचे बीजेपी लिखे होने की शिकायत

इंटरनेट से ईवीएम की दो तस्वीरें। एक में कमल के नीचे बीजेपी लिखा हुआ लग रहा है और दूसरे में कमल के नीचे कुछ रेखाएं हैं। तस्वीर में ये अंतर मामूली है पर है तो। हालांकि दोनों पुरानी मशीन लग रही हैं।

ईवीएम हैक किए जाने, ठीक काम नहीं करने और किसी को भी वोट देने पर भाजपा को जाने जैसी शिकायतों के बाद खबर आई थी कि ईवीएम की गड़बड़ी की शिकायत करने वाले मतदाताओं को कानून का डर दिखाने और फिर भी शिकायत पर टिके रहने पर जांच में शिकायत गलत जाने पर गिरफ्तार कर लिए जाने के मामले के साथ इस डर के कारण शिकायत नहीं करने के मामले सामने आए जिन्हें अखबारों में प्रमुखता नहीं मिली। अब पता चला है कि पश्चिम बंगाल में मॉक ड्रिल के दौरान देखा गया कि भाजपा के चुनाव निशान के नीचे बीजेपी लिखा हुआ है जबकि दूसरे चुनाव चिह्नों के साथ पार्टी के नाम नहीं हैं। कांग्रेस ने मांग की है कि ऐसी सभी ईवीएम चुनाव के बाकी चरण से हटाई जाएं या दूसरी पार्टियों के चिह्न के साथ भी नाम लिखे जाएं। शनिवार को कांग्रेस, तृणमूल और अन्य दलों ने नेता इस मुद्दे पर मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा से मिले। पर यह खबर अंग्रेजी हिन्दी के जो 10 अखबार मैं देखता हूं उनमें किसी में भी पहले पन्ने पर नहीं है।

यह अलग बात है कि शिकायत पर चुनाव आयोग ने कहा है कि मशीनों पर भाजपा का चिह्न आखिरी बार 2013 में अपडेट हुआ था। तब से कोई बदलाव नहीं किया गया है। और यह भी कि 2014 के चुनाव ऐसे ही हुए थे। हालांकि, यह कोई बात नहीं हुई। गलती जब पकड़ी जाएगी तभी कार्रवाई की मांग की जाएगी और पहले नहीं पकड़ी गई इसका मतलब यह नहीं है कि गलती नहीं है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि ईवीएम सब के लिए समान होने चाहिए या सबके मामले में एक नियम का पालन किया जाना चाहिए। इसमें इस तर्क का कोई मतलब नहीं है कि 2013 में शिकायत नहीं की गई थी तो 2019 में भी नहीं की जाए। हालांकि, शिकायत पर आयोग की सफाई अपनी जगह है यह खबर कम महत्वपूर्ण क्यों है?

बैरकपुर सीट से तृणमूल पार्टी के उम्मीदवार दिनेश त्रिवेदी ने कहा कि यह साफ तौर पर लोगों के साथ धोखा और ईवीएम को हैक करने की कोशिश है। शुक्रवार को अधिकारी ईवीएम लेकर मेरे चुनाव क्षेत्र में गए थे। हमने देखा कि कमल निशान के नीचे भाजपा का नाम लिखा था। हमारे कार्यकर्ताओं ने राज्य के चुनाव अधिकारियों के सामने इस पर आपत्ति जताई, लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की। ईवीएम मामले में चुनाव अधिकारियों के विचित्र रवैए से संबंधित एक खबर आज टाइम्स ऑफ इंडिया में पहले पन्ने पर है। इसका शीर्षक है, “असम एक्स-डीजीपी क्लेम नॉट ट्रू : पॉल ऑफिसियल” (हिन्दी में यह कुछ इस तरह होगा, “असम के पूर्व डीजीपी का दावा सही नहीं : चुनाव अधिकारी”। शीर्षक पढ़कर मैं चौंका क्योंकि इस खबर की चर्चा मैंने भी की थी।

Advertisement. Scroll to continue reading.

25 अप्रैल को मैंने लिखा था, आज के टाइम्स ऑफ इंडिया में पहले पन्ने पर खबर है, “जेल जाने के डर से वीवीपैट पर सही वोट नहीं दिखने की शिकायत नहीं की – पूर्व डीजीपी”। यह असम की राजधानी गुवाहाटी की खबर है और इसके मुताबिक राज्य के डीजीपी हरे कृष्ण डेका ने मंगलवार को वोट डालने के बाद शिकायत की कि उन्होंने वोट किसी और को दिया तथा वीवीपैट की पर्ची पर किसी और का नाम दिखा। इसपर उनसे कहा गया कि अगर वे शिकायत करते हैं और उसे गलत पाया गया तो उन्हें छह महीने की जेल हो सकती है। अखबार ने घटनाक्रम का विवरण देते हुए लिखा है कि आखिरकार उन्होंने शिकायत नहीं की। डेका ने कहा है कि आपराधिक जिम्मेदारी वोटर पर हो तो वह क्यों वीवीपैट को चुनौती दे।”

इससे पहले भी मैंने ईवीएम की गड़बड़ी और नियम 49एमए की चर्चा की थी। इसके साथ केरल के मतदाता एबिन बाबू की भी चर्चा थी और बताया था कि कैसे उन्हें शिकायत करने पर चेतावनी दी गई और फिर जांच में शिकायत गलत पाए जाने पर गिरफ्तार कर लिया गया। यह खबर पहले टेलीग्राफ में छपी थी। उसी दिन यह भी छपा था कि एबिन बाबू की ही तरह थिरूवनंतपुरम में एक मतदाता की ऐसी ही शिकायत थी पर नियम 49एमए के बारे में बताए जाने पर उसने शिकायत नहीं की। अगले दिन टाइम्स ऑफ इंडिया में असम के पूर्व डीजीपी के साथ एबिन बाबू की चर्चा थी। अब अखबार ने चुनाव आयोग का पक्ष छापा है कि असम के पूर्व डीजीपी का दावा सही नहीं है। इसका आधार यह बताया गया है कि कि असम के पूर्व डीजीपी हरेकृष्ण डेका ने औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं कराई है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

आज की खबर के मुताबिक, जिला चुनाव अधिकारी (डीईओ) की जांच में पाया गया कि, “उनके आरोपों में कोई सच्चाई नहीं थी”। खबर कहती है कि डेका ने औपचारिक शिकायत नहीं दर्ज कराई थी इसलिए उनपर आपराधिक मामला नहीं चलेगा। दूसरे शब्दों में डेका बच गए। यहां उल्लेखनीय है कि हैकिंग के जानकार कहते हैं कि मशीन को किसी भी तरह से सेट किया जा सकता है और इसलिए अगर किसी मशीन से छेड़छाड़ की गई हो तो उसे पकड़ना काफी मुश्किल है। उदाहरण के लिए मशीन इस तरह से सेट की जा सकती है कि हर दूसरा, चौथा, पांचवां या दसवां वोट किसी खास पार्टी को जाए। ऐसे में शिकायत की जांच अगले वोट से ही होनी हो तो शिकायत करने का कोई मतलब नहीं है। दूसरी तरफ गिरफ्तारी का डर और वैसे भी मतदान के बाद शिकायतकर्ता को कहां मतदान केंद्र में रहने दिया जाता है।

अगर ईवीएम सही है और नियम 49एमए लागू ही है तो होना यह चाहिए कि शिकायतकर्ता से कहा जाए कि वह इंतजार करे और देखा जाए कि दूसरा कोई मतदाता शिकायत करता है कि नहीं। अगर कई वोट पड़ने के बाद भी (जाहिर है यह 200-500 वोट नहीं हो सकता है, पांच-दस-बीस वोट पर ही सेट करने का मतलब है) दूसरी शिकायत नहीं आती है तभी साबित होगा कि मशीन ठीक है और पिछले मतदाता को भ्रम हुआ होगा। हालांकि, ऐसी स्थिति में यह भी सतर्कता बरती जानी चाहिए कि शिकायत के बाद वहां मौजूद लोगों में कोई उसमें सुधार तो नहीं कर रहा है। वैसे यह मुश्किल है फिर भी। चुनाव अधिकारी की भी जिम्मेदारी है कि वे शिकायत भले न दर्ज करें पर शिकायतों को प्रेरित करें और एक से ज्यादा शिकायत आने पर मान लें कि मशीन गड़बड़ है। पर यह सब तभी होगा जब सरकार और चुनाव आयोग ईवीएम की विश्वसनीयता बनाना चाहेंगे। इसे जबरदस्ती थोपने की बात अलग है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

दैनिक जागरण में यह खबर पहले पन्ने पर तो नहीं है लेकिन अंदर छपी इस खबर का शीर्षक है, “अब ईवीएम पर भाजपा लिखा होने से तिलमिलाया विपक्ष, चुनाव आयोग से की शिकायत”। नई दिल्ली डेटलाइन से प्रेस ट्रस्ट के हवाले से छपी खबर इस प्रकार है (संपादित), कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने एक बार फिर इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की शिकायत चुनाव आयोग से की है। इस बार विपक्ष का आरोप है कि पश्चिम बंगाल के बैरकपुर संसदीय क्षेत्र में ‘मॉक पोल’ के दौरान ईवीएम पर केवल भाजपा के चुनाव चिन्ह कमल के नीचे ही पार्टी का नाम भी लिखा है। हालांकि इस पर चुनाव आयोग का कहना है कि पार्टी (भाजपा) ने इसी चुनाव चिन्ह का इस्तेमाल 2014 के लोकसभा चुनाव में भी किया था।

वरिष्ठ कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी, और अहमद पटेल और तृणमूल कांग्रेस के नेता दिनेश त्रिवेदी और डेरेक ओ ब्रायन के नेतृत्व में विपक्षी दलों के एक प्रतिनिधिमंडल ने शनिवार को मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा से मिलकर इस मुद्दे पर बात की। इन नेताओं ने चुनाव आयोग से मांग की कि चुनाव के बाकी बचे चरणों में या तो ऐसे सभी ईवीएम हटा दिए जाएं। या फिर बाकी दलों के नाम भी उनके चुनाव चिन्हों के नीचे लिखे जाएं। उल्लेखनीय है कि ईवीएम पर चुनाव में हिस्सा ले रहे सभी राजनीतिक दलों का चुनाव चिन्ह, उनके उम्मीदवार का नाम और उनके फोटो नजर आते हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त से मुलाकात के बाद कांग्रेस नेता सिंघवी ने संवाददाताओं को बताया कि सभी ईवीएम पर चुनाव चिन्ह के नीचे भाजपा लिखा साफ नजर आ रहा है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

वरिष्ठ पत्रकार और अनुवादक संजय कुमार सिंह की रिपोर्ट।

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement