Kamal Krishna Roy : पोंटी चढ्ढा की कम्पनी की तिजोरी भरने के लिये और मंत्री नौकरशाहों की लालच लिप्सा को शांत करने लिये योगी जी की सरकार ने इस प्रदेश में डेढ़ करोड़ गरीब भूखे बच्चों की खाने की थाली छीन ली है। प्रदेश के 75 जिलों में चल रहे 188259 आंगनबाड़ी सेंटर पर गरीब बच्चों को दिन में एक टाइम गरम खाना देने का नियम था। यह लाभ किशोरी बालिकाओं और गर्भवती व नव प्रसूता माताओं के लिये भी था। नई सरकार ने, जो गोरखपुर फरुखाबाद, इटावा में, बनारस में छोटे ताबूत सप्लाई के काम मे लगी हुई है, एक झटके में गरम ताजा खाने का सिस्टम बन्द करा कर उसके जगह पर पंजीरी देने का राज्य भर का टीका पोंटी चड्ढा की कम्पनी को दे दिया है।
जन अधिकार मंच ने दस जिलों में सर्वे करके पाया कि पंजीरी में शराब फैक्टरी से निकले शीरे की खराब चीनी और सब्सिडी से मिले 3 रुपये किलो के गेँहू के आटे को मिलाया जाता है। पंजीरी को गाँवो में पशुओं को खिलाने के लिए बेच देते हैं आंगनबाड़ी वाले। बच्चे भूखे वापस चले जाते हैं। खुद सरकार के आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में 21 लाख 56 हज़ार बच्चे अति कुपोषित हैं और मरने की स्थिति में पँहुच रहे हैं। खाने लायक बिल्कुल नहीं रहता है।
हमारे बहादुर दोस्त अनिल मौर्य ने दो महीने की मेहनत में काफी कुछ इकट्ठा किया और अपने संगठन जन अधिकार मंच की तरफ से जन हित याचिका कर दी जिसकी सुनवाई चीफ जस्टिस डॉ डी बी भोसले और जस्टिस यशवंत वर्मा की बेंच के सामने हुई। केके राय, स्मृति कार्तिकेय, रमेश कुमार और चार्ली प्रकाश ने गरीब बच्चों का पक्ष रक्खा। सरकार को सारी चीजों का जवाब देने को कहा गया तथ्य के साथ। अगली सुनवाई अक्टूबर में। न्यायपालिका पर भरोसा कायम है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील और इलाहाबाद छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कमल कृष्ण राय की एफबी वॉल से.