-अनिल सिंह-
ये है हकीकत..
ये उत्तर प्रदेश के सभी थानों का हाल है.
अपराधियों और गलत काम करने वालों से वसूली करने वाले भला जनसामान्य की बात क्यों मानेंगे?
एकाध प्रभाकर चौधरी को छोड़ दिया जाये तो ज्यादातर पुलिस अधीक्षक भी अपने उन्हीं चिंटुओं को थानेदार बनाते हैं, जिनका उनसे लेनदेन ईमानदारी से होता है.
पुलिस सिस्टम को चलाने का एक अंग है. कोई सुलखान सिंह कुछ बदलने की कोशिश करते हैं तो दर्जनों ओपी सिंह उसे फिर उसी ढर्रे पर ले आते हैं.
एकाध ईमानदार योगी कुछ बदलना चाहते हैं तो सिस्टम में मौजूद फलाने सिंह, ढिमाके यादव, चिलाने मिश्रा, हिलाने गौतम, मस्ताने खान जी जान लगाकर उसे ही बाहर करने में लग जाते हैं.
सिस्टम बदलने में एक योगी को ही नहीं ढलुआ, छेमिया, महेशवा, रमेशवा को भी अपने हिस्से की ईमानदारी रखनी पड़ेगी.
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