रंगनाथ सिंह-
भारत पर केंद्रित विश्व असमानता रिपोर्ट 2022-23 की आप सभी ने चर्चा सुनी होगी। इस रिपोर्ट में भारत की काम करने योग्य करीब 92 करोड़ वयस्क आबादी की अनुमानित आय और सम्पत्ति का विश्लेषण किया गया है। इसपर एक लेख मैंने भी एबीपी के लिए लिखा था। मीडिया में एडिटोरियल टेम्पलेट और लीगल फ्रेमवर्क के अन्दर रहकर लिखना होता है। फेसबुक पर हम थोड़ी तीर्यक मार कर सकते हैं। मसलन, उसी रिपोर्ट के आंकड़ों को हम यूँ भी देख सकते हैं कि,
अगर आप 10 हजार रुपये महीने से ज्यादा कमाते हैं, तो आप देश की 50 प्रति शत कामकाजी आबादी से ज्यादा कमाते हैं।
अगर आप 25 हजार रुपये से ज्यादा कमाते हैं तो आप देश की 90 फीसदी कामकाजी आबादी से ज्यादा कमाते हैं। यानी आप देश के टॉप 10 प्रतिशत आय वाले वर्ग में प्रवेश कर चुके हैं।
अगर आप डेढ़ लाख रुपये महीने से ज्यादा कमाते हैं तो आप देश की 99 फीसदी कामकाजी आबादी से ज्यादा कमाते हैं और आप टॉप 1 प्रतिशत आय वर्ग में प्रवेश कर चुके हैं।
अगर आप सात लाख रुपये महीने से ज्यादा कमाते हैं तो आप देश की 99.99 प्रतिशत कामकाजी आबादी से ज्यादा कमाते हैं। 140 करोड़ की आबादी वाले देश में ऐसे लोगों की कुल संख्या केवल नौ लाख के आसपास है।
हमारे कई नामी टीवी एंकर और एडिटर इसी 84 लाख रुपये वार्षिक आय वर्ग में हैं। उनके जीवन का सबसे बड़ा दुख यही है कि उनकी कमाई 20 लाख रुपये मासिक से घटकर 10 लाख रुपये मासिक रह गयी है। या 10 लाख रुपये मासिक से घटकर 5 लाख रुपये मासिक रह गयी है।
हमारे एक मित्र कहते थे कि ऊपर वालों को देखकर दुखी रहने से अच्छा है कि नीचे वालों को देखकर सुखी रहो। यदि आपकी आय 25 हजार रुपये से ज्यादा है, तो आप यह सोचकर खुश रह सकते हैं कि आप हर महीने देश के 90 प्रतिशत लोगों से ज्यादा कमा रहे हैं। इस लिहाज से मेरे ज्यादातर करीबी दोस्त 80 करोड़ वयस्कों से ज्यादा कमाते हैं।
आपको बताता चलूँ कि देश में केवल 92 हजार लोग ऐसे हैं जिनकी वार्षिक आय तीन करोड़ रुपये से ज्यादा है। 9223 लोग ऐसे हैं जिनकी आय 20 करोड़ रुपये से ज्यादा है।
जिन विद्वानों ने यह रिपोर्ट बनायी है, वह सभी देशों की कामकाजी आबादी को प्रमुखतः इन्हीं चार वर्गों में बाँटते हैं। ये चार वर्ग हुए- कमाई के मामले में निचले 50 प्रतिशत, बिचले 40 प्रतिशत, अगड़े 10 प्रतिशत और शीर्ष 1 प्रतिशत। आप अपनी मासिक आय के अनुसार अपना आर्थिक वर्ग या आर्थिक वर्ण जान सकते हैं। बाकी अमीरों के अन्दर भी ही प्रविधि अपनाकर अमीर में भी अमीर की पहचान की जा सकती है।