ब्रिटेन के एक बड़े अखबार ‘द डेली टेलीग्राफ’ के मुख्य राजनीतिक टिप्पणीकार ने अखबार से इसलिए इस्तीफा दे दिया क्योंकि इस अखबार ने एचएसबीसी घोटाले के प्रकरण को ठीक से कवर नहीं किया और पूरे मामले को बहुत छोटी खबर देकर निपटा दिया. भारत में दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर, टाइम्स आफ इंडिया, हिंदुस्तान टाइम्स जैसे दर्जनों बड़े अखबारों के हजारों पत्रकार काम करते हैं लेकिन यह कभी सुनने को नहीं मिलता कि फलां पत्रकार ने फलां खबर के कम या ज्यादा कवरेज के कारण इस्तीफा दे दिया. भारतीय पत्रकार पापी पेट के लिए चुपचाप हर कुछ सहते झेलते रहते हैं. शायद भारतीय पत्रकारों के मानसिक स्तर का लोकतांत्रिक विकास अभी समुचित नहीं हुआ है.
‘द डेली टेलीग्राफ’ के चीफ पोलिटिकल एनालिस्ट पीटर ओबॉर्न द्वारा घोटालों का कवरेज ठीक से न करने के मुद्दे पर अखबार से इस्तीफा देने का प्रकरण दुनिया भर में चर्चा का विषय बना हुआ है. पीटर ओबॉर्न ने आरोप लगाया कि एचएसबीसी और स्विस टैक्स घोटाले की सीमित कवरेज कर अखबार ने एक तरह से अपने पाठकों से धोखाधड़ी की है. पीटर ओबॉर्न ने आरोप लगाया है कि कमर्शियल फायदे की वजह से अखबार ने इतने महत्वपूर्ण मुद्दे को इतनी प्रमुखता नहीं दी, जितनी उसे मिलनी चाहिए थी. उन्होंने कहा कि पाठकों को सच्चाई से अवगत कराना अखबारों का ‘संवैधानिक कर्तव्य’ होता है.
वहीं ओबॉर्न के इस स्टेटमेंट को टेलिग्राफ ने आश्चर्यजनक और निराधार हमला बताया. वेबसाइट ओपन डेमोक्रेसी में प्रकाशित एक लेख में ओबॉर्न लिखा कि उन्होंने अपनी अंतरात्मा की आवाज पर पहले ही अखबार से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने अखबार पर आरोप लगाते हुए लिखा कि पाठकों को टेलीग्राफ में इस खबर को ढूंढने के लिए सूक्ष्मदर्शी यंत्र की मदद की जरूरत होगी.