गोरखपुर। मजीठिया वेज बोर्ड के अंतरिम राहत, एरियर और वेतन की लड़ाई में शामिल सीनियर कापी एडिटर सुरेंद्र बहादुर सिंह और आशीष बिंदलकर को हिन्दुस्तान गोरखपुर यूनिट के एचआर प्रबंधन से जान से मारने की धमकी मिली है। यह धमकी स्थानीय एचआर मो. आशिक लारी और सेक्योरिटी ने दी है। दोनों का यूनिट में प्रवेश बैन कर दिया गया है। गाली और धमकी देते हुये एचआर ने सुरेंद्र को ट्रांसफर आर्डर पकड़ा दिया। आशीष को फोन पर और यूनिट गेट पर धमकी देकर भगा दिया गया। आशीष सीनियर कापी एडिटर हैं और उन्हें बिना कोई टर्मिनेशन लेटर दिये गेट से खदेड़वा दिया गया। इस मामले में दोनों पत्रकारों ने थाना चिलुआताल में तहरीर देने की कोशिश की जो रिसीव नहीं हुई। पत्रकारों की तहरीर ही नहीं ली जा रही है।
पत्रकारों का आरोप है कि कंपनी की मालकिन शोभना, चीफ एडिटर शशीशेखर और एचआर हेड के कहने पर ऐसा आपराधिक काम किया गया। ये सभी लोग आपराधिक साजिश में शामिल हैं। पत्रकारों के आरोप वाली तहरीर को यूपी पुलिस ट्विटर सेवा पर वरिष्ठ पत्रकार और सोशल एक्टिविस्ट वेद प्रकाश पाठक ने अपने ट्विटर एकाउंट से भेज दी है। गोरखपुर पुलिस की जानकारी में पूरा मामला ट्विटर के जरिये आ चुका है। Cognizable offence के इस प्रकरण में प्रभावशाली लोगों के शामिल होने के कारण पुलिस खासा दबाव में है। और पुलिस सुप्रीम कोर्ट के उस निर्णय की अवमानना कर रही है जो ललिता कुमारी बनाम यूपी स्टेट के मामले में पहले ही दिया जा चुका है।
पुलिस तहरीरें मिलने से इनकार न कर सके लिहाजा श्री पाठक ने दोनों तहरीरों को डीजीपी, होम विभाग, आईजी, डीआईजी, एसएसपी और एसपी सिटी को भी ट्विटर के जरिये भेजकर फौरन मुकदमे की मांग की गई है। तीनों पत्रकारों (वेद प्रकाश, सुरेंद्र और आशीष)ने देर शाम सीओ गोरखनाथ से भी मुलाकात की। सीओ ने मामले में जांच का मौखिक आश्वासन दिया है। सुरेंद्र के उत्पीड़न मामले में बहुत पहले सीओ गोरखनाथ को कार्रवाई का आदेश हो चुका है। पुलिस ने उनसे सम्पर्क भी किया था लेकिन वह दिल्ली इलाज के लिये गये थे। वहीं उनका मोबाइल भी चोरी हो गया लिहाजा पुलिस से सम्पर्क कट गया। सीओ गोरखनाथ ने आश्वासन दिया है कि वह पुरानी फाइल का भी अवलोकन करेंगे और उचित कार्रवाई होगी।
पत्रकार आशीष का कहना है कि एचआर ने कल यानी 7 अक्टूबर 2016 को पहले उन्हें फोन पर गाली दी और जान से मारने की धमकी दी और बाद में कंपनी के गेट पर पहुंचने पर सेक्योरिटी से धमकी दिलवाया। उन्हें मौखिक गालियों और धमकी के साथ मौखिक रूप से टर्मिनेट किया गया है। कंपनी ने उन्हें कोई लिखित टर्मिनेशन नहीं दिया और न हीं उन्हें कोई कारण बताया गया। सिर्फ गालियां और धमकी दी गई। सुरेंद्र को दफ्तर में गालियां और धमकी दी गईं। तीनों पत्रकारों ने खुद को कंपनी से जान का खतरा और फर्जी मामले में जेल भिजवाने की आशंका जताई है और पत्रकार बिरादरी से मदद की अपील की है। उन्होंने कहा है कि चूंकि तीनों का कंपनी पर करीब 90 लाख का क्लेम बन रहा है लिहाजा कंपनी दबाव व आपराधिक कारनामे का कोई हथकंडा नहीं छोड़ रही है।