धर्मशाला। सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के चलते हिमाचल प्रदेश के श्रम विभाग ने प्रदेश में स्थापित समाचार पत्रों की यूनिटों में जाकर मजीठिया वेज बोर्ड लागू किए जाने को लेकर छानबीन शुरू कर दी है। हालांकि यह छानबीन महज औपचारिकता लग रही है, क्योंकि लेबर इंस्पेक्टर कर्मचारियों के बजाय अखबार प्रबंधन को सूचित करके अखबारों के कार्यालयों में छानबीन करने पहुंच रहे हैं। उधर, शनिवार की शाम जब लेबर इंस्पेक्टर दैनिक जागरण धर्मशाला की बनोई स्थित यूनिट में छानबीन करने पहुंचा तो इसकी सूचना फैक्ट्री स्टाफ को नहीं थी। जैसे ही फैक्ट्री स्टाफ को लेबर इंस्पेक्टर के आने की भनक लगी तो सभी कर्मचारी कार्यालय आ पहुंचे और इंस्पेक्टर को सच्चाई से अवगत कराया।
इस अवसर पर अधिकतर कर्मचारियों ने लेबर इंस्पेक्टर को बताया कि दैनिक जागरण में न तो मजीठिया वेज बोर्ड के तहत वेतन दिया जा रहा है और न ही एरियर व अन्य लाभ दिए गए हैं। इस अवसर पर लेबर इंस्पेक्टर के समक्ष एकदम से कई कर्मचारियों के आ जाने के कारण दैनिक जागरण प्रबंधन भी भौचक्का रह गया। ज्ञात रहे कि मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर दैनिक जागरण की बाकी यूनिटों की तरह ही धर्मशाला यूनिट से भी करीब डेढ़ दर्जन कर्मचारी सुप्रीम कोर्ट गए हुए हैं। इसके अलावा उन्होंने लेबर इंस्पेक्टर धर्मशाला के समक्ष लिखित शिकायत भी कर रखी है। शनिवार को लेबर इंस्पेक्टर के समक्ष एचआर प्रभारी, एनई व यूनिट हैड प्रबंधन की ओर से चापलुसी में जुटे हुए थे। इस दौरान लेबर इंस्पेक्टर ने कुछ कर्मचारियों के वेतन की जानकारी भी एकत्रित की है।
अमर उजाला में महज दो-तीन से लिए बयान
लेबर इंस्पेक्टर धर्मशाला इससे पहले अमर उजाला धर्मशाला की नगरोटा बगवां में स्थित प्रेस में भी जांच कर चुके हैं। वह यहां दिन के समय गए थे, जब यहां महज आधा दर्जन कर्मचारी ही मौजूद रहते हैं। जबकि फैक्ट्री स्टाफ रात के समय ही ड्यूटी पर पहुंचता है। इस दौरान एचआर प्रभारी की मौजूदगी में इक्का-दुक्का लोगों से पूछताछ करके उनका वेतन नोट किया गया है। अब यह बात समझ के परे है, जो श्रम विभाग आज तक मजीठिया वेतनमान के तहत मिलने वाले वेतन और यहां मौजूद समाचार पत्रों की सकल आय के बारे में नहीं जानता वह महज चंद कर्मचारियों के वेतन के आधार पर कैसे पता लगा पाएगा कि यहां मजीठिया वेज बोर्ड के तहत वेतन दिया जा रहा है या नहीं। फिलहाल श्रम विभाग इस कार्रवाई से कर्मचारी संतुष्ट नहीं हैं, क्योंकि कोई भी कर्मचारी प्रबंधन के समक्ष मुंह खोलकर अपनी शामत नहीं लाना चाहेगा। अमर उजाला तो वैसे भी श्रम नियमों की जनकर धज्जियां उड़ाता आ रहा है। इस अखबार ने धर्मशाला यूनिट के नाम पर नगरोटाबगवां में प्रेस लगा रखी है और एडिटोरियल स्टाफ शिमला में बिठा रखा है, जो किसी यूनिट में नहीं आता। इतना ही नहीं हिमाचल को धर्मशाला व चंडीगढ़ यूनिटों में बांट रखा है। शिमला में आधे कर्मचारी धर्मशाल यूनिट में आते हैं, तो आधे चंडीगढ़ में। कुल मिलाकर कर्मचारियों के दब्बूपन का भरपूर फायदा उठाया जा रहा है।