-रीता विश्वकर्मा
सूचना विभाग के व्हाट्सएप्प ग्रुप से कई वरिष्ठ व सक्रिय पत्रकारों को निकाला
जिलाधिकारी के बजाय जिला सूचना अधिकारी का निर्देश बताकर खड़ा किया जा रहा है हौव्वा
अम्बेडकरनगर। इण्टरनेट मीडिया/सोशल मीडिया के सर्वाधिक सुलभ मंच व्हाट्सएप्प के सरकारी ग्रुपों में स्थान पाने के लिए जिले के पत्रकारों में होड़ मची है। इनका मानना है कि सूचना विभाग का ग्रुप और पुलिस मीडिया सेल ग्रुप में शामिल होना बहुत बड़ी उपलब्धि है। इन दोनों ग्रुपों में जो भी जोड़ा जाता है या जुड़ता है, सही मायनों में वही पत्रकार/मीडिया परसन होता है।
जिला सूचना विभाग पर सीधा नियंत्रण जिलाधिकारी का होता है ठीक इसी तरह पुलिस मीडिया सेल का मुखिया पुलिस अधीक्षक होता है। इन दोनों ग्रुपों में जुड़ने के लिए जिले के पत्रकार हर करम कर रहे हैं। उधर दूसरी तरफ सूचना विभाग व पुलिस मीडिया सेल जैसे सोशल मीडिया एप्प के एडमिन्स तानाशाह बनकर पहले से जुड़े पत्रकारों को ग्रुप से बाहर का रास्ता दिखा रहे हैं। इन ग्रुप एडमिन्स के ऐसा करने से वर्ष 2021 के शुरूआत से ही सक्रिय पत्रकारों में क्षोभ व्याप्त है, साथ ही इनके साथ की जाने वाली बदसलूकी शोचनीय है।
बीते दिनों कई पत्रकारों को सूचना विभाग एवं पुलिस मीडिया सेल के व्हाट्सएप्प ग्रुप से बगैर किसी कारण के निकाल दिया गया। इस सम्बन्ध में जब ग्रुप से निकाले गये अचंभित और आहत पत्रकारों ने दोनों ग्रुपों के एडमिन्स से कारण जाना चाहा तो बड़े रूखे अन्दाज में कहा गया कि पहले जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक को प्रार्थना-पत्र दो, पत्रकार होने का सबूत पेश करो, डाक्यूमेन्ट्स अटैच करो जब आलाहाकिम और एस.पी. महोदय तुम्हारे आवेदन-पत्र पर अपनी संस्तुति दे देंगे तभी तुम महत्वपूर्ण ग्रुप्स से जोड़े जाओगे।
बताया गया है कि उक्त दोनों ग्रुपों में अब भी तमाम ऐसे लोग जुड़े हुए हैं जिनका पत्रकारिता से दूर-दूर तक कोई सरोकार ही नही है। ऐसा क्यों किया गया है के जवाब में पत्रकारो का कहना है कि इन दोनों ग्रुपों के एडमिन्स द्वारा अपने खास लोगों को ग्रुप से जोड़कर उन्हें उपकृत किया गया है। सूचना विभाग के ग्रुप में सर्वश्री एस.के. द्विवेदी (जिला सूचना अधिकारी), बब्बन सिंह (स्टेनो जिलाधिकारी), पुष्पेन्द्र शर्मा (सहायक जिला सूचना अधिकारी कार्यालय) ग्रुप एडमिन हैं।
इसी तरह पुलिस मीडिया सेल (व्हाट्सएप्प ग्रुप में) पुलिस अधीक्षक, पी.आर.ओ. सेल प्रभारी और दो-एक अन्य पुलिस कर्मी ग्रुप एडमिन हैं। पीआरओ सेल प्रभारी जो ग्रुप एडमिन हैं उन्होंने 25 फरवरी 2021 को अनेकों पूर्व से जुड़े पत्रकारों को ग्रुप से रिमूव कर दिया। कारण पूछने पर बताया गया कि जब तक पुलिस अधीक्षक के समक्ष एक आवेदन पत्र प्रस्तुत नहीं करोगे और उस आवेदन-पत्र पर पुलिस अधीक्षक की संस्तुति नहीं मिलेगी तब तक ग्रुप से नहीं जोड़े जावोगे।
ग्रुपों के इन एडमिन्स की तानाशाही रवैय्ये से रिमूव किए गए पत्रकारगण हतप्रभ हो गये, और बहुतों ने तो इस ग्रुप में जुड़ने का मोह ही त्याग दिया। आश्चर्य की बात यह कि सूचना विभाग के व्हाट्सएप्प ग्रुप के उक्त तीनों एडमिन में से पुष्पेन्द्र शर्मा ने दूरभाषीय वार्ता में बताया कि जिला सूचना अधिकारी द्वारा नया निर्देश जारी किया गया है कि एक प्रार्थना-पत्र जिला सूचना अधिकारी के नाम और दैनिक व साप्ताहिक अखबार की प्रतियाँ नियमित रूप से कार्यालय भेजे जाने का साक्ष्य जो पत्रकार दे सकेगा उसी को सूचना विभाग जैसे अति महत्वपूर्ण ग्रुप से जोड़ा जायेगा।
जिला सूचना कार्यालय के सहायक पुष्पेन्द्र शर्मा झल्लाते हुए बड़े ही कठोर लहजे में पत्रकारों से बात करते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि सूचना विभाग के समस्त कार्यों की जिम्मेदारी इन्हीं पर है। कई पत्रकारों ने बताया कि पुष्पेन्द्र शर्मा द्वारा शासकीय मान्यता दिलाने में पत्रकारों की मदद की जाती है। ऐसा करने के पीछे इनका क्या उद्देश्य रहता है यह तो जरूतमन्द पत्रकार और यह स्वयं ही बता सकते हैं।
29 सितम्बर 1995 को जिला गठन उपरान्त जिला सूचना कार्यालय जनवरी 2004 तक सुचारू रूप से चला, बीच में जिले का विघटन हो गया और लगभग डेढ़ दशक तक यह विभाग नेतृत्व विहीन रहा। प्रभारियों के बदौलत किसी तरह यह विभाग चलता रहा। वर्ष 2021 के शुरूआती महीनों में सन्तोष कुमार द्विवेदी ने जिले के जिला सूचना अधिकारी के रूप में पदभार ग्रहण किया। पत्रकारों में आस जगी कि अब सम्बन्धित सभी कार्य सुचारू रूप से होंगे, लेकिन सब कुछ हो रहा है उलटा-पुलटा। पत्रकारों की मंशा पर पानी फिर रहा है। विभाग के पुराने मुलाजिम उर्दू अनुवादक मो. वसीम खाँ की अब कोई नहीं सुनता है। सहायक पुष्पेन्द्र शर्मा सब पर हावी हैं। जिला सूचना अधिकारी सन्तोष कुमार द्विवेदी नियम कानून के पक्के राजकीय मुलाजिम हैं। कम बोलते हैं। यही कारण है कि पुष्पेन्द्र शर्मा द्वारा पुराने व सक्रिय पत्रकारों से अप्रत्याशित हरकतें की जा रही हैं। यह अत्यन्त दुःखद एवं चिन्ता का विषय है।
यहाँ बता दें कि जब पूर्णकालिक सूचना अधिकारी के रूप में एस.के. द्विवेदी की यहाँ तैनाती नही हुई थी तब पुष्पेन्द्र शर्मा द्वारा जिलाधिकारी का हौव्वा खड़ा करके पत्रकारों में अनावश्यक तरीके से दहशत पैदा की जाती थी। हालांकि यह क्रम इन्होंने अब भी जारी रखा हुआ है। अब इनके द्वारा जिलाधिकारी के स्थान पर जिला सूचना अधिकारी का नाम लिया जाने लगा है। प्रेस-पास से लेकर प्रेस-विज्ञप्तियाँ किसको दी जायें और किसको न दी जायें यह पुष्पेन्द्र शर्मा ही तय करते हैं। बात-बात में वह कहते हैं कि काम मैं कर रहा हूँ, जवाब मुझे देना होता है।
अम्बेडकरनगर के जिला सूचना कार्यालय में आउट सोर्सिंग, संविदा के दबंग कर्मचारी पुष्पेन्द्र शर्मा ने उक्त आशय की सोशल मीडिया पर वायरल और दैनिक मान्यवर समाचार-पत्र में प्रकाशित खबर पढ़ने के बाद समाचार-पत्र की जिला संवाददाता रीता विश्वकर्मा को सूचना विभाग के ग्रुप से रिमूव कर दिया। बता दें कि इसके पहले पुष्पेन्द्र शर्मा ने जिले के वरिष्ठ/वयोवृद्ध पत्रकार भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी को इस ग्रुप से बाहर किया था। भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी और रीता विश्वकर्मा दोनों हिन्दी दैनिक समाचार-पत्र दैनिक मान्यवर के क्रमशः ब्यूरोचीफ और जिला संवाददाता हैं।
रीता विश्वकर्मा
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