कानपुर प्रेस क्लब कानपुर महानगर के वर्तमान स्वयंभू महामंत्री अवनीश दीक्षित ने गलत शपथ पत्र और प्रार्थना पत्र दे रजिस्ट्रार को गुमराह किया। शपथपत्र और प्रार्थना पत्र के साथ सारे प्रपत्र फ़र्ज़ी लगाये गये थे।
उप निबन्धक फर्म चिट्स एवं सोसायटीज के कार्यालय से प्राप्त एक पत्र अनुसार दिनांक 13 फरवरी 2014 को संस्था कानपुर प्रेस क्लब कानपुर महानगर, 6 नवीन मार्केट के स्वयंभू महामंत्री अवनीश दीक्षित ने क्लब के नवीनीकरण के लिए उपनिबन्धक फर्म चिट्स एवं सोसायीटीज के समक्ष प्रस्तुत प्रार्थना पत्र के प्रथम पैरा में लिखा है कि संस्था का नवीनीकरण अपरिहार्य परिस्थितियों और दैवीय आपदाओं के कारण समय से नहीं कराया जा सका। नवीनीकरण में जानबूझ कर कोई लापरवाही नहीं की गयी है। उपरोक्त कहानी नितान्त झूठी और मात्र नवीनीकरण के लिए बनायी गयी है, क्योकि संस्था का नवीनीकरण संस्थापक पदाधिकारियों ने जिस दैवीय आपदाओं के कारण नही कराया था वे दैवीय आपदा तो स्वयं महामंत्री और उनके साथी स्वयं थे। जिन्होने पंजीकरण के बाद से ही प्रेस क्लब पर कब्जा कर लिया था इस लिए संस्था के 2005 से 2013 तक के किसी भी हिसाब – किताब से लेकर नवीनीकरण के लिए आवश्यक किसी भी प्रपत्र पर संस्थापक प्रबन्धकारिणी के 2005 से 2013 तक के किसी भी पदाधिकारी और सदस्य ने हस्ताक्षर नहीं किये थे, नवीनीकरण के लिए प्रस्तुत प्रपत्रों पर मात्र वर्तामान पदाधिकारियों और सदस्यों के ही हस्तक्षर है जिन्होंने फिल्मी निर्वाचन के मध्यम से संस्था के मनचाहे पदो पर स्वयं और अपने साथी पदाधिकारियों को न सिर्फ निर्वाचित कराया बल्कि संस्था के कार्यालय पर अवैध रुप से संस्था के संस्थापक सदस्यों के दर किनार कर कब्जा किये हुए है। सच यह है कि संस्था पर दैवीय आपदा के रुप में अवनीश दीक्षित और उनके सहयोगियों की काली छाया के कारण ही संस्था के संस्थापक सदस्यों ने संस्था का नवीनीकरण नही कराया था।
उप निबन्धक फर्म चिट्स एवं सोसायटीज के कार्यालय से प्राप्त एक पत्र दिनाकं : 13 फरवरी 2014 को संस्था कानपुर प्रेस क्लब कानपुर महानगर, 6 नवीन मार्केट के स्वयंभू महामंत्री अवनीश दीक्षित ने क्लब के नवीनीकरण के लिए उपनिबन्धक फर्म चिट्स एवं सोसायीटीज के समक्ष प्रस्तुत प्रार्थना पत्र के दूसरे पैरा के अनुसार कानपुर प्रेस क्लब कानपुर महानगर -6 कानपुर नगर का पंजीकरण प्रमाणपत्र गुम होने की उनकी जो कहानी है वो भी झूठी है और इस लिए गढ़ी गयी है क्योकि नवीनीकरण के लिए पंजीकरण प्रमाण पत्र का जमा कराया जाना नियमानुसार आवश्यक होता है इसलिए ही संस्था के कार्यकारणी सदस्य के फर्जी हस्ताक्षर से शिकायत जो शायद थाना कोतवाली की जी.डी. में भी अंकित भी नहीं है क्योंकि शिकायत पर थाने की मोहर तो है पर जी.डी. न0 नही है। नवीनीकरण के लिए पंजीकरण प्रमाण पत्र जमा करने की बाध्यता से बचने के लिए उक्त फर्जी शिकायती पत्र भी बनाया गया है।
उप निबन्धक फर्म चिट्स एवं सोसायटीज के कार्यालय से प्राप्त एक पत्र दिनाकं : 13 फरवरी 2014 को संस्था कानपुर प्रेस क्लब कानपुर महानगर, 6 नवीन मार्केट के स्वयंभू महामंत्री अवनीश दीक्षित ने क्लब के नवीनीकरण के लिए उपनिबन्धक फर्म चिट्स एवं सोसायीटीज के समक्ष प्रस्तुत प्रार्थना पत्र के तीसरे पैरा के अनुसार प्रबन्धकारणी समिति में जो भी परिर्वतन किये गये है वे सभी निर्धारित चुनाव प्रक्रिया द्वारा बैलेट पेपर से हुए मतदान से साथारण सभा की आम सहमति से हुए है। उपरोक्त झूठी कहानी भी नवीनीकरण के लिए गढे़ गये झूठ के सिवा कुठ नहीं है । अवनीश दीक्षिन ने अपने शपथ पत्र के साथ 566 सदस्यों की आमसभा की बैठक और उसमें परिर्वतन और साधरण सभा की आम सहमति से किये गये किये गये संसोधन का कोई प्रपत्र इसलिए संलग्न नहीं किया है क्योंकि प्रबंधकारिणी समिति में परिर्वतन करने के लिए कोई आम सभा स्क्रीनिंग कमेटी की रिपोर्ट दिनाॅक: 19.10.2012 के बाद से बुलाई ही नहीं गयी थी तो प्रबन्धकारणी समिति में परिर्वतन कब और कितने सदस्यों की उपस्थित में किया गया। उपरोक्त कहानी भी केवल नवीनीकरण के लिए गढ़े गये झूठ के सिवा कुछ भी नहीं।
उप निबन्धक फर्म चिट्स एवं सोसायटीज के कार्यालय से प्राप्त एक पत्र दिनाकं : 13 फरवरी 2014 को संस्था कानपुर प्रेस क्लब कानपुर महानगर, 6 नवीन मार्केट के स्वयंभू महामंत्री अवनीश दीक्षित ने क्लब के नवीनीकरण के लिए उपनिबन्धक फर्म चिट्स एवं सोसायीटीज के समक्ष प्रस्तुत प्रार्थना पत्र के तीसरे पैरा के अनुसार प्रबंधकारिणी समिति में कोई विवाद नहीं है यदि पाया जाये तो हमारा नवीनीकरण निरस्त कर दिया जाये। उपरोक्त झूठ भी नवीनीकरण के लिए लिखा गया है यदि प्रबन्धकारिणी समिति में कोई विवाद नहीं था तो 2005 से 2013 तक प्रबन्धकारिणी समिति के जो पदाधिकारी थे उन्होंने नवीनीकरण के लिए प्रस्तुत किये जाने वाले किसी भी अभिलेख पर अपने हस्ताक्षर क्यों नहीं किये थे। उपरोक्त से इस संदेह को भी बल मिलता है कि डिप्टी रजिस्ट्रार फर्म चिट्स एवं सोसायीटीज ने अवनीश दीक्षित से सांठ गांठ के कारण ही इतने बड़े गोलमाल और जालसाजी को नजर अन्दाज कर सस्था का नवीनीकरण जारी कर दिया ।
उप निबन्धक फर्म चिट्स एवं सोसायटीज के कार्यालय से प्राप्त एक पत्र के अनुसार सदस्यता सूची में अंकित सदस्यों को दी गयी सदस्यता किसी प्रकार से भी वैध नहीं थी जिसके बारे में हम अपने पिछले खुलासे में बता चुके हैं कि स्क्रीनिंग कमेटी के कार्यवृत्त दिनांक: 19 अक्तूबर 2012 में अंकित है कि उन्हीं दैनिक अखबारों को सदस्यता में शामिल किया जायेगा जिनका रजिस्ट्रेशन कम से कम 3 साल पुराना है। यही भी अंकित है कि सदस्यता के लिए प्रत्येक साथी को अपनी सैलरी स्लीप, कार्यालय से प्राप्त होने वाले चैक अथवा कम से कम विगत तीन माह के बैंक स्टेटमेन्ट की फोटो कापी अनिवार्य रुप से प्रस्तुत करनी होगी। नकद वेतन पाने वालों को विगत तीन माह के बाउचर की फोटो काॅपी देनी होगी, क्योंकि स्क्रीनिग कमेंटी की रिपोर्ट 15, मार्च 2013 में कुछ समाचार पत्रों के वेतनभोगी पत्रकारों की संख्या जैसे राष्ट्रीय सहारा के 72, नगर छाया के 6, लोकभरती के 12, अमर उजाला से 60, हिन्दुस्तान से 61, कंपू मेल से 15, दैनिक जागरण के 94, खोजी नारद के 6, एजेन्सियो के 3, अन्य के 30, स्वतन्त्र भारत के 10 टी.वी. चैनलों के 51, उर्दू अखबारों के 48, जनसंदेश के 30, अंग्रेजी अखबारों के 13 अंकित है। सूत्रों के अनुसार उपरोक्त में से किसी ने भी अपने वेतन संबन्धी कोई भी प्रपत्र जमा नहीं किये है। फिर उनको सदस्या वर्तमान महामंत्री और पदाधिकारियों के दबाव दे दी गयी स्पष्ट है कि फिल्मी निर्वाचन में मन चाहे ढंग से मतदान कराने और मानचाहे पदों पर स्वयं का निर्वाचन कराने के लिए सारे नियमों को दर किनार कर फर्जी सदस्यता सूची तैयार की गयी थी।
उप निबन्धक फर्म चिट्स एवं सोसायटीज के स्वयंभू पत्रकार नेता और वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित से सांठ – गांठ के चलते ही नवीनीकरण के लिये प्रस्तुत समस्त अभिलेखों पर मात्र वर्तमान प्रबंधकारिणी समिति के पदाधिकारियों और सदस्यों के ही हस्ताक्षर होने पर कोई भी सवाल नही उठाया ? उन्होंने वर्ष 2005 से 2013 तक निर्विरोध रुप से कार्यरत रही संस्थापक प्रबंधकारिणी समिति के पदाधिकारियों और सदस्यों के 2013 तक के अभिलेखों पर भी हस्ताक्षर न होने पर भी कोई सवाल नही उठाया ? उन्होंने नियमावली मे बिना संसोधन के प्रबंधकारिणी समिति के पदाधिकारियों और सदस्यों की संख्या मे विस्तार किये जाने पर भी कोई सवाल नही उठाया ? उन्होंने 8 वर्षों से निर्विरोध रुप से कार्यरत किसी भी पदाधिकारी और सदस्य के चुनाव न लड़ने पर भी कोई सवाल नही उठाया ?
उन्होंने नवीनीकरण के लिये प्रस्तुत समस्त अभिलेखों में वर्ष 2005 से 2013 तक निर्विरोध रुप से कार्यरत रही संस्थापक प्रबंधकारिणी समिति के पदाधिकारियों और सदस्यों द्वारा चुनाव कराये जाने का कोई भी प्रस्ताव पारित न होने के बाद भी चुनाव कराये जाने पर कोई सवाल नही उठाया ? उन्होंने 5 वर्ष से पहले वर्ष 2005 से 2013 तक निर्विरोध रुप से कार्यरत रही संस्थापक प्रबंधकारिणी समिति के पदाधिकारियों और सदस्यों के विरुद्ध कोेई अविश्वास प्रस्ताव न पारित होने और न ही उनके द्वारा सामूहिक रुप से कोई त्यागपत्र न देने के बाद भी प्रबंधकारिणी समिति के लिये निर्धारित कार्यकाल 2015 से पूर्व चुनाव कराये जाने पर भी कोई सवाल नही उठाया ? उनके समक्ष वर्तमान महामंत्री द्वारा प्रस्तुत सभी अभिलेख जिसमे साधारण सभा का कोरम पूर्ण था में 17 में से 13 व एंव 17 मे से 12 सदस्य उपस्थित रहे, जब साधरण सभा के 17 मे से 7 प्रबंधकारिणी समिति के पदाधिकारी और सदस्य अनुपस्थित थे तो कोरम कैसे पूरा था पर भी कोई सवाल नही उठाया ? उन्हें प्रथम दृष्टि मे ही दिखने वाली यह धोखाधड़ी नही दिखाई दी ? उन्होंने इतनी स्पष्ट धोखाधड़ी को नजर अंदाज कर दिया ? उन्होंने सारी अनियमिताओं की अनदेखी की ? स्वार्थ, दबाव और सांठ गांठ के चलते उन्होंने संस्था का नवीनीकरण प्रमाण पत्र जारी कर दिया ?
एसआरन्यूज से साभार