मीठेश निर्मोही-
जोधपुर । विख्यात संपादक – लेखक तथा हरिदेव जोशी पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय ,राजस्थान जयपुर के कुलपति ओम थानवी ने कहा कि साहित्यकारों और पत्रकारों को समाज की जातीय और सांप्रदायिक विसंगतियों को उजागर करने में पीछे नहीं रहना चाहिए। उन्हें अभिव्यक्ति की स्वाधीनता के हनन के विरुद्ध प्रतिरोध की आवाज़ बुलंद करनी चाहिए। साहित्य का कार्य समता और बन्धुत्व पैदा करना है।
श्री थानवी कथा साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थान, जोधपुर की ओर से होटल चन्द्रा इन के सभागार में आयोजित कथा अलंकरण समारोह में अपना अध्यक्षीय उद्बोधन दे रहे थे। उन्होंने यह भी कहा है कि आज पत्रकारिता संकट में है। तकनीक के दबदबे के कारण विचार पृष्ठभूमि में चले गए हैं। पाठक और दर्शक का रिश्ता मोबाइल में सिमट रहा है। मीडिया में कथित उच्च जातियों का प्रभुत्व है, अल्पसंख्यक और दलित ऊँचे निर्णायक पदों पर बहुत कम मिलेंगे। जबकि समाज बदल रहा है। गांधी और अंबेडकर की छाया में आगे बढ़ रहा है। इसी प्रतिच्छाया साहित्य और पत्रकारिता दोनों में दिखनी चाहिए। प्रतिकार और प्रतिरोध अभिव्यक्ति का अधिकार और दायित्व भी है। आज लेखक या पत्रकार की हत्या पर उसकी बिरादरी चुप्पी साध लेती है। उन्हें बोलना चाहिए।
उन्होंने कहा कि संस्थाएं साहित्यिक गतिविधियों को जारी रखने के लिए जो पुरस्कार और सम्मान देती हैं उससे भावी पीढ़ी को प्रेरणा मिलती है।
समारोह के मुख्य अतिथि प्रख्यात साहित्यकार एवं राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, नई दिल्ली के उपाध्यक्ष प्रोफेसर अर्जुन देव चारण ने अपने उद्बोधन में कहा कि रचनाकार और पाठक के बीच एक गहरा रिश्ता होना चाहिए। साहित्य में छंद का बड़ा महत्व रहता है और छंद के कारण ही साहित्य अमर होता है। उन्होंने नाट्यशास्त्र के हवाले से कहा कि रचनाकारों के सम्मान की की यह परम्परा आदिकाल से चली आ रही है। संस्कृत का ग्रंथ नाट्यशास्त्र में इसका उदाहरण मिलता है। देवताओं से शुरू हुआ आज तक चल रहा है। उन्होंने एक रोचक कथा के माध्यम से बताया ।शिव कलाकारों को सिद्धि देते हैं बशर्ते उनकी कृपा होनी चाहिए। वे आपके कर्म पर मुहर लगा देते हैं । सरस्वती सम्मान देती हैं। रचनाकार पाठक के बीच रिश्ता कायम होता है। सूरज छत्र प्रदान करता है। वर्तमान में कथा जैसी संस्थाएं जिसे जीवित रखे हुए हैं।
कथा अलंकरण को राज्य का सर्वोच्च अलंकरण बताते हुए समारोह के विशिष्ट अतिथि साहित्य अकादेमी नई दिल्ली में राजस्थानी भाषा परामर्श मंडल के संयोजक एवं सुप्रसिद्ध साहित्यकार मधु आचार्य ‘आशावादी’ ने अपने उद्बोधन में कहा कि ये ऐसा सम्मान समारोह है जिसमें कथा संस्थान के द्वारा हमारे समय के समर्थ, सुप्रतिष्ठ साहित्यकारों को सम्मानित किया गया है। इसलिए ये अलंकरण पवित्र , पाक और सर्वमान्य हैं। आज के सम्मानित रचनाकारों में पूरे प्रदेश का अक्स देखा जा सकता है।
आचार्य ने कहा कि इस सम्मान समारोह में कथा संस्थान ने हिंदी, राजस्थानी, उर्दू के रचनाकारों को समान रूप से सम्मान के लिए चयनित किया है , यह ऐसा भाव है जिसमें भाषाई सद्भाव छुपा हुआ है। इसमें कथा के सचिव साहित्यकार मीठेश निर्मोही की गहरी संवेदनशीलता दृष्टिगत होती है। उन्होंने कहा कि रचनात्मक पत्रकारिता को सम्मानित कर नवाचार किया गया है, ये पत्रकार व संपादक भी साहित्य को समाज तक ले जाने की महती भूमिका में रहते हैं। इसीलिए कथा अलंकरण से अलंकृत साहित्यकारों, साहित्यिक पत्रिकाओं के संपादकों और रचनात्मक पत्रकारिता से संलग्न पत्रकारों को भारत भर के साहित्य एवं पत्रकारिता जगत में खास सम्मान मिलता है।
कथा अलंकरण समारोह में सूर्यनगरी शिखर सम्मान से सम्मानित जाने-माने साहित्यकार नंद भारद्वाज ने आयोजन में सम्मानित सभी लेखकों की ओर से आभार व्यक्त करते हुए कहा कि कथा अलंकरण संस्थान की यह स्वस्थ परंपरा इस दॄष्टि से विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि इसे समानधर्मा लेखक मित्र संचालित कर रहे हैं, यह सम्मान किसी भी बड़े व्यावसायिक या सार्वजनिक साहित्यिक संस्थान से अधिक महत्वपूर्ण है।
अलंकृत होने वाले साहित्यकार, पत्रकार एवं साहित्यिक पत्रिकाओं के संपादक
कथा संस्थान की राज्यस्तरीय अलंकरण श्रृंखला के अंतर्गत अतिथियों ने प्रशस्ति पत्र, शाल,श्रीफल, एवं साहित्य भेंट कर हिन्दी एवं राजस्थानी के प्रख्यात साहित्यकार सर्व श्री नंद भारद्वाज (बाड़मेर -जयपुर ) को राजस्थानी एवं हिन्दी में कविता,कथा, आलोचना एवं अनुवाद विधाओं में विशिष्ट सर्जना के लिए “सूर्यनगर शिखर सम्मान”, हिन्दी के सुप्रतिष्ठ कवि कैलाश मनहर (जयपुर ) को उनके श्रेष्ठ कविता संग्रह ” उदास आंखों में उम्मीद ” के लिए ” नन्द चतुर्वेदी कविता सम्मान”, हिन्दी के सुप्रतिष्ठ कथाकार रत्नकुमार सांभरिया ( जयपुर ) को हिन्दी में विशिष्ट कथा सर्जना के लिए “पंडित चन्द्रधर शर्मा गुलेरी कथा सम्मान”, हिन्दी के ही सुप्रतिष्ठ कथाकार मुरलीधर वैष्णव (जोधपुर) को ‘ हिन्दी में विशिष्ट कथा सर्जना (कहानी, लघुकथा एवं बाल कथा ) ‘ के लिए “रघुनंदन त्रिवेदी कथा सम्मान” से अलंकृत किया गया ।
इसी तरह राजस्थानी के ख्यातनाम कवि एवं अनुवादक डॉ.उम्मेद गोठवाल (चूरू ) को उनके श्रेष्ठ कविता संग्रह ” पेपलौ चमार ” के लिए “सत्यप्रकाश जोशी कविता सम्मान”, जाने – माने कथाकार डाॅ.मदन सैनी (डूंगरगढ़ ) को राजस्थानी में विशिष्ट कहानी सर्जना के लिए “सांवर दइया कथा सम्मान” तथा सुप्रतिष्ठ अनुवादक, व्यंग्यकार एवं कवि शंकर सिंह राजपुरोहित (बीकानेर) को गुजराती के प्रख्यात कथाकार रघुबीर चौधरी के गुजराती से राजस्थानी में अनूदित उपन्यास ‘ऊपरवास – तीन कथावां ‘ के लिए “डॉ. नारायणसिंह भाटी अनुवाद सम्मान “, तथा उर्दू के सुप्रतिष्ठ शाइर एवं अनुवादक डाॅ.निसार राही( जोधपुर) को उनके श्रेष्ठ उर्दू कविता संग्रह ‘आस्मां अहसास ‘ के लिए ” मख़्मूर सईदी कविता सम्मान ” से अलंकृत किया गया।
इसी तरह पत्रकारिता में विशिष्ट अवदान के लिए जाने – माने पत्रकार त्रिभुवन ( जयपुर ) को “गोवर्द्धन हेड़ाऊ रचनात्मक पत्रकारिता सम्मान ” एवं चंदन सिंह भाटी( बाड़मेर -जैसलमेर) को “चंद्रशेखर अरोड़ा रचनात्मक पत्रकारिता सम्मान” तथा हिन्दी एवं राजस्थानी में साहित्यिक पत्रकारिता में विशिष्ट अवदान के लिए हिन्दी की साहित्यिक त्रैमासिक पत्रिका ” सृजन कुंज ” के यशस्वी संपादक एवं साहित्यकार डाॅ. कृष्ण कुमार आशु (श्री गंगानगर ) को “प्रकाश जैन ‘लहर’ साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान” तथा राजस्थानी की त्रैमासिक पत्रिका “राजस्थली ” के यशस्वी संपादक एवं साहित्यकार श्याम महर्षि को “पारस अरोड़ा ‘अपरंच ‘साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान” से अलंकृत किया गया ।
इस अवसर कथा संस्थान के अध्यक्ष प्रोफेसर जहूर खां मेहर ने संस्थान की ओर से अतिथि एवं सम्मानित साहित्यकारों, पत्रकारों एवं साहित्यिक पत्रिकाओं के संपादकों , समारोह में उपस्थित नगर के साहित्यकारों एवं गणमान्य नागरिकों का आभार व्यक्त किया । कथा संस्थान के निदेशक चैनसिंह परिहार ने सम्मानित साहित्यकारों , पत्रकारों एवं साहित्यिक पत्रिकाओं के संपादकों के प्रशस्ति पत्रों का वाचन किया।साहित्यकार, कवि- समीक्षक दशरथ सोलंकी डाॅ .कालूराम परिहार, डा.पद्मजा शर्मा, मीठेश निर्मोही ने सम्मानित हुए साहित्यकारों, पत्रकारों एवं साहित्यिक पत्रिकाओं के संपादकों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व को रेखांकित किया।कथा संस्थान के संस्थापक-सचिव मीठेश निर्मोही ने संचालन किया।
महात्मा के महात्मा ग्रंथ का लोकार्पण
समारोह में अतिथियों द्वारा कथा साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थान के सदस्य और गांधीवादी विचारक श्री सुज्ञान मोदी द्वारा संपादित और किताब घर जोधपुर से प्रकाशित ग्रंथ “महात्मा के महात्मा श्रीमद् राजचन्द्र और महात्मा गांधी” ग्रंथ का लोकार्पण भी किया गया।
चैन सिंह परिहार
December 22, 2021 at 8:37 pm
कथा अलंकरण समारोह की सुंदर और प्रभावी प्रस्तुति के लिए धन्यवाद, साधुवाद !