लखनऊ । रविवार को इलाहाबाद में ‘कविता 16 मई के बाद’ का आयोजन हुआ। इसके पहले यह आयोजन दिल्ली और लखनऊ में हो चुका है। कॉरपोरेट लूट और सांप्रदायिक फासीवाद के विरोध में जारी यह सांस्कृतिक जन अभियान कडाके की ठंढ और शीतलहरी के बीच कविता की गर्मी पैदा करने वाला साबित हुआ। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हालैण्ड हाल में संपन्न आयोजन की अध्यक्षता प्रसिद्ध कवि व आलोचक प्रोफेसर राजेन्द्र कुमार ने की। कल ही कवि हरिश्चन्द्र पाण्डेय का जन्मदिन भी था। उन्हें फूलों का गुलदस्ता देकर बधाइयां दी गई। कार्यक्रम का संचालन कवयित्री व सोशल एक्टिविस्ट सीमा आजाद ने किया। इस अवसर पर दिल्ली, लखनऊ, बनारस और इलाहाबाद के करीद डेढ दर्जन कवियों ने अपनी ताजा कविताओं का पाठ किया।
कवि रंजीत वर्मा ने इस आयोजन के मकसद को रखा तथा कहा कि यह अभिायन आगे बढ़ेगा। उनकी कविता ‘लकीर तो खींचनी ही होगी’ से कविता पाठ का आरम्भ हुआ। लखनऊ से आये कवि भगवान स्वरूप कटियार व कौशल किशोर, दिल्ली से आये मिथिलेश श्रीवास्तव, नवीन कुमार, अंजनी जर्मनी से आये उज्जवल भट्टाचार्य, बनारस ये आये विजय शंकर, इलाहाबाद से राजेन्द्र कुमार, संध्या निवेदिता, हरिश्चन्द्र पाण्डेय, मृत्युंजय, संतोष चतुर्वेदी, सीमा आजाद, अंशु मालवीय, अनिल पुष्कर, हीरालाल आदि ने अपनी कविताएं सुनाई। दिल्ली से असद जैदी और लखनऊ से चन्द्रेश्वर को भी आना था लेकिन अपने स्वास्थ्य की वजह से ये दोनों कवि नहीं पहुँच पाये। इस मौके पर असद जैदी की एक कविता का पाठ सीमा आजाद ने किया। जसम के महासचिव प्रणय कृष्ण, ‘समकालीन जनमत’ के संपादक सुधीर सुमन, सुधीर सिंह, मीना राय सहित बड़ी संख्या में श्रोता मौजूद थे। धन्यवाद ज्ञापन सुधीर सिंह ने किया।
प्रेस विज्ञप्ति