सुरेशचंद्र रोहरा-
ऐसा संभवतः इतिहास में पहली बार हुआ है जब छत्तीसगढ़ में एक साथ केंद्र के नौ मंत्री 10 जिलों में समीक्षा बैठक के नाम पर प्रशासन के साथ बैठक कर रहे हैं। अपने कार्यकर्ताओं में ऊर्जा का संचार कर रहे हैं और छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार की खामियों का पुलिंदा तैयार करके दिल्ली ले जाया जा रहा है।
आज कोरबा में अश्विनी कुमार चौबे, केंद्रीय राज्य मंत्री ने सुबह सुबह प्रशासन के साथ बैठक प्रारंभ की स्थानीय जनप्रतिनिधियों पार्टी कार्यकर्ताओं और मीडिया से भी रूबरू हुए। केंद्रीय मंत्री ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि किसी की निंदा या आलोचना करने नही यहां जो भी खामियां हैं राज्य सरकार दूर करें. कुछ केंद्रीय योजनाएं सफल हो रही हैं कुछ नहीं हो रही हैं।
इस दौरे को लेकर बीजेपी की प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी के मुताबिक केंद्र के फंड का इस्तेमाल नहीं हुआ होगा तो ये रिपोर्ट जरूर गृह मंत्रालय और वित्त मंत्री के पास जाएगी। उसके बाद वे तय करेंगे कैसा एक्शन लेना है।
ऐसा नहीं है कि इन केंद्रीय मंत्रियों पर भूपेश बघेल की निगाह नहीं है उन्होंने कहा है कि बेहतर सुविधा को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिख चुके हैं। केंद्रीय मंत्रियों के दौरे केवल राजनीतिक जमीन तालशने के लिए हैं।बस्तर के 7 जिले नक्सल प्रभावित जिले हैं आकांक्षी जिले भी हैं. वहां 50 करोड़ हर साल मिलता था पिछले दो साल से बंद कर दिया गया है. जो दे रहे थे उसमे भी कटौती कर दिए अब देखने आ रहे हैं।
दरअसल ऐसा लगता है कि आने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा ने अभी से तैयारियां शुरू कर दी है।
छत्तीसगढ़ के 10 आकांक्षी जिलों में केंद्रीय मंत्रियों को भेजना यही राजनीतिक संकेत है।छत्तीसगढ़ के 10 आकांक्षी जिलों में 8 नक्सल प्रभावित जिले आते हैं । माना जा रहा है कि, केंद्रीय मंत्रियों के दौरे से भाजपा राज्य की कांग्रेस सरकार को 2023 विधानसभा चुनाव के लिए घेरना चाहती है।
जहां समीक्षा के रूप में हम यह भी कह सकते हैं कि ऐसा पहली दफा हुआ है जब केंद्र ने केंद्रीय मंत्रियों का इतना बड़ा दल एक साथ छत्तीसगढ़ भेजा है जो निश्चित रूप से राजनीतिक जमीन तैयार करने की कोशिश करेगा।
लेखक सुरेशचंद्र रोहरा दैनिक लोक सदन अखबार के संपादक हैं. संपर्क- [email protected]