पवन कुमार बंसल, नयी दिल्ली
मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री बने दो साल हो गए. प्रदेश में पहली बार भाजपा की पूर्ण बहुमत लेकर सरकार बनी है. लंबे अरसे से नेताओं की सभाओं में दरी बिछाने वाले पार्टी कार्यकर्ताओं को उम्मीद थी कि अब उनकी सरकार में सुनवाई होगी. उन्हें मान सम्मान मिलेगा और काम भी होंगे. लेकिन इस समय पार्टी का वर्कर मुख्यमंती को लेकर काफी परेशान और दुखी है. मुख्यमंत्री अफसरशाही के चुंगल में फंसे हैं और आम जनता से तो दूर की बात, अपने कार्यकर्तओं से भी कट गए हैं.
पिछले दिनों वे कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे. किसी ने कहा कि अफसर हमारी नहीं सुनते. सभा में जिला के डिप्टी कमिश्नर की मौजूदगी में खट्टर साहिब ने फ़रमाया कि क्या आप चाहते हैं डिप्टी कमिश्नर आपको सलाम ठोके. ये अफसरों के लिए सन्देश था.
खट्टर साहिब डिप्टी कमिश्नर, तो आपको भी तब तक सलाम ठोकेगा जब तक आप मुख्यमंत्री हो. किसी कार्यकर्ता ने नौकरी की बात की तो खट्टर साहिब ने फ़रमाया कि नोकरी कहां है? मुझे भी सिक्सटी साल की उम्र में मिली है. बाद में कार्यकर्ता टिप्पणी कर रहे थी कि आपको तो नौकरी भी मिल गयी और उम्र भर के लिए पेंशन भी. हूडा साहिब ऐसा इंतजाम कर गए कि पद से हटने के बाद उम्र भर कोठी, कार और तनख्वाह मिलेगी. खट्टर साहिब ने कहा कि साढ़े चार साल मेरे और आखरी छह महीने वर्कर के. यानि आखरी छह महीने में वर्कर के काम जमकर होंगे. खट्टर साहिब शायद भूल गए कि आखरी छह महीने में तो अफसर वर्कर को बात तो छोड़ो मुख्यमंत्री की भी नहीं सुनते.
मैंने पोस्ट लिखी थी कि खट्टर की सौतन पैदा हो गयी है और सुभाष चन्द्रा की निगाह खट्टर की कुर्सी पर है. उस पर जींद के एक कार्यकर्ता ने टिप्पणी की कि ये खट्टर वर्कर को मार रहा है और मुझसे आग्रह किया कि मैं इस पर कुछ लिखूं. वर्कर के अलावा प्रदेश की जनता भी दुखी है. अफसरशाही पूरी तरह से हावी है. दो चार अफसर सरकार चला रहे हैं सरकार. पूरी सरकार के पास स्वर्ण जयंती के अलावा और कोई काम नहीं. करोड़ों का बजट रखा है. असल में अफसरों ने खट्टर के कान में मंतर फूंक दिया कि स्वर्ण जयंती की चकाचौंध में लोग आरक्षण की मांग के दौरान होने वाली हिंसा को भूल जायेंगे और फिर सारा साल समारोह होंगे तो अफसरों को खाने के लिए मलाई और माखन मिलेगा.
शादी और बच्चे के जन्म से तो कोई बड़ा मौका नहीं होता और उसकी ख़ुशी एक दो दिन या एक सप्ताह मनाई जाती है. भाजपा सरकार ने कोई जंग नहीं जीता कि सारा साल जश्न मनाया जाये. जब तक हिंसा के जिम्मेवार लोगों की पहचान कर के उनके खिलाफ कार्रवायी नहीं होती तब तक खट्टर साहिब के दामन पर लगे धब्बे नहीं धुलेंगे. खट्टर साहिब ने शत्रुजीत कपूर को बिजली महकमे में आला ओहदे से नवाज दिया है. वे हिंसा के दौरन खुफिया महकमे के चीफ थे. अब दो बात है. अगर उन्होंने इस बारे में सरकार को अग्रिम सूचना दे दी थी और खट्टर सरकार ने कोई कार्रवायी नहीं की तो फिर खट्टर को मुख्यमंत्री बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है. और अगर यदि शत्रुजीत ने कोई सूचना नहीं दी थी तो फिर इस निकम्मेपन के लिए उन्हें रिटायरमेंट तक पब्लिक डीलिंग वाला कोई ओहदा नहीं दिया जाना चाहिए.
वित्तमंत्री अभिमन्यु के घर पर आग लगाने के मामले की जाँच केंद्रीय जाँच एजेंसी को दी है. भाई बाकी मामलों का क्या होगा. रोहतक के डिप्टी कमिश्नर ने प्रकाश सिंह को बताया कि वे पूरी रात अभिमन्यु के परिवार को सुरक्षित निकाल कर जहाज से बाहर भेजने के प्रबंध में लगे रहे. क्या रोहतक के लोगों की जान की कोई कीमत नहीं. खट्टर साहिब ने भी फ़रमाया कि रोहतक में काम कर रहे जापान के इंजीनियर्स को सुरक्षित निकालने को लेकर वे काफी चिंतित थे. भाई वो तो ठीक है. आपने रोहतक के लोगों की तो कोई परवाह नहीं की.
प्रशासन पूरी तरह से फ़ेल है. खट्टर साहिब हर दूसरे दिन गुरुग्राम में होते हैं. सूचना के अधिकार के तहत पता चला कि जिला प्रशासन ने फ्लड रोकने के लिए इंतजाम करने को लेकर कोई मीटिंग नहीं की थी. अब गुरुग्राम में एक अफसर को कई कई महकमे दे रखे हैं. ऐसा नहीं कि पार्टी हाई कमांड को हालात की जानकारी नहीं है. उसकी सोच है कि अगला चुनाव जाट और नॉन जाट के इशू पर होगा. और नॉन जाट मजबूरी में भाजपा को फिर जिता देंगे. अनिल जैन तो अहमद पटेल की भूमिका निबाह रहे हैं.
Pawan Bansal
Senior Journalist
pawanbansal2@gmail.com
Comments on “देखे खट्टर तेरे ठाठ : पार्टी वर्कर और जनता त्रस्त… नेता, अफसर और मंत्री मस्त…”
बंसल साहब आज चुनाव करा लो हरियाणा मे भाजपा सरकार नही पायेगी।