पत्रकार मनोज ने हरियाणा के कनफ्यूज्ड सीएम खट्टर को आइना दिखा दिया

जाट आरक्षण से निपटने को लेकर मुख्यमंत्री खट्टर कन्फ्यूज्ड हैं। लेकिन बिल्डरों को लाभ देने और करप्शन की शिकायतों को रद्दी की टोकरी में डालने के मामले में बिलकुल कन्फ्यूज्ड नहीं हैं। एक तेजतर्रार पत्रकार ने कन्फ्यूज्ड चीफ मिनिस्टर को समझा दिया कि सरकार कनफ्यूज़न से नहीं चलती। चंडीगढ़ में एक पत्रकार हैं मनोज ठाकुर। मैं कभी मिला नहीं। या कहिये की मिलने का सौभाग्य नहीं हुआ। फेसबुक पर मित्र बने। मैं उनकी पत्रकारिता को सलाम करता हूँ।

सीएम से सवाल पूछने वाले रिपोर्टर को बर्खास्त करने प्रकरण पर एडिटर्स गिल्ड चुप क्यों?

सुभाष चंद्रा साहिब एक बहुत बड़े चैनल के मालिक हैं। राज्य सभा के सदस्य भी हैं। इंक गेट के कारण चर्चा में रहे। उनकी कंपनी ने सरकार से कोई ठेका भी ले रखा है। अब हिसार में उनके चैनल के रिपोर्टर महेंद्र सिंह ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल से मामूली सा सवाल क्या पूछ लिया कि मनोहर गुस्से से लाल हो गए। सवाल था कि आपने कहा कि नोटों के लिए लाइन में लगे लोग धंधेबाज हैं। एक सवाल यह था कि आप सतलुज युमना नहर के लिए राष्ट्रपति से तो मिलते हो, प्रधानमंत्री से क्यों नहीं. सवाल जायज था। राष्ट्रपति तो ऑर्नामेंटल हेड हैं। प्रधानमंत्री से मिलें और वे कोई वायदा करें तो पंजाब  चुनाव में नुकसान। वायदा न करें तो तो खट्टर की किरकिरी. इसलिए सांप भी मर जाये और लाठी भी न टूटे। राष्ट्रपति से मिलकर खानापूरी कर लो।

देखे खट्टर तेरे ठाठ : पार्टी वर्कर और जनता त्रस्त… नेता, अफसर और मंत्री मस्त…

पवन कुमार बंसल, नयी दिल्ली

मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री बने दो साल हो गए. प्रदेश में पहली बार भाजपा की पूर्ण बहुमत लेकर सरकार बनी है. लंबे अरसे से नेताओं की सभाओं में दरी बिछाने वाले पार्टी कार्यकर्ताओं को उम्मीद थी कि अब उनकी सरकार में सुनवाई होगी. उन्हें मान सम्मान मिलेगा और काम भी होंगे. लेकिन इस समय पार्टी का वर्कर मुख्यमंती को लेकर काफी परेशान और दुखी है. मुख्यमंत्री अफसरशाही के चुंगल में फंसे हैं और आम जनता से तो दूर की बात, अपने कार्यकर्तओं से भी कट गए हैं.