ऋतु तिवारी-
नज़रुल मंच कोलकाता में के॰के॰ के कॉन्सर्ट आयोजक का पता करवा कर उनपर के॰के॰ की हत्या का केस चलना चाहिये।
नज़रुलमंच ठसाठस भरा हुआ था और एअरकंडीशनर काम नहीं कर रहा था।
2000 की कैपेसिटी वाले ऑडिटोरियम में 5000 से ज़्यादा टिकिट आयोजकों ने बेचे वरना दर्शक यूँ ही जबरदस्ती तो नहीं घुसते।
वो बार बार पानी माँग कर पी रहे थे और पसीना पोंछ रहे थे।किसी ने उनसे परेशानी की वजह नहीं पूछी।अंत में जब उन्होंने कहा तो उन्हें मेडिकल फर्स्ट एड देकर स्ट्रेचर पर ले जाने की बजाय उन्हें पैदल चलाकर हॉल के बैक स्टेज से बाहर निकाला और आयोजक उन्हें अस्पताल की बजाय होटल लेकर चले गये।तकलीफ़ बढ़ने पर सबको होश आया और डॉक्टर की सलाह पर जब हॉस्पिटल ले जाया गया तब तक वो दम तोड़ चुके थे।
आयोजक सिर्फ़ पैसे के भूखे..किसी मेडिकल पैरामेट्रिक्स की व्यवस्था नहीं थी।
फुल्ली ऑक्युपायड ऑडिटोरियम में ए॰सी॰ के काम नहीं करने से ऑक्सीज़न की समस्या भी हुई होगी निश्चित। उनकी मौत अप्राकृतिक है। आयोजक ने के॰के॰ की हत्या की गई है।