Vishnu Rajgadia : यह ठगी है तो इस देश में कोई है जो इसे रोके? भारत सरकार द्वारा निर्मल भारत अभियान और स्वास्थ्य अभियान चलाये जाते हैं। अमर उजाला में चार जनवरी को एक विज्ञापन आया है। कोई ”अभियान फाउंडेशन” है जो यूपी में इन योजनाओं के लिए दसवीं बारहवीं पास बेरोजगारों को 11000 तक की नौकरी देगा। कुल 33072 पद हैं। अगर वाकई नियुक्ति हुई तो हर महीने सिर्फ वेतन में 30 करोड़ खर्च होगा। साल में लगभग 350 करोड़। केंद्र या राज्य सरकार के पास ऐसी कौन सी योजना है? या कि इस ”अभियान फाउंडेशन” को सीधे कुबेर का खजाना हाथ लग गया? मजे की बात यह है कि नौकरी लगेगी यूपी में, और आवेदन जमा होगा रांची जीपीओ के पोस्ट बाॅक्स नंबर 97 में।
एक और हिसाब देखिये। 33072 पद हैं। आवेदन के साथ 300 रुपये जमा करने हैं। एक पद के लिए औसत 25 आवेदन आये तो लगभग आठ लाख आवेदन आ सकते हैं। इससे 25 करोड़ से भी ज्यादा की रकम आ सकती है। पैरवी के नाम पर कुछ बेरोजगार अपनी जमीन या जेवर भी बेच डालेंगे। यह वास्तविक नियुक्ति है या ठगी? ऐसे विज्ञापन छापने वाले अखबार का कोई दायित्व है या नहीं?
जीपीओ के पोस्ट बाॅक्स क्या ठगी का माध्यम हैं? यूपी और झारखंड की सरकारें अगर ऐसी साफ दिखने वाली ठगी को रोकने लायक नहीं तो किसी आतंकी गिरोह का मुकाबला कैसे करेगी? क्या भारत सरकार के पास ऐसा कोई इंतजाम है जो केंद्र की योजनाओं के नाम पर होने वाली ठगी को रोके? उन दसवीं-बारहवीं पास बेरोजगारों की सोचिये, जो बरसों से नौकरी की आस लगाये बैठे हैं और इस विज्ञापन से फिर एक झूठी आस लगाकर चार-पांच सौ रुपये गंवायेंगे, और कई महीनों इंतजार करेंगे। जिस समाज में शिक्षित और अग्रणी लोग ऐसी ठगी का साथ देते हों, या उसे देखकर भी अंधे बने रहते हों, वैसे समाज को धिक्कार।
वरिष्ठ पत्रकार और सोशल एक्टिविस्ट विष्णु राजगढ़िया के फेसबुक वॉल से.