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सुख-दुख

आवारा कुत्तों के नाम पर इंसानी कुत्तों का भ्रष्ट सिस्टम, डॉग स्टेरलाइजेशन में भ्रष्टाचार बच्चों की जान ले रहा!

कन्हैया शुक्ला-

आज आपको एक वीडियो जरूर देखना चाहिए .. क्योंकि आप उसी समाज के जागरूक इंसान हैं जहां कुत्तों को प्यार करने वाले और पालने वाले रहते हैं ..पर सड़कों पर आवारा कुत्ते किसकी रोज़ी रोटी हैं जिनके नाम पर कितना बड़ा भ्रष्ट सिस्टम है, ये भी जान लीजिए ..अपने गली मोहल्ले में आप हमेशा कुत्तों की संख्या को बढ़ते देखते होंगे… होना भी चाहिए .. क्योंकि डॉग स्टेरलाइजेशन के नाम पर भ्रष्ट लोगों की जेब भी भरपूर बढ़ रही है ..आपकी आंखे फट जायेंगी अगर आप ने नगरनिगम और डॉग स्टेरलाइजेशन के लिए जिम्मेदार लोगों से आंकड़ा पूछ लिया कि कितना पैसा खर्च किए हो इन आवारा कुत्तों को कम करने के लिए ..?

आवारा कुत्ते भी इस धरती पर रहने वाला एक जीव है पर कुत्तों के हमले से जब किसी बच्चे की मौत होती है या किसी परिवार के बच्चों को जिंदगी भर का दर्द मिलता है तो उस परिवार से ये बात पूछनी चाहिए कि वो कुत्तों को किस नज़र से देखता है ..क्या सिर्फ जो कुत्ता काट रहा वही जिम्मेदार है ..? या वो कुत्ते भी जिम्मेदार हैं जो कुत्तों के नाम पर आपके टैक्स के पैसों को लूट रहे हैं ..?

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गाजियाबाद में एक दर्दनाक मौत हुई है .. 8वीं में पढ़ने वाला शाहवेज की मौत उसके पिता की गोदी में हो गई..गाजियाबाद के विजय नगर में याकूब के बेटे को डेढ़ माह पहले पड़ोसी आंटी के कुत्ते ने काटा था..जिसे रेबीज नाम की बीमारी हो गई .. इस बीमारी से एम्बुलेंस में पिता की गोद में बच्चे ने दम तोड़ दिया.. नीचे दिए गए वीडियो को देख लीजिए और फिर तय करिए की क्या जिम्मेदारी होनी चाहिए कुत्तों को पालने वालों की और नगर निगम की ..?

अब बताते हैं कि ये आवारा कुत्ते किसकी जेब गर्म कर रहे हैं, किसके लिए ये बैंक बन गए हैं .. लगातार हर जिले में हर जगह आवारा कुत्तों की संख्या बढ़ती जा रही है.. पर ऐसा कैसे हो सकता है… डॉग स्टेरलाइजेशन के नाम पर तो बहुत बड़े पैमाने पर बजट खर्च हो रहा है..फिर ये कंट्रोल क्यों नही हो रहे ..?

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हमेशा देखा जाता है एक गाड़ी आती है और नगर निगम की टीम आवारा कुत्तों को उठा ले जाती है और उनका नसबंदी करके उनको वापस छोड़ दिया जाता है ..फिर ये तादाद कैसे बढ़ रही है … इनको वापस इसलिए छोड़ दिया जाता है कि डॉग्स को भी पूरा हक़ है घूमने का और वो खुले में ही रह पाते हैं ..पर हर साल करोड़ों का मेडसिन जो कुत्तों की आबादी को कंट्रोल करने के लिए नगर निगम लगाती है वो असरदार क्यों नही हो रही ..? इसका जवाब ये है कि अगर इन कुत्तों की आबादी पर नियंत्रण पा लिया गया तो मेडिसन स्प्लायर, डाक्टर, आवारा कुत्तों को उठाने वाले नगर निगम, और इस पूरे सिस्टम की जेब कैसे गर्म होगी..? सबको कमीशन कैसे मिलेगा …?

इसलिए कुत्तों का ये कुत्ता भ्रष्ट योजना हमेशा चलती रहेगी .. इसलिए आप खुद जागरूक हो जाइए और अपने बच्चों अपने परिजनों का ख़्याल रखिए कहीं ये आवारा कुत्ते जो भ्रष्ट तंत्र को पाल रहे आपको न काट लें ..!!

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देखिए ये वीडियो शायद ये दर्द नगरनिगम और कुत्तों को पालने वाले समझ सकें … https://twitter.com/Kanhaiyaa/status/1699338818925760752?t=aWfSUuEPdWpKxvu0NdwLCw&s=08

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