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बिकने के बाद भी एनडीटीवी में काम करेंगे रवीश कुमार?

Ashwini Kumar Srivastava :  ”अब तेरा क्या होगा रवीश कुमार…” एनडीटीवी पर भी कब्जा कर चुके मोदी-अमित शाह और उनके समर्थक शायद ऐसा ही कुछ डॉयलाग बोलने की तैयारी में होंगे। जाहिर है, रवीश हों या एनडी टीवी के वे सभी पत्रकार, उनके लिए यह ऐसा मंच था, जहां वे बिना किसी भय के सरकार की आलोचना या खामियों की डुगडुगी पीट लेते थे। उनकी इसी डुगडुगी को अपने लिये खतरा मानकर संघ और भाजपा के समर्थकों की नजर में ये पत्रकार और एनडीटीवी सबसे बड़े शत्रु बने हुए थे।

Ashwini Kumar Srivastava :  ”अब तेरा क्या होगा रवीश कुमार…” एनडीटीवी पर भी कब्जा कर चुके मोदी-अमित शाह और उनके समर्थक शायद ऐसा ही कुछ डॉयलाग बोलने की तैयारी में होंगे। जाहिर है, रवीश हों या एनडी टीवी के वे सभी पत्रकार, उनके लिए यह ऐसा मंच था, जहां वे बिना किसी भय के सरकार की आलोचना या खामियों की डुगडुगी पीट लेते थे। उनकी इसी डुगडुगी को अपने लिये खतरा मानकर संघ और भाजपा के समर्थकों की नजर में ये पत्रकार और एनडीटीवी सबसे बड़े शत्रु बने हुए थे।

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कौन नहीं जानता कि लोकतंत्र में पक्ष से कहीं ज्यादा जरूरी विपक्ष होता है और मीडिया के जरिये पत्रकार भी विपक्ष की ही भूमिका निभाते हैं। हालांकि यह मामूली सी समझ भी केवल उनको ही हो सकती है, जिन्हें वास्तव में देश और लोकतंत्र से प्यार होगा। सरकार के खिलाफ भी बेबाकी से बोलने एनडी टीवी जैसे मीडिया का भी यदि देश में अभाव होगा, तो वह दिन दूर नहीं जब इस देश में लोकतंत्र सिर्फ यादों में जीवित रह जायेगा। लोकतंत्र की क्या अहमियत है, यह मोदी-अमित शाह के समर्थकों को शायद तभी पता चल पाएगा, जिस दिन उनके नेता लोकतंत्र की समस्त संस्थाओं को एनडीटीवी की ही तरह खुद या अपने कारिंदों द्वारा एक एक करके निगल जाएंगे। तब तक यूं ही अच्छे दिनों के आने का जश्न मनाते रहिये… (लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार और उद्यमी अश्विनी कुमार श्रीवास्तव की एफबी वॉल से.)

Uday Prakash : तो अब एनडीटीवी भी बिक गया? ख़बर प्रामाणिक है। स्पाइस जेट मालिक अजय सिंह, जो २०१४ के चुनाव अभियान में भाजपा के सहयोगी रहे हैं, वही अब सारे सम्पादकीय अधिकारों के साथ एनडीटीवी के मालिक होंगे। (जाने माने साहित्यकार उदय प्रकाश की एफबी वॉल से.)

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Nitin Thakur : कितना सच और कितना झूठ ये नहीं मालूम लेकिन बीजेपी के समर्थक और मोदी की कैंपेनिंग में जुटी कोर टीम के मेंबर, प्रमोद महाजन के पूर्व सचिव और स्पाइसजेट नाम की सस्ती और सर्विस में बकवास (मेरी निजी राय) एयरलाइंस चलानेवाले अजय सिंह ने एनडीटीवी खरीद लिया है. अब उनके एनडीटीवी में सबसे ज़्यादा शेयर हैं. उनके पास चैनल के संपादकीय अधिकार सुरक्षित होंगे और वही तय करेंगे कि एनडीटीवी कौन सी खबर किस एंगल से चलाए. अगर वो कायदे के इंसान हुए तो एकाध परसेंट चांस ही हो सकता है कि दखलअंदाज़ी से बचें. (सोशल मीडिया के चर्चित युवा लेखक नितिन ठाकुर की एफबी वॉल से)

Om Thanvi : एनडीटीवी को ख़रीदने वाले अजय सिंह कौन हैं? वही जिन्होंने नारा गढ़ा था- अबकी बार मोदी सरकार। जी हाँ, अजय सिंह 2014 के चुनाव में भाजपा अभियान समिति के सदस्य थे। नारा सुझाने का श्रेय उन्हें दिया जाता है। अटलबिहारी वाजपेयी के ज़माने में अजय भाजपा के सामान्य सेवक थे, प्रमोद महाजन के क़रीबी। महाजन ने उन्हें अपना ओएसडी बनाया, नई संचार नीति बनाने का ज़िम्मा सौंपा। मोदी के पदार्पण पर वे उनके साथ हुए। सौदेबाज़ी और तकनीकी ‘बुद्धि’ की जितनी पहचान महाजन को थी, मोदी को उनसे कम नहीं। अजय सिंह को साथ लेकर और अब चैनल ख़रीद में आगे खड़ा उन्होंने यही साबित किया है। (वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी की एफबी वॉल से.)

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Priyabhanshu Ranjan : NDTV का भावी मालिक – अजय सिंह (भाजपाई)। News18 के अंग्रेजी और हिंदी न्यूज चैनल के अलावा पूरा ETV नेटवर्क- मुकेश अंबानी (मोदी जी का जिगरी यार)।  आजतक, India Today और ABP News —- महीने में 28 दिन ‘मोदी-मोदी’ जपेंगे और दो-तीन दिन इधर-उधर के भाजपाइयों के खिलाफ खबरें दिखाएंगे, ताकि ‘बैलेंस’ बना रहे और लोगों की नजरों में ये ‘निष्पक्ष’ बने रहने का ढोंग कर सकें। Doordarshan की तो खैर, क्या ही बताऊं। लोकसभा टीवी और राज्यसभा टीवी में भी मोदी जी और RSS के ‘चेले’ सेट कर दिए गए हैं। Times Now, Republic, Zee News और सुदर्शन न्यूज़ के आगे तो दूरदर्शन और अंबानी के चैनल भी शर्मा जाएं। अब आप खुद तय कर लें कि असल खबरें देखने के लिए आपको कौन सा चैनल देखना है! (पीटीआई के तेजतर्रार पत्रकार प्रियभांशु रंजन की एफबी वॉल से.)

Dilip Khan : पूरा मीडिया ग़लत लिख-बोल रहा है। इंडियन एक्सप्रेस ने लिख दिया तो देखा-देखी सारे अख़बार, सारी वेबसाइट्स ने छाप दिया कि “अब की बार मोदी सरकार” का नारा स्पाइसजेट वाले अजय सिंह ने लिखा था। सच ये है कि ये नारा पीयूष पांडेय का लिखा हुआ है। “अच्छे दिन आने वाले हैं” का नारा अनुराग खंडेलवाल ने दिया था। “सौगंध मुझे इस मिट्टी की, मैं देश नहीं झुकने दूंगा” प्रसून जोशी ने लिखा था। अजय सिंह कैंपेन में शामिल था, लेकिन लिखा क्या, ये मैं भी जानना चाहता हूं। अब शायद NDTV के लिए ही कुछ लिखे। एक नारा छूट रहा है। अजय सिंह चाहे तो उसपर क्लेम कर सकते हैं। शंकराचार्य वगैरह के नाक-भौं सिकोड़ने के बाद बनारस में नारे को डाइल्यूट कर दिया गया था। नारा था- हर-हर मोदी, घर-घर मोदी। इसके लेखक को मैं नहीं जानता। वेबसाइट्स वाले भेड़चाल चलने लगे हैं। देखा-देखी छापते हैं। फैक्ट्स चेक नहीं करते। (टीवी जर्नलिस्ट और सोशल मीडिया के चर्चित लेखक दिलीप खान की एफबी वॉल से.)

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Yashwant Singh : एनडीटीवी का बिकना दुर्भाग्यपूर्ण है. ऐसे दौर में जब सत्ता की पोलखोल वाली खबरों की सर्वाधिक जरूरत है, एनडीटीवी पर छापे मार मार कर उसे घुटनो के बल बैठने के लिए मजबूर करना और बिक्री के रास्ते पर ले जाना यह बताता है कि सत्ता से ताकतवर कोई चीज नहीं होती. लोकतंत्र में इस किस्म का रवैया बेहद निराशाजनक है. एनडीटीवी और प्रणय राय से मेरे लाख मतभेद रहे हों, पर एनडीटीवी का मुंह बंद करने के लिए उसे पहले डराना धमकाना फिर बिक्री के लिए दबाव डालना चौथे स्तंभ के लिए खतरनाक है. ये नए किस्म का आपातकाल ही है. ये नए किस्म का फासिज्म ही है. (भड़ास संपादक यशवंत की एफबी वॉल से.)

मूल खबर….

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