Sanjay Sharma : शुरुआती दौर में लखनऊ में हुए दर्दनाक हादसे का खुलासा पहली दृष्टि में ही फर्जी लग रहा है. एक ऐसा अनजान राजीव नाम का शख्स जिसे मृत महिला कभी नहीं मिली, उसके कहने पर रात दस बजे महिला घर से निकलती है. जो शख्स कभी नहीं मिला वो हेलमेट लगाए था. महिला ने उसका चेहरा देखने की भी जरूरत महसूस नहीं की. उसने मोटर साइकिल पर बैठने को कहा और इतनी रात को वो बिना उसका चेहरा देखे बैठ गई. कई किलोमीटर दूर जाकर एक सुनसान स्कूल में हेलमेट उतारने पर महिला ने देखा- अरे यह तो गार्ड रामसेवक है. राजीव नाम का शख्स कहीं दुनिया में ही नहीं है…
प्रेस कांफ्रेंस में तीखे सवाल पूछने पर मैडम सुतापा माइक को नवनीत सिकेरा की तरफ बढ़ाती हैं और सिकेरा उस माइक को एसएसपी प्रवीण कुमार की तरफ कर देते हैं. सिकेरा इस तरह की कई फर्जी कहानी बनाने में पहले भी माहिर रहे हैं. दो दिन से पुलिस रामसेवक जिसे हत्यारा मान रही है, अपनी हिरासत में लिए हुए है और उससे अभी तक मृतका का मोबाइल और वो हथियार बरामद नहीं कर पाई जिससे महिला की हत्या की गई थी. यह असली कहानी से ज्यादा फ़िल्मी कहानी लगती है…. धन्य है यूपी पुलिस.
लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार संजय शर्मा के फेसबुक वॉल से.
Yashwant Singh : वही हो गया जिसकी आशंका थी. लखनऊ के एसएसपी ने निर्भया लखनऊ कांड को फर्जी तरीके से खोला. पूरी कहानी फर्जी है. ये मैं नहीं, सारे मीडियाकर्मी कह रहे हैं. ये लखनऊ का एसएसपी प्रवीण कुमार पूरी तरह से सत्ता संरक्षण में खेल रहा है और असली अपराधियों को बचा रहा है. इसका इतिहास रहा है कि यह जहां पर भी रहा है वहां निर्दोष लोग जेल गए और असली अपराधी घूमते रहे. सरकार को इस आईपीएस प्रवीण कुमार को इस कदर संरक्षण मिलता है कि यह हर जगह नेताओं के इशारे पर कर्म धतकर्म करने के बाद फिर नई और बेहतर पोस्टिंग पा जाता है. ये जहां पर रहेगा, वहां महिलाएं इसी कदर असुरक्षित रहेंगी. नोएडा से लेकर मुजफ्फरनगर और फिर लखनऊ…. इसकी हर जिले में एक-सी कहानी रही है… शेम शेम प्रवीण कुमार, शेम शेम यूपी की सपा सरकार..
भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह के फेसबुक वॉल से.
Justice for Nirbhaya Lucknow : कई लोगों का सवाल है कि लखनऊ के एसएसपी प्रवीण कुमार के सस्पेंसन की ही मांग क्यों? डीआईजी, आईजी की क्यों नहीं? बहुत साफ है कि जिले में कानून व्यवस्था मेनटेन करने, हेल्दी पुलिसिंग को आगे बढ़ाने, अपराधियों को नेस्तनाबूत करने और खुफिया प्रणाली व चौकीदारी प्रणाली को दुरुस्त रखने संबंधी सारा दायित्व एसएसपी का होता है. आईजी, डीआईजी तो आफिस वर्क करने वाले होते हैं. एसएसपी प्रवीण कुमार दागी और विवादित आईपीएस है. यह सत्तापरस्त और जनविरोधी आईपीएस है. यह जहां भी तैनात रहा है वहां अपराधियों के हौसले बुलंद रहे हैं, उगाही चरम पर रही है, निर्दोषों को जेल भेजा गया है, आम जन की सुनवाई नहीं रही है. लखनऊ निर्भया कांड के बाद ऐसे दागी अफसर को लखनऊ के एसएसपी पद पर बनाए रखना यह संकेत करता है कि प्रदेश सरकार को ला एंड आर्डर से नहीं, अपने हिडेन एजेंडे से मतलब है. जिस कदर यूपी में लूटपाट सत्ता-संरक्षण में हो रहा है, उसमें आईएएस-आईपीएस तक शामिल हैं. अटैचियां यहां से वहां पहुंचाई जाती हैं और सत्ताधारियों से पद पर बने रहने का आशीर्वाद पाया जाता है. लखनऊ निर्भया कांड का मुख्य आरोपी अभी तक पकड़ में नहीं आया है. यह बताता है कि लखनऊ पुलिस फेल है. इनका कोई नेटवर्क नहीं है.
(लखनऊ की निर्भया को न्याय दिलाने के लिए बनाए गए फेसबुक पेज से)