अमर शहीद पत्रकार जगेन्द्र सिंह के परिवार द्वारा मुआवजा स्वीकार कर लेने व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की बात को मानकर उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा की जा रही जाँच से संतुष्ट होने की बात को दिल का ताड़ बनाकर पेश करने वाले साथियों से मेरा एक प्रश्न है। इन बातों को स्वीकार करने के अलावा उन गरीब, कमजोर, डरे हुए लोगों के पास क्या कोई दूसरा विकल्प था। जगेन्द्र को जिन्दा जला देने वाली घटना को आत्महत्या साबित करने में जुटी यूपी पुलिस के कार्य क्षेत्र में उनको सुरक्षित रहना है या नहीं? इनका फैसला समाजवादी पार्टी के तथाकथित गुंडों एव खाकी के द्वारा ही तो किया जाना है। जिन्दा रहना है तो बात मानो वर्ना कौन बचायेगा हम जगेन्द्र के परिवार को कही भी दोषी साबित नहीं कर सकते।
जगेन्द्र, संदीप कोठारी व अन्य घायल पत्रकार को जब तक न्याय नहीं मिलेगा, तब तक “हम न तो चैन की नींद सोयेंगे और न सोने देंगे।” हमे भारत के संविधान पर पूरा विश्वास है और न्याय पाना हमारा अधिकार।
शासन और प्रशासन द्वारा शहीद पत्रकार के परिवार को दिया मुआवजा प्रच्छन्न रूप से ये इंगित करता है कि राज्य सरकार के कद्दावर मंत्री राममूर्ति वर्मा कहीं न कहीं दोषी हैं। दोस्तों आपके आस-पास में जो भी माध्यम हो, चाहे सोशल मीडिया, प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रोनिक मीडिया, उनसे अपनी सक्रिय जिम्मेदारी को निभाना है। इस यज्ञ में आप सभी का सहयोग अनिवार्य है।