सिद्धार्थ ताबिश-
पाकिस्तान के खैरपुर के अली असग़र को वहां के लोकल लोगों ने “मज़हब की तौहीन” करने के जुर्म में “क़त्ल” कर दिया है.. अली असग़र साहब फेसबुक और दूसरे सोशल मीडिया पर “इस्लाम” की कुरीतियों पर खुलकर लिखते थे और भारत के तमाम सेक्युलर और नास्तिक लोगों से अली असग़र साहब की दोस्ती थी. चूँकि ऐसे मामले पाकिस्तान में रोज़ की बात है इसलिए ये ख़बर मेनस्ट्रीम मीडिया से ग़ायब है पूरी तरह।
सोचिये थोडा.. हम जैसे क्यूँ न हिन्दू और दूसरे लोगों की पैरवी करें और उन्हें असल धर्म निरपेक्ष और इंसानियत पसंद बताएं? आप मोमिनों को मेरा सपोर्ट सिर्फ़ आपके ऊपर ज़ुल्म और ज़्यादती के ख़िलाफ़ ही होता है और हमेशा रहेगा.. मगर आपकी मज़हबी विचारधारा पर मेरा विरोध हमेशा था और हमेशा रहेगा.. इसे अच्छी तरह समझ लीजिये।
आप की ज़िन्दगी रायगाँ (व्यर्थ) नहीं गयी अली असग़र साहब.. आप जैसे लोग “रक्तबीज” हैं.. जिस विचारधारा पर पाकिस्तान का निर्माण हुवा है, वो विचारधारा जड़ से मिटाई जायेगी भले इसके लिए कितनी कुर्बानियां लगें.. इस नापाक मुल्क को और उसको बनाने वालों को हम जड़ से मिटायेंगे.. आप भारत में होते तो आज जिंदा होते और अपनी आवाज़ बुलंद कर रहे होते.. मोमिनों के बाप दादाओं ने पाकिस्तान का ख्वाब न देखा होता तो आज आपकी नस्लें भारत में फल फूल रही होतीं.. आप जैसे भारत के हजारों साल पुराने “दर्शन” के रखवाले हैं
भेड़ियों के बीच बैठकर आपने आवाज़ बुलंद की.. इस दिलेरी के लिए मेरा आपको दिल से सलाम और विनम्र श्रधांजलि।
नमो बुद्धाय।
–सिद्धार्थ ताबिश