Connect with us

Hi, what are you looking for?

बिहार

एक कैंपस में 34 बच्चियों से बलात्कार : सरगना पत्रकार रहा है इसलिए चुप है पटना की पत्रकारिता?

anti-rape-ordinance

anti-rape-ordinance

Ravish Kumar : एक कैंपस के भीतर 34 बच्चियों के साथ बलात्कार होता रहा, बिहार सोता रहा… बिहार के मुज़फ्फरपुर में एक बालिका गृह है। इसे चलाते हैं एन जी ओ और सरकार पैसे देती है। इस बालिका गृह में भागी भटकी हुई लड़कियों को ला कर रखा जाता है, जिनका कोई ठिकाना नहीं होता है, मां बाप नहीं होते हैं। इस बालिका गृह में रहने वाली लड़कियों की उम्र 7 से 15 साल के बीच बताई जाती है।

टाटा इस्टिट्यूट ऑफ साइंस जैसी संस्था ने इस बालिका गृह का सोशल ऑडिट किया था जिसमें कुछ लड़कियों ने यौन शोषण की शिकायत की थी। उसके बाद से 28 मई को एफ आई आर दर्ज हुआ और कशिश न्यूज़ चैनल ने इस ख़बर को विस्तार से कवर किया। यहां रहने वाली 42 बच्चियों में से 34 के साथ बलात्कार और लगातार यौन शोषण के मामले की पुष्टि हो चुकी है। एक कैंपस में 34 बच्चियों के साथ बलात्कार का नेटवर्क एक्सपोज़ हुआ हो और अभी तक मुख्य आरोपी का चेहरा किसी ने नहीं देखा है। पुलिस की कार्रवाई चल रही है मगर उसी तरह चल रही है जैसे चलती है। मई से जुलाई आ गया और पुलिस मुख्य अभियुक्त ब्रजेश ठाकुर को रिमांड पर नहीं ले सकी।

Advertisement. Scroll to continue reading.

इस मामले को शिद्दत से कवर करने वाले संतोष सिंह को राजधानी पटना की मीडिया की चुप्पी बेचैन कर रही है। वे हर तरह से समझना चाहते हैं कि एक कैंपस में 34 बच्चियों के साथ बलात्कार का एक पूरा नेटवर्क सामने आया है जिसमें राजनीतिक, न्यायपालिका, नौकरशाही और पत्रकारिता सब धुल मिट्टी की तरह लोट रहे हैं फिर भी मीडिया अपनी ताकत नहीं लगा रहा है। रिपोर्टर काम नहीं कर रहे हैं। संतोष को लगता है कि पूरा तंत्र बलात्कारी के साथ खड़ा है। इस मामले को लेकर विधानसभा और लोकसभा में हंगामा हुआ है मगर रस्मे अदाएगी के बाद सबकुछ वहीं है। ख़बर की पड़ताल ठप्प है तब भी जब 11 में से 10 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं।

“जिस बालिका गृह में 42 में से 34 लड़कियों के साथ रेप हुआ हो, यह कैसे संभव है कि वहां हर महीने जांच के लिए जाने वाले एडिशनल ज़िला जज के दौरे के बाद भी मामला सामने नहीं आ सका। बालिका गृह के रजिस्टर में दर्ज है कि न्याययिक अधिकारी भी आते थे और समाज कल्याण विभाग के अधिकारी के लिए भी सप्ताह में एक दिन आना अनिवार्य हैं ।”

Advertisement. Scroll to continue reading.

यह हिस्सा संतोष सिंह के पोस्ट का है। संतोष ने लिखा है कि बालिका गृह की देखरेख के लिए पूरी व्यवस्था बनी हुई है। समाज कल्याण विभाग के पांच अधिकारी होते हैं, वकील होते हैं, समाजिक कार्य से जुड़े लोग होते हैं। एक दर्जन से ज्यादा लोगों की निगरानी के बाद भी 34 बच्चियों के साथ बलात्कार हुआ है।आप जानते हैं कि हाईकोर्ट के अधीन राज्य विधिक आयोग होता है जिसके मुखिया हाईकोर्ट के ही रिटायर जज होते हैं । बालिका गृहों की देखरेख की जिम्मेवारी इनकी भी होती है। मामला सामने आते ही उसी दिन राज्य विधिक आयोग कि टीम बालिका गृह पहुंची। उसकी रिपोर्ट के बारे में जानकारी नहीं है।

https://www.youtube.com/watch?v=vTSRTgV2mU4

Advertisement. Scroll to continue reading.

संतोष सिंह ने लिखा है कि बालिका गृह को चलाने वाला ब्रजेश ठाकुर पत्रकार भी रहा है और पत्रकारों के नेटवर्क में उसकी पैठ है। संतोष समझना चाहते हैं कि क्या इस वजह से मीडिया में चुप्पी है। बिहार के अख़बारों और चैनलों ने इस ख़बर को प्रमुखता नहीं दी। ज़िला संस्करण में ख़बर छपती रही मगर राजधानी पटना तक नहीं पहुंची और दिल्ली को तो पता ही नहीं चला। ब्रजेश ठाकुर के कई रिश्तेदार किसी न किसी चैनल से जुड़े हैं। इन रिश्तेदारों की भूमिका स्पष्ट नहीं है।

ब्रजेश ठाकुर गिरफ्तार भी हुआ मगर तीसरे दिन बीमारी के नाम पर अस्पताल पहुंच गया। अस्पताल से ही फोन करने लगा तो बात ज़ाहिर हो गई। पुलिस को वापस जेल भेजना पड़ा। ब्रजेश ठाकुर के परिवार वालों का कहना है कि रिपोर्ट में उनका नाम इसलिए आया कि उन्होंने पैसा नहीं दिया। न ही समाज कल्याण विभाग के एफ आई आर में उनका नाम है। किसी का भी नाम नहीं है। फिर उन्हें निशाना क्यों बनाया जा रहा है।इस बात की तो पुष्टि हो ही चुकी है कि 34 बच्चियों के साथ बलात्कार हुआ है। यह रिपोर्ट तो झूठी नहीं है। लेकिन 34 बच्चियों के साथ किन लोगों ने लगातार बलात्कार किया है, यह कब पता चलेगा।

Advertisement. Scroll to continue reading.

ब्रजेश ठाकुर दोषी है या नहीं, यह एक अलग सवाल है मगर जांच नहीं होगी तो पता कैसे चलेगा। जांच कैसे हो रही है, इस पर नज़र नहीं रखी जाएगी तो जांच कैसी होगी, आप समझ सकते हैं। सबके हित में है कि जांच सही से हो। संतोष सिंह ने ब्रजेश ठाकुर के रिमांड न मिलने पर भी हैरानी जताई है।

” ऐसा पहला केस देखने को मिला है जिसमें पुलिस ब्रजेश ठाकुर से पुछताछ के लिए रिमांड का आवेदन देती है लेकिन कोर्ट ने रिमांड की अनुमति नहीं दी। पुलिस ने दोबारा रिमांड का आवेदन किया तो कोर्ट ने कहा कि जेल में ही पूछताछ कीजिए । बाद में पुलिस ने कहां कि जेल में ब्रजेश ठाकुर पुछताछ में सहयोग नहीं कर रहे हैं,, दो माह होने को है अभी तक पुलिस को रिमांड पर नहीं मिला है ।” संतोष की इस बात पर ग़ौर कीजिए।

Advertisement. Scroll to continue reading.

बिहार सरकार भी इस मामले में चुप रही। टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंस ने 23 अप्रैल को बिहार समाज कल्याण विभाग को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। फिर भी कोई एक्शन नहीं हुआ। कशिश न्यूज़ ने इसका खुलासा नहीं किया होता तो किसी को भनक तक नहीं लगती और क्या पता बच्चियों के साथ बलात्कार होते रहता। एक महीने बाद समाज कल्याण विभाग एफ आई आर दर्ज करता है।

संतोष ने यह भी लिखा है कि मुज़फ्फरपुर की एस एस पी हरप्रीत कौर ने अगर सक्रियता न दिखाई होती तो इस मामले में थोड़ी बहुत कार्रवाई भी नहीं होती।

Advertisement. Scroll to continue reading.

आप इसे चाहे जैसे देखें, मगर सिस्टम में इतना घुन लग गया है कि पेशेवर तरीके से कुछ भी होने की कोई उम्मीद नहीं है। वर्षों मुकदमा चलेगा, किसी को कुछ नहीं होगा। आखिर बिहार का मीडिया और मुज़फ्फपुर का नागरिक समाज इस सवाल पर चुप क्यों है कि एक कैंपस में 34 बच्चियों के साथ बलात्कार हुआ है। उसे यह जानने में दिलचस्पी या बेचैनी क्यों नहीं है कि किन किन लोगों के सामने इन्हें डरा धमका कर पेश किया गया। क्या ये बलात्कार के लिए बाहर ले जाई गईं या बलात्कारी बालिका गृह के भीतर आए?

Santosh Singh : 58 दिनों बाद आज मुजफ्फरपुर बालिका गृह रेप मामले में सील किये गये कमरे का ताला खोला गया है और फोरेन्सिंक टीम चप्पे चप्पे पर जांच किया है। इतने दिनों के बाद कमरे कि जांच बिहार पुलिस के बेहतर अनुसंधान के दावे का माखौल ही है ना चार्जसीट पुलिस दाखिल कर दिया ऐसे में आज जो बरामद हुआ है उस साक्ष्य का वर्णन तो चार्जसीट में नहीं ही होगा। तो फिर इसका लाभ तो अभियुक्त को मिलेगा ही।

Advertisement. Scroll to continue reading.

लेकिन सबसे बड़ी बात ये रही कि आज जब कमरे को खोला गया तो हमारे उस खबर पर भी मोहर लग गयी जिसे हम 7 जून को ही दिखाये थे, बेहोश करने वाली दवा के अलावा वो गुप्त रास्ता भी मिला जिसका खुलासा मैं 7 जून को ही कर दिया था वीडियो फुटेज के साथ, लेकिन उस वक्त सारा सिस्टम मेरे इस खबर को झुटलाने में लगा हुआ था चलिए ये मेरी व्यक्तिगत जीत है।

उस बड़ा बवेला मचा था जब मैंने चलाया था कि कैसे बालिकागृह के रुम से एक गुप्त सीढी सीधे ब्रजेश ठाकुर के प्रेस में खुलता है और सारा खेल उसी कमरे में होता था। आज मुजफ्फरपुर पुलिस ने भी माना कि ये सीढी और वो रुम का इस घटना से तार जरुर जुड़ा हुआ है। वही आज पुलिस ने माना कि 34 लड़कियों के साथ रेप हुआ है जब कि अभी भी दो लड़कियों का मेडिकल जांच नहीं हो पाया है। जिस मधु को लेकर पहले दिन से मैं चर्चा कर रहा था आखिरकार आज सीनियर पुलिस अधिकारियों ने उससे पूछताछ का आदेश जारी कर ही दिया। देखिए आगे आगे होता है क्या लेकिन जब तक इस मामले का पूरी तौर पर खुलासा नहीं हो जाता है तब तक इसी तरह का दबाव बनाये रखने कि जरूरत है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

Sanjaya Kumar Singh मुजफ्फरपुर में सरकारी बालिका संरक्षण गृह में सत्ता पोषित और संरक्षित लोगों ने 34 बच्चियों के साथ बलात्कार किया। लगातार, पता नहीं कितने महीने में। अखबारों में छपी खबरों के मुताबिक, इस दौरान एक मंत्री के पति केंद्र में पहुंचते थे और सबको नीचे छोड़कर बच्चियों के पास पहुंच जाते थे। एक अधिकारी ने वहां सीसीटीवी लगवाने की मांग की थी। क्लोज सर्किट कैमरे तो नहीं लगे मामला खुला तो उसी अधिकारी को गिरफ्तार कर लिया गया। मंत्री जी का कुछ नहीं बिगड़ा।

पहले दिन टीवी पर जो विजुअल दिखा उससे लगा कि यह संरक्षण गृह एक अखबार परिसर में है। कैम्पस में खुदाई के वीडियो के साथ अखबार का नाम “प्रातः कमल” भी दिखा था। पर पहले दिन ना अखबार का नाम था ना उसके मालिक या संपादक, प्रकाशक, मुद्रक का। बाद में पत्रकार तो कहा जाता रहा पर अखबार का नाम अभी तक सार्वजनिक नहीं है। बिहार सरकार ने निष्पक्ष जांच के नाम पर मामले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की है। पर मुख्य अभियुक्त की पत्नी को मंत्रिमंडल में बनाए रखा है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

सीबीआई के पास दैनिक हिन्दुस्तान के संवाददाता की हत्या का मामला पहले से है। उसकी जांच कहां पहुंची कोई नहीं जानता। ऐसे में यह मामला सीबीआई को निष्पक्ष जांच कराने के लिए दिया जाना है या लटकाने के लिए – अंतरात्मा की आवाज पर काम करने वाले मुख्यमंत्री जानें। फिलहाल यही कहा जा सकता है कि यह मामला जितना शर्मनाक है उतना सुशासन बाबू के कार्य व्यवहार से नहीं लग रहा है।

वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार, संतोष सिंह और संजय कुमार सिंह की एफबी वॉल से.

Advertisement. Scroll to continue reading.

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement