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क्या मोदी के लिए काम करती हैं एएनआई वाली स्मिता प्रकाश? पढ़ें, सोशल मीडिया पर क्या है चर्चा!

Shesh Narain Singh : कृपया किसी इंटरव्यू के हवाले से Smita Prakash की निष्पक्षता पर सवालिया निशान न लगाएं। मैं स्मिता प्रकाश को जानता हूँ, वे ANI की शीर्ष पत्रकार और संचालक हैं। ANI की लाइव फीड बहुत सारे चैनल इस्तेमाल करते हैं। टीवी डिबेट में मैने कई बार स्मिता के साथ चर्चा की है। निष्पक्ष रहती हैं। जहां तक प्रधानमंत्री के इंटरव्यू का सवाल है कोई भी चैनल हेड इंटरव्यू करेगा अगर उसको मौक़ा मिले। अब कोई यह मत कहने लगियेगा कि, ” मैं तो न करता अगर सवाल फिक्स होते ” क्योंकि हमको आपको पूछ कौन रहा है।

Devendra Surjan : स्मिता प्रकाश मोदी के लिए काम करती हैं. रॉफेल प्रमुख से भी उन्होंने इसी तरह का इंटरव्यू लिया था. इन्हें प्रतिप्रश्न करने और तह में जाने से परहेज है. अमेरिका में ए एन आई की जो बाईट चलाई जाती हैं वे सब भाजपा के लिए माहौल बनाने और संघ के लिए चंदा उगाहने की नीयत से चलाई जाती हैं. यह भी अंदर से संघी है, भले ही ऊपरी तौर पर आपको निष्पक्ष लगती हों.

Rama Shankar Singh : स्मिता प्रकाश का कुलजमा रुख तो मोदी से ईमानदार, अच्छे, असहज करने वाले प्रश्न का नहीं रहा है। वे मोनोलॉग कराती हैं, प्रतिप्रश्न नहीं करतीं । जबाब के तह में नहीं जातीं और नुद्दों पर धूल डालने के प्रयासों में सहभागिता करती हैं। आखिरकार मोदी सिर्फ उन्हीं से इतने सहज क्यों है ?

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Virendra Yadav : साक्षात्कार में प्रश्न प्रतिप्रश्न साथ साथ चलता है। यहां उसका अभाव है। जी वाले सुधीर चौधरी को भी पकौड़ा वाला इंटरव्यू दिया था चौकीदार ने। अभी साउदी में दिये साक्षात्कार को खुद इंटरव्यू करने वाला पत्रकार बताया है कि सवाल पहले मांग लिये गये थे। इसे क्या कहेंगे ? देशी पत्रकारों में झोल है! मार्क टूली अंग्रेज हैं, उन्हीं को चौकीदार इंटरव्यू दे देते। लेकिन वहां भी करण थापर कंठ में व्याप जाता। इस खतरे से बच निकलने में समझदारी है।

Jaishankar Gupta : इसे थर्ड रेट नहीं तो फर्स्ट रेट इंटरव्यू तो कतई नहीं कहा जा सकता। चुनाव के समय जिन सवालों पर आप घिर रहे हैं, उन पर एकालाप के जरिए इसे चुनाव प्रचार भी कह सकते हैं। सर्जिकल स्ट्राइक और नोटबंदी के बाद आतंकवाद और नक्सलवाद की कमर टूट जाने के दोवे की पृष्ठभूमि में सवाल तो बनता था कि अभी भी क्यों हमारे जवान और नागरिक शहीद हो रहे हैं। रफायेल पर यह प्रति प्रश्न तो बनता ही था कि जब सीएजी ने अभी तक कोई रिपोर्ट दी ही नहीं तो सरकार ने ऐसी कौन सी लिफाफाबंद सीएजी रिपोर्ट दिखाकर सुप्रीम कोर्ट को भ्रमित किया। महागठबंधन को बेमेल विचारों का अवसरवादी, भ्रष्ट गठबंधन बताने वाले प्रधानमंत्री से यह सप्लीमेंट्री सवाल तो बनता था कि राजग में जिन चार दर्जन घटक दल शामिल हैं उनमें से कितनों के साथ भाजपा के विचार मिलते हैं। कोई भाजपा को ‘भारत जलाओ पार्टी’ कहता था तो कोई ‘संघ मुक्त भारत’ की बात करता था, प्रधानमंत्री उसका और उसके सूबे का डीएनए जानना चाहते थे, कोई कश्मीर के लिए स्वायत्त राज्य की बात करता था तो सबसे पुराना सहयोगी सरकार में रहते हुए भी कह रहा है कि ‘चौकीदार चोर’ है। जब प्रधानमंत्री अगस्ता हेलीकॉप्टर डील में कथित आरोपी के पक्ष में एक पार्टी के वकीलों के खड़ा होने पर कटाक्ष करनेवाले प्रधानमंत्री से यह प्रति प्रश्न तो बनता ही था कि ललित मोदी, विजय माल्या, नीरव और मेहुल को किन नेताओं, वकीलों का साथ सहयोग मिला। विदेशी दौरों पर वाहवाही के लिए खुद की पीठ थपथपाने वाले प्रधानमंत्री से यह तो पूछा ही जाना चाहिए था कि पड़ोस के किस देश से हमारे रिश्ते पूर्ववत प्रगाढ़ कहे जा सकते हैं। डोकलाम पर वस्तुस्थिति क्या है। क्या पाकिस्तान के साथ एक और युद्ध की प्रधानमंत्री की मंशा है! यह सारे और इस तरह के और भी कई प्रति प्रश्न प्रधानमंत्री से किए जा सकते थे, बशर्ते कि प्रश्नकर्ता भक्तिभाव से मुक्त हो और उससे भी अधिक यह कि प्रति प्रश्न की गुंजाइश हो। फिलहाल, किसी प्रधानमंत्री के अपने कार्यकाल के पौने पांच साल तक एक भी खुला संवाददाता सम्मेलन नहीं करने का रेकार्ड तो मोदी जी के पास ही सुरक्षित रहेगा।

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Sunil Thapar : fixed tha interview …..asli interview to Karan Thapar ne liya tha ….jab 3 min. ke interview main modi ji ko paani peena pad gaya tha ….aur wo bhag khade huye the …..waise bhi ANI ke interview main real issues gayab thei…

Atul Sinha : सबकुछ फिक्स और प्लानिंग के साथ किया गया है.. ये कहने की जरूरत नहीं… उन्हें मन की बात करनी है…राष्ट्र के नाम संदेश के लिए 2019 के पहले दिन से बेहतर क्या हो सकता है… अब इसके मायने लोग निकालते रहें….

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Manoj Malayanil : एएनआई के इंटरव्यू में पीएम मोदी ने जिन सवालों का जवाब दिया है, बीजेपी प्रवक्ता सिर्फ उसे ही रट लें तो इतने से भी वो बीजेपी का बहुत भला कर देंगे! पीएम मोदी से पूछा गया कि आपके शासन के क़रीब साढ़े चार साल हो रहे हैं, आपको किसी बात का रिग्रेट या मलाल है? मोदी ने कहा कि ‘मैं जिस बैकग्राउंड से आया हूँ, शायद उसकी वजह से दिल्ली के इलीट क्लास यानी कुलीन या संभ्रांत वर्ग का दिल नहीं जीत पाया, मैं अभी भी उनका दिल जीतने की कोशिश करूँगा’. ये कुलीन वर्ग कभी नहीं आपका होगा मिस्टर प्राइम मिनिस्टर।कोई भी ऐसी कोशिश समय की बर्बादी होगी।

Vijay Shanker Singh : ब्रेकिंग खबर, यह नहीं कि उन्होंने क्या कहा। ब्रेकिंग ख़बर यह है कि, उन्होंने पहलीबार इंटरव्यू दिया। सरकार बनने के बाद। प्रधानमंत्री जी, राष्ट्रीय मीडिया जिसमें सभी प्रमुख चैनल और सभी राष्ट्रीय अखबारों के संवाददाता हों के समक्ष सरकार की उपलब्धियों के बारे में एक खुला इंटरव्यू कम से कम एक घन्टे का क्यों नहीं देते हैं। उस इंटरव्यू में उनकी सहायता के लिये वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे। हो सकता है कुछ सवालों के उत्तर उन्हें न पता हों या न देना चाहें या उनका जवाब देना देशहित में न हो तो वे उसे मना कर दें। पर इतने अधिक लोकप्रिय पीएम का अब तक दो ही इंटरव्यू देना, एक प्रसून जोशी को लंदन में, दूसरा स्मिता प्रकाश को दिल्ली मे यह जनसंवाद नहीं है। यह दोनों स्पॉन्सर्ड वार्तालाप सरीखे है। लगता है, पेपर सेट है, सवाल पता है, फिर भी परीक्षा में अगर नर्वसनेस है तो क्या कहा जाय। इंटरव्यू के लिये थोड़ी तैयारी की और ज़रूरत है। सरकार की उपलब्धियां भी तो कम नहीँ हैं। उन्हें खुल कर बताया जा सकता है। फिर एक खुला इंटरव्यू देने में क्या दिक्कत है, सर। एक इंटरव्यू करन थापर का भी था। पानी पी, दोस्ती बनी रहे कह कर जो गये, लौटे ही नहीं। आज तक करन बाकी सवाल पूछने की प्रतीक्षा में हैं। वैसे नोटबंदी पर ताजे इंटरव्यू में प्रधानमंत्री जी ने बिल्कुल सही कहा है, “नोटबंदी कोई झटका नहीं था, हमने लोगों को पहले ही चेता दिया था.” बस यह वे गोल कर गए या स्मिता प्रकाश यह पूछना भूल गयीं कि चेताया किन लोगों को था। फिर भी, जिसे उन्होंने चेताया था, उनके लिये तो यह वाकई कोई झटका नहीं था।

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Surya Pratap Singh Ias : PM मोदी का एकतरफा इंटरव्यू (Monologue)एक तरह का फेयरवेल भाषण से ज्यादा और कुछ नहीं था। आज PM ने साफ कर दिया कि राममंदिर पर अध्यादेश नहीं आएगा….फिर SC/ST एक्ट में संसोधन के लिए अध्यादेश लाने में कैसे तत्परता दिखाई गई, अपनी वफादार स्वाभिमानी कौमों पर ही डंडा चलाना आसान लगा। जनता को बड़े सलीक़े से झूठ बोल कर मूर्ख बनाया था, जनता ने इनके झूठ को सच मानकर एतवार भी कर लिया … लेकिन झूठ की फ़ितरत की बोल खुल चुकी है .. काठ की हांडी बार-२ नहीं चढ़ती। ये तय है कि स्वाभिमानी कौमें या तो नोटा का सोटा चलाएंगी या फिर किसी अन्य पार्टी के ईमानदार/योग्य व्यक्ति को वोट देकर अपने साथ हुए धोखे का बदला लेने को व्याकुल हैं।

Murari Tripathi : इंटरव्यू में पीएम बोले- 2019 का चुनाव जनता बनाम महागठबंधन… मतलब बीजेपी ही जनता है. बाकी सब भ्रष्ट हैं. वो अलग बात है कि पिछले साढ़े चार साल में 56 इंची सीने वाले प्रधानमंत्री एक भी भ्रष्ट को सलाखों के पीछे नहीं डाल पाए हैं. पीएस- प्रधानमंत्री के साक्षात्कार असल में PR होते हैं. इसलिए इन्हें तथाकथित साक्षात्कार कहा जाना चाहिए. साक्षात्कर्ता एक भी क्रिटिकल प्रश्न नहीं पूछता. बाकी तो पीएम खुद ही प्रेस कांफ्रेंस नहीं करते. वे सिर्फ मन की बात करते हैं और चाटुकारों को साक्षात दर्शन देते हैं. मोदी ने अपने सो काल्ड इंटरव्यू में बोला कि राफेल पर सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सरकार को क्लीन चिट दी है. ये साफ-साफ झूठ है. अव्वल तो सरकार ने कथित टाइपो एरर कर सुप्रीम कोर्ट को गलत जानकारी दी. दूसरा, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राफेल मामले की जांच उसके कार्यक्षेत्र में नहीं है. इसमें क्लीन चिट का जिक्र कहीं भी नहीं है. अब अगर प्रेस कांफ्रेस होती तो कोई पत्रकार मोदी के इस झूठ पर सवाल पूछ सकता था. लेकिन ये तो फिक्स इंटरव्यू था, इसलिए कोई सवाल नहीं पूछा गया.

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Shambhu Nath Choudhary : आम चुनाव का अनौपचारिक ऐलान… 1 जनवरी, 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इंटरव्यू के साथ देश में आम चुनाव का अनौपचारिक तौर पर ऐलान हो गया है। इस इंटरव्यू के कुछ निहितार्थ यूं हैं… चुनाव तक राम लला टेंट में ही रहेंगे। चुनाव में मंदिर का मुद्दा जोरदार तरीके से उछलेगा और यह नैरेटिव स्टैब्लिश करने की कोशिश होगी कि राम मंदिर की राह में सबसे बड़ी बाधक अगर कोई है, तो वह है कांग्रेस। इस बार का चुनावी युद्ध मुख्य तौर पर ‘राफेल बनाम अगस्टा’ होगा। मोदी चुनावी सभाओं में कांग्रेस पर हमलावर होंगे, लेकिन पिछली बार की तरह इस बार कांग्रेस मुक्त भारत का दावा नहीं करेंगे। मोदी की ‘चाय वाला’ और ‘गरीब का बेटा’ वाली छवि इस बार भी चमकायी जायेगी। उनकी गरीबी वाली पृष्ठभूमि और संघर्ष के किस्से फिर से प्रमुखता के साथ सामने आयेंगे। टैक्सपेयर्स मिडिल क्लास को राहत देने के लिए बजट में लुभावनी घोषणा होगी.

सौजन्य : फेसबुक

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