मजीठिया वेज बोर्ड न मिलने से नाराज मीडियाकर्मियों ने पीएम मोदी के खिलाफ राहुल गांधी को पत्र भेजा… पीएम नरेंद्र मोदी अपने मूल स्वभाव में एलीट समर्थक और आम जन विरोधी हैं. यही कारण है कि वे हर मसले पर साथ बड़े लोगों का लेते हैं और छोटे लोगों को उनके हाल पर मरने-तपड़ने के लिए छोड़ देते हैं. पीएम मोदी ने मीडिया मालिकों को खासतौर पर साध रखा है ताकि मीडिया उनके भोंपू की तरह काम करे और बदले में वे मीडिया मालिकों के अत्याचार-अनाचार से आंख मूंद लेते हैं.
यही कारण है कि देश के संसद और सुप्रीम कोर्ट से पारित-अनुमोदित होने के बावजूद मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों को किसी संस्थान ने पूरी तरह से लागू नहीं किया.
हिंदी अखबारों का खासतौर पर बुरा हाल है. यहां जो मजीठिया वेज बोर्ड मांगता है उसे या तो नौकरी से बर्खास्त कर दिया जाता है या फिर कहीं दूर तबादला कर दिया जाता है ताकि वह खुद ही परेशान होकर अखबार को अलविदा कह दे.
इसके बावजूद देश भर में हजारों मीडियाकर्मी मजीठिया वेज बोर्ड की लड़ाई लड़ रहे हैं और अपने अधिकार-हक के लिए अपने अपने मीडिया मालिकों के खिलाफ झंडा बुलंद किए हुए हैं.
नया डेवलपमेंट ये है कि मोदी सरकार से निराश मजीठिया क्रांतिकारियों ने राहुल गांधी को पत्र भेजना शुरू किया है ताकि इंसाफ की लड़ाई को आगे बढ़ाया जा सके और अब तक मीडियाकर्मियों से मुंह फेरे मोदी को सबक सिखाया जा सके.
मजीठिया मामले में देशभर के मीडियाकर्मियो ने राहुल गांधी को पत्र भेजा
जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश सभी समाचार पत्रों में लागू कराया जाए। इस मांग को लेकर देश भर के मीडियाकमिर्मयों ने एक मूहिम की शुरुआत की और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी को अलग अलग मेल भेजकर अपनी समस्या से उन्हें अवगत कराया। देशभर के सैकड़ों मीडियाकर्मियों ने आज १० जनवरी को इस मुहिम की शुरुआत की और राहुल गांधी को तथा उनके मीडिया सलाहकार को यह मेल भेजा। इस दौरान राहुल गांधी से मांग की गयी कि कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को मजीठिया वेतनमान लागू कराने के लिए निर्देशित करें तथा केंद्र की एनडीए सरकार पर दबाव बनाकर देश के सभी अखबार और न्यूज एजेंसियों में वेतनमान लागू कराया जाए। मीडियाकर्मियों ने उनसे यह भी मांग की कि संसद के अगले सत्र में कांग्रेस की ओर से इस मुद्दे को हजारों श्रमजीवी पत्रकारों और गैर पत्रकारों की ओर से आप स्वयं उठाएं। साथ ही साल २०१९ में होने वाले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के घोषणापत्र में मजीठिया वेतनमान की अनुशंसाएं लागू कराने का मुद्दा भी शामिल किया जाए।
देखें वो फार्मेट जिसे भर कर हर एक मजीठिया क्रांतिकारी राहुल गांधी को पत्र मेल से भेज रहा है….
मजीठिया: मैं भी भेजूंगा, आप भी जरूर भेजिए राहुल गांधी को पत्र
सभी के लिए आवश्यक
साथियों, गुरुवार 10 जनवरी को देशभर में मजीटिया की एक मुहिम चलेगी। इसमें आपकी भागीदारी भी अनिवार्य है।
आपको ये करना है।
नीचे कांग्रेस अध्य्क्ष राहुल गान्धी के 2 मेल आईडी और मेल का टेक्स्ट दिया जा रहा है। हरेक साथी को इसमें अपना नाम, जगह का नाम और संस्थान का नाम आदि लिखकर इन दो मेल आईडी पर सेंड करना है। आपके ज्यादा से ज्यादा मेल हमारी मुहिम को प्रभावी बनाएंगे। इसलिए फैसला आपकी आत्मा पर छोड़ रहे हैं कल इन आईडी पर मेल जरूर करे।
[email protected]
[email protected]
मेल के subject में लिखे ….. मजीठिया वेतन आयोग की अनुशंसाओं के संबंध में
..…….…………,
सेवा में,
माननीय श्री राहुल गांधी जी
अध्यक्ष, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी एवं संसद सदस्य, नई दिल्ली
विषय: श्रमजीवी पत्रकार एवं गैर पत्रकारों के लिए यूपीए सरकार द्वारा लागू मजीठिया वेतन आयोग की अनुशंसाओं के संबंध में।
महोदय,
विगत दिनों आपने राफैल घोटाले को लेकर संसद से लेकर सड़क तक जिस तरह से जनता की आवाज को उठाया है, निश्चित रूप से यह साहसिक और प्रेरणादायी कदम है। हमें यह कहते हुए बड़ा खेद हो रहा है कि देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी आम जनता के प्रति जिम्मेदार न होकर अपने चंद उद्योगपति दोस्तों के हित साधने में लगे हुए हैं। दुर्भाग्य से श्रमजीवी पत्रकार एवं गैर पत्रकारों के लिए नवंबर साल 2011 में यूपीए सरकार द्वारा लागू मजीठिया वेतन आयोग की अनुशंसाओं का मामला भी श्री नरेंद्र मोदी और उनके उद्योगपति मित्रों की सांठगांठ का शिकार हो गया है। दुखद बात यह है कि अखबार मालिकान कानून को ताख पर रखे हुए हैं और अपने यहां न्यूनतम वेतन का कानून भी नहीं मान रहे हैं। सरकार भी मौन है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी अपने अखबार मालिक मित्रों के हितों को साधने के लिए हजारों श्रमजीवी पत्रकार एवं गैर पत्रकारों का हक छीन रहे हैं। केंद्र और विभिन्न् राज्यों में शासित भाजपा सरकार मालिकों के हितों की रक्षा के लिए कवच बनकर खड़ी हो गई है।
महोदय हम आपको अवगत कराना चाहेंगे कि अखबार मालिकों और उद्योगपतियों के भारी दबाव के बाद भी कांग्रेस नीत यूपीए सरकार ने लम्बे समय से शोषण का शिकार होते आ रहे श्रमजीवी पत्रकारों और गैर पत्रकारों के लिए 11 नवम्बर 2011 को मजीठिया वेतन आयोग की अनुशंसाओं को लागू किया था। इसमें तत्कालीन यूपीए अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी ने भी विशेष रूचि लेकर इन अनुशंसाओं को लागू कराया था। अखबार मालिकों ने इस लोक कल्याणी फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती भी दी लेकिन तत्कालीन यूपीए सरकार ने दृढतापूर्वक माननीय सुप्रीमकोर्ट में अपना पक्ष रखा,जिससे फैसला पत्रकारों और गैर पत्रकारों के हक में आया।
सुप्रीम कोर्ट ने 7 फरवरी 2014 को अपने फैसले में अखबार मालिकों को पूर्ण रूप से मजीठिया वेतन आयोग की अनुशंसाएं लागू करने का आदेश दिया। दुर्भाग्य से इस फैसले के बाद केन्द्र और अधिकांश राज्यों में भाजपा की सरकार होने से अब तक इस फैसले पर अमल नहीं हो सका है। ज्ञात हो कि मजीठिया वेतनमान की अनुशंसाओं को लागू कराने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है। राज्य सरकार को ही इस फैसले का क्रियान्वयन कराना है। सौभाग्य से मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की सरकार को जनादेश मिला है और तीनों राज्यों में वर्तमान में कांग्रेस की सरकार काबिज है। आपके विचार में एक महत्वपूर्ण तथ्य लाना चाहते हैं कि मजीठिया वेतनमान की अनुशंसाएं अखबार प्रबंधन को लागू करना है। इसमें राज्य सरकार के वित्तीय बजट पर कोई भार नहीं आएगा। अत: आपसे विनम्र आग्रह है कि यूपीए सरकार के इस ऐतिहासिक फैसले को लागू कराने में आप अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करते हुए निम्नलिखित मांगों को पूरा कराने का कष्ट करेंगे।
- 1 कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को मजीठिया वेतनमान लागू कराने के लिए निर्देशित करें।
- 2 केंद्र की एनडीए सरकार पर दबाव बनाकर देश के सभी अखबार और न्यूज एजेंसियों में वेतनमान लागू कराया जाए।
- 3 संसद के अगले सत्र में कांग्रेस की ओर से इस मुद्दे को हजारों श्रमजीवी पत्रकारों और गैर पत्रकारों की ओर से आप स्वयं उठाएं।
- 4 साल 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के घोषणापत्र में मजीठिया वेतनमान की अनुशंसाएं लागू कराने का मुद्दा भी शामिल किया जाए।
नाम-
पद-
स्थान-
संस्थान का नाम-
मोबाइल नम्बर-
निवास का पता-
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यूनियन का नाम-
पद-
स्थान-
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