गिरीश मालवीय-
हम बोलेगा तो बोलोगे कि बोलता है ! पिछले साल अक्टूबर से बिजली संकट पूरे देश में गहरा रहा है सरकार दरअसल हजारों यात्री ट्रेनों को निरस्त कर कोयला ले जाने वाली मालगाड़ियों के रास्ता देकर जैसे तैसे बड़े शहरों में विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित कर रही है लेकिन अब पानी सर तक आ गया है।
मोदी सरकार ने पिछले महीने बोल भी दिया है कि जून से विदेश से कोयला मंगा लो (अडानी को ठेके देकर ) हम कोल इण्डिया से अब और आपूर्ति नहीं करा पाएंगे। अभी से समझ लीजिए कि जुलाई अगस्त में क्या होने जा रहा है।
इस देश में ‘खुल्ला खेल अहमदाबादी’ चल रहा है, कल खबर आई कि भारत की सबसे बड़ी बिजली उत्पादन कंपनी एनटीपीसी लिमिटेड ने अडानी एंटरप्राइजेज को कोयला आयात करने के लिए साढ़े छ हजार करोड़ रुपए के कॉन्ट्रैक्ट दिए हैं। ….इसके अलावा अनेक भाजपा शासित राज्यो से भी अडानी को कोयला आयात करने के आर्डर दिए जा रहे हैं
लेकिन एक बात बताइए कि जब कोयला भारत में भरपूर मात्रा में उपलब्ध है तो फिर ऐसे ऑर्डर क्यों दिए जा रहे हैं ?
यही वो खेल अहमदाबादी है जिसकी हम बात कर रहे हैं …..ऐसे ऑर्डर मोदी सरकार के निर्देश पर दिए जा रहे हैं, 2022 में अभूतपूर्व बिजली संकट खड़ा कर दिया गया है, इस संकट के लिए मोदी सरकार की हीला हवाली जिम्मेदार है ……इस पॉवर क्राइसिस के चलते मोदी सरकार अब राज्यों पर किसी भी कीमत पर कोयला आयात का दबाव बनाने में जुट गई है हर दो दिन में चिट्ठी लिखी जा रही है कि विदेश से चार गुना दाम पर कोयला मंगाओ…… नीचता की हद यहां तक है कि केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने आदेश जारी करके चेताया है कि जो राज्य कोयला आयात नहीं करेंगे उनके घरेलू कोयले के आवंटन में 40 फीसदी तक की कटौती कर दी जाएगी।…..
यानि जो विदेश से ( अडानी से ) कोयला नही मंगाएगा उसे कोल इंडिया से भी कोयला नही दिया जायेगा ?
हालत यह है कि छत्तीसगढ़ जेसे राज्य में जहां भरपूर मात्रा में कोयला मौजूद हैं उसे भी विदेशी कोयला आयात करने को कहा जा रहा है !……..
मोदी सरकार द्वारा सभी राज्यों की बिजली उत्पादन कंपनियों और निजी बिजली उत्पादकों को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि राज्यों के जिन बिजलीघरों ने 3 जून तक कोयला आयात करने के लिए टेंडर की प्रक्रिया प्रारंभ नहीं की है अथवा आयातित कोयले के लिए कोल इंडिया को इंडेंट नहीं दिया है। उनके घरेलू कोयले के आवंटन में 7 जून से 30 प्रतिशत कटौती कर दी जाएगी। पत्र में कहा गया है कि कोयला आयात न करने पर 15 जून से घरेलू कोयला आवंटन में कटौती बढ़ाते हुए 60 प्रतिशत ही आवंटन किया जाएगा।
कमाल की बात यह भी है कि सरकार दावा करती है कि कोल इंडिया का उत्पादन पिछले वर्ष के मुकाबले बढ़ा है और कोयले का कोई संकट नहीं है। दूसरी ओर अब केंद्र सरकार राज्यों से कोयला आयात करने को कह रही है। और वो भी चौगुने दामों पर !…..
हम जानते है कि कोयला के आयात का एकमात्र खिलाड़ी है गौतम अडानी ……उसी के पास विदेशों में कोयले की खदानें है तो जाहिर है कि कोयला उसी से मंगवाया जायेगा ……..
2014 में मोदी जी ने बीच में पड़कर आस्ट्रेलिया में करमाइल की कोयला खदान का सौदा करवाया था, पूरी दुनिया में उसे कोई लोन नहीं दे रहा था तो एसबीआई से उसे लोन दिलवा कर खदान खरीदवाई गई दो महीने पहले की खबर है कि उस खदान में उत्पादन शुरू हो गया है
कुछ आया समझ में ‘ खेल अहमदाबादी’ ?
यह फैसला सिर्फ मध्यप्रदेश में ही नही होगा बल्कि यही फैसला धीरे धीरे पूरे देश में लागू होगा ……. और इसका सबसे बड़ा असर गरीबो पर पड़ेगा, किसानो पर पड़ेगा !……
पत्रिका की खबर बताती हैं कि अब तक कई प्रकार से बिजली उपभोक्ताओं को मप्र में सब्सिडी दी जा रही थी, जिसमें Atal Grah Jyoti Yojana के तहत 100 रुपये में 100 यूनिट बिजली दी जा रही है इसके अलावा 150 यूनिट तक बिजली खर्च करने वाले उपभोक्ताओं को इंदिरा ज्योति योजना के तहत सब्सिडी दी जाती है। बीपीएल उपभोक्ताओं को टैरिफ के आधार पर सब्सिडी दी जा रही है। किसानों को सिंचाई के लिए मोटर के हॉर्स पावर के अनुसार सब्सिडी दी जाती है। उद्योग समेत सोलर और अन्य श्रेणी के उपभोक्ताओं को भी सब्सिडी मिलती है। लेकिन अब मप्र का हर बिजली उपभोक्ता अपना पूरा बिना सब्सिडी वाला बिल भरेगा, जिसके पश्चात बैंक खाते में सब्सिडी को डाला जाएगा।
मोदीजी ने अपने फाइनेंसर अडानी के झारखण्ड वाले पॉवर प्लांट से बांग्लादेश को बिजली खरीद का समझौता करवा तो दिया लेकिन अब बंगलादेश भी मुकर रहा है
बता रहे हैं Pushp Ranjan जी……
2015 में प्रधानमंत्री मोदी की बांग्लादेश यात्रा में जो प्रमुख समझौते हुए, उसमें से एक अडानी पावर के लिए रास्ता बनाना था. तब झारखण्ड के गोड्डा में अडानी द्वारा 1600 मेगावाट क्षमता का थर्मल पावर प्लांट लगाने, और वहां से बांग्लादेश बिजली सप्लाई का अहद किया गया था. 2017 में इस समझौते पर मुहर लगी. यह तय हुआ कि दिसंबर 2021 से अगले 25 वर्षों तक अडानी पावर, गोड्डा प्लांट से बांग्लादेश 1,496 MW बिजली की सप्लाई करती रहेगी.
पावर ग्रिड कंपनी ऑफ़ बांग्लादेश (PGCB) को 28 किलोमीटर ट्रांसमिशन लाइन रोहनपुर इंटर-कनेक्शन सब-स्टेशन तक तैयार करनी थी. 225 . 2 करोड़ का प्रोजेक्ट समय पर पूरा हुआ नहीं. PGCB अब दिसंबर 2022 तक समय मांग रहा है. इधर अडानी पावर को भी गोड्डा से 106 किलोमीटर 400 kV वाली पारेषण लाइन समय पर तैयार करने में देरी हुई थी.
बांग्लादेश को अब कष्ट हो रहा है कैपेसिटी चार्ज देने में, जो प्रति यूनिट 3. 26 टाका है. जबकि यही दर बांग्लादेश में उत्पादित बिजली के वास्ते 2.83 टाका निर्धारित है. बांग्लादेश, ‘नो इलेक्ट्रिक नो पेमेंट’ वाली शर्तें समझौते में नहीं डलवा पाया था.
बांग्लादेश में पावर जनरेशन की जानकारी रखने वाले इंजीनियर हसन मेहदी बताते हैं, ‘ समझौते में जो ‘कैपेसिटी चार्ज’ निर्धारित है, उसपर अमल होने का मतलब है, 25 वर्षों में एक लाख करोड़ अतिरिक्त चार्ज अडानी के झोले में डाल देना. इतने पैसे में पदमा नदी पर दो बड़े पुल बन जायेंगे. ‘
अडानी पावर ने इस प्रोजेक्ट में जो निवेश किया है, छह वर्षों में उसे पैसा वसूल कर लेना है. बाक़ी 19 साल मुनाफा-ही-मुनाफा है. सोचिये, इस तरह के कितने प्रोजेक्ट ‘हम दो – हमारे दो’ के पास होंगे? विदेश में ढोल यों ही नहीं बजाये जाते!…….
Holash
June 11, 2022 at 8:22 am
Or kisi tarah ki juthi khbor ho to wo post kro…bina kisi tathyao ke post kr dete ho..