मोदी सरकार के राज में सत्ता विरोधी सुर रखने वाले न्यूज चैनलों / पत्रकारों को एक-एक कर निपटाया जा रहा है. एबीपी न्यूज से पुण्य प्रसून बाजपेयी को हटाया गया ताकि वह मास्टर स्ट्रोक जैसा जनपक्षधर शो न कर सकें. इसके पहले उनके शो के वक्त प्रसारण में लगातार व्यवधान पैदा किया गया जिससे जनता देख ही न सके…
पुण्य के निपटाए जाने के बाद एबीपी न्यूज पर अब मोदी के नीतियों में कोई खामी ढूंढने वाला पत्रकार बचा नहीं है… बचा केवल एनडीटीवी तो इसका भी इंतजाम कर दिया गया है… यह चैनल पंद्रह सितंबर से फ्री टू एयर नहीं रहेगा… जो इस चैनल को देखने के लिए पैसा देगा, वही इसे देख सकेगा. जाहिर है, करोड़ों ग़रीब जो फ्री वाला डिश लगाए हैं, अब इस चैनल को देखने से वंचित रह जाएंगे.
इस तरह रवीश कुमार की पहुंच यानि रीच बेहद कम हो जाएगी. इससे मोदी सरकार काफी राहत महसूस करेगी. हालांकि सवाल यही है कि क्या सत्ता के दबाव के आगे झुकने के कारण प्रणव राय ने ये फैसला लिया है? कायदे से तो लोकसभा चुनाव से ठीक पहले चैनलों को पेड से फ्री टू एयर करना चाहिए ताकि वे ज्यादा से ज्यादा दर्शकों तक पहुंच कर अपने आधार में इजाफा कर सकें और अपनी ब्रांडिंग बढ़ा सकें…
पर इसके उलट अब जब चुनाव की तैयारी शुरू हो चुकी है और लोग न्यूज चैनलों की डिबेटों को गौर से देख सुन रहे हैं, एनडीटीवी का पेड हो जाना बताता है कि कहीं न कहीं इस चैनल का प्रबंधन सत्ता के दबाव में काम कर रहा है. पंद्रह सितंबर से एनडीटीवी के पेड होते ही रवीश कुमार का प्राइम टाइम शो बेमानी हो जाएगा क्योंकि यह केवल उन कुछ एलीट सेक्शन में ही देखा जाएगा जो पार्टिकुलर एक चैनल को देखने के लिए पे करता है. कह सकते हैं कि सत्ताधारी भाजपा ने बड़े कायदे से एक और चैनल को पटा लिया है.
एनडीटीवी और रवीश कुमार पंद्रह सितंबर से निपट जाएंगे. दरअसल एनडीटीवी के मालिक प्रणव राय के ढेर सारे धत्करम हैं जिसकी फाइल पीएमओ में है. इस फाइल के डर से एनडीटीवी का प्रबंधन सरकार के सामने झुकने को मजबूर हो जाता है. ज्ञात हो कि आईआरएस संजय श्रीवास्तव ने प्रणव राय के सारे धत्करम की जांच कर एक विस्तृत रिपोर्ट बनाई थी.
इस रिपोर्ट से पता चला कि प्रणव राय ने ढेर सारा ब्लैकमनी को ह्वाइट किया है. साथ ही उन्होंने कांग्रेसी सरकार के जमाने में पावरफुल मंत्री चिदंबरम के साथ मिलकर टूजी स्कैम का पैसा अपने चैनल में लगवाया. जांच करने वाले आईआरएस को प्रणव राय और चिदंबरम ने मिलकर पागलखाने भिजवा दिया और ढेर सारे फर्जी मुकदमें लिखवा दिया ताकि मुंह बंद कराया जा सके. पर वह आईआरएस संजय श्रीवास्तव झुके-टूटे नहीं. उनकी फाइलें आज भी कार्रवाई के इंतजार में पीएमओ में पड़ी हैं.
इन्हीं फाइलों के दम पर प्रणव राय और एनडीटीवी को मोदी सरकार बार बार बारगेन कर लेती है. अगर ऐसा नहीं है तो ऐन चुनाव से पहले एनडीटीवी के पेड होने के क्या मायने हैं? कम से कम आर्थिक मजबूरी का हवाला तो नहीं ही दिया जाना चाहिए क्योंकि जितना पैसा प्रणव राय ने कमाया है, उसका एक छोटा सा हिस्सा भी वे बैंक में रखकर लोन ले लें तो उस पैसे से एनडीटीवी दसियों साल चल जाएगा.
लेखक यशवंत सिंह भड़ास के संस्थापक और संपादक हैं. उनसे संपर्क [email protected] के जरिए कर सकते हैं.
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हृदयेश जोशी एनडीटीवी से गए, सुनें रवीश ने फेयरवेल पार्टी में क्या कहा (देखें वीडियो)
https://www.youtube.com/watch?v=jWBKxjk2zEc
Dr. Ashok Kumar Sharma
August 13, 2018 at 4:29 pm
यशवंत जोखिम की पत्रकारिता हिंदी मीडिया को तुम्हारे विश्वविद्यालय में सीखनी चाहिए। तौलते हो तो सत्ता और विपक्ष का लिहाज नहीं करते। उम्मीद है तुम्हारी लड़ाई को भारतीय पत्रकारिता में ऊँचा मान मिलेगा। आयु में अल्पवयस्क होते हुए भी तुम्हें श्रद्धा से प्रणाम।
Binod
August 13, 2018 at 4:34 pm
This channels is already not avilable in free dish… So don’t show fake news
Jitendra Prasad
August 13, 2018 at 5:13 pm
क्या फर्क पड़ता है। बैसे भी NDTV को कौन देखता है? उसकी TRP तो 1% भी नहीँ है।
Heeralal
August 15, 2018 at 7:28 am
Bhai ji NDTV kabhi free tah hi nahi.
Jagriti
August 15, 2018 at 11:20 am
Achi cheeze dikhne ki aadat to waise hi nhi hai is desh ke logo ko
Akash Verma
August 13, 2018 at 6:19 pm
Badiya he na janta ki awaaz hogi na sawaal puccha jayega..
Santosh Kumar
August 13, 2018 at 7:55 pm
Sahi baat hai Bhai, sapa ke raj me to inhi logon ki chalati thi, sapa ke raj me sabse jyada police me Bharti yadav jee logon Ka huaa hai , aap check kr lo
Vijay kumar
August 14, 2018 at 2:50 am
NDTV फ्री बाला डिश पर कभी था ही नही कृप्या जनता को गुमराह न करे
Pankaj C. Joshi
August 14, 2018 at 12:05 pm
Not to be confused with Free-to-view.
Free-to-air (FTA) are television (TV) and radio services broadcast in clear (unencrypted) form, allowing any person with the appropriate receiving equipment to receive the signal and view or listen to the content without requiring a subscription, other ongoing cost or one-off fee (e.g. Pay-per-view). In the traditional sense, this is carried on terrestrial radio signals and received with an antenna.
FTA also refers to channels and broadcasters providing content for which no subscription is expected, even though they may be delivered to the viewer/listener by another carrier for which a subscription is required, e.g. cable, satellite or the Internet. list of free-to-air satellite Hindi-language television channels in this link http://en.satexpat.com/tv/india/hindi/
Manage
EN.SATEXPAT.COM
India (hindi) – List of free-to-air satellite television channels
हरीश जैन
August 15, 2018 at 2:25 am
अभी तो ऐ ,अंगड़ाई हैं ।
आगे और बड़ी लड़ाई हैं ।
कुछ करो —-////”””””””””
प्रजातंत्र के पैर में,एक ऐसा नासूर ।
तंत्र प्रजा से भागती,प्रजा,तंत्र से दूर ।
ASHISH RANJAN
August 15, 2018 at 4:38 am
ऐसे भी एनडीटीवी देखता भी कौन था…लेकिन रवीश जी को हटाना बहुत अच्छी बात है…ये देश हित में अच्छा है… क्योंकि विगत कुछ वर्षों से टेलीविजन पर वो sweet poision का काम कर रहे थे..
Countryface
August 15, 2018 at 4:59 am
Why pay channel ? If Pranav Roy is involved in corrupt practices, he should be behind bars and the channel should be permanently blacked out. When will our country stop using such people for personal benefit and will start taking decisions in favor of the Nation ?
C.P.Singh
August 15, 2018 at 6:56 am
No one wants to listen the truth because truth is a bitter fruits.will better became a gandhiji three monkey as present govt.wants.
Ashish
August 15, 2018 at 11:16 am
All so called reporters are shark of the society.Barkha Dutt was anti Hindu because she got hudge funding from Arabs.Ravish Kumar was getting hudge payment from anti BJP team.You can also suspect Zee of getting fund from BJP. No news channels are just reporting but they are all providing paid news.No political party is interested to make a law that no news channel can broadcast paid news. This should be a criminal offence.Freedom of speech does not mean that you can undermine or abuse directly or indirectly a caste,religion,PM,President, language, culture.But these reporters abuse one community useing tung twisters , if being paid by other community.They are the black mailers of society.They even crush their own fellow people who want to follow a true journalism.
Muskan
August 16, 2018 at 12:02 pm
Sher Sher he’s rahega..kaun usey rok Dakraa he? Ravish Kumar ek Sher he ab hajaro Ravish damned aayenge..
अरुण पांडेय
August 23, 2018 at 7:57 pm
पत्रकारिता के मायने भी अब कहीं खो गये
ज़मीर हम सभी के भी अब जैसे सो गये
एक जमाना था वो कि जीते थे औरों के लिए
एक जमाना ये है कि हम क्या से क्या हो गये
सिद्धांतों के साये में कभी लेखनी की धार थी
हर बुराई से निपटने को कलम ही तो तलवार थी
समाज के थे पहरेदार और सरकार के ख़बरदार
कलम के सिपाही की कभी यहाँ भरमार थी
पार्टियों की ही तरह हम अब बँट गये बाजार में
कलम डोलने लगा अब सिक्के की झनकार में
“हाँ में हाँ” मिलाया तो चढ़ गये शिखर पर हम
हर रास्ते बंद होने लगे हिला जो सर इनकार में…
अरुण पांडेय