रवींद्र श्रीवास्तव-
शिवराज मामा के सूबे में सीधी जिले की टेढ़ी पुलिस की मेहरबानी रही कि इन्हें पूरी तरह नंगा नहीं किया। बताया जा रहा है कि ये पत्रकार हैं और इनका यह हाल पुलिस ने इसलिए किया है क्योंकि इन्होंने विधायक के खिलाफ बोलने जुर्रत की थी।
जुर्म जितना संगीन था, उसके मुकाबले पुलिस ने बहुत रहम किया। अब इन्हें तौबा कर लेनी चाहिए कि आइंदा से ऐसी हिमाकत नहीं करेंगे। लेकिन अगर इनकी रीढ़ इत्तेफाक से सलामत है, और निगाहें झुकाने जैसी कोई करतूत नहीं की है तो इनके लिए तब तक चैन हराम है जब खुद को अधनंगा करने वालों को पूरा नंगा नहीं कर दें।
विधायक हो, पुलिस हो या पत्रकार। ग़लत तो ग़लत ही होता है। मूलतः वह कायर, कमजोर और नपुंसक होता है। सच हो, हौसला हो तो हक़ भी मिलता ही है। अपनी लड़ाई खुद ही लड़नी होती है। कहते हैं नंग बड़े परमेश्वर।
पुलिस ने नंगा कर दिया है, तो अब परमेश्वर बनकर दिखाइए। लड़ेंगे तभी जीतेंगे। हम चाहते हैं कि आप जीतें बशर्ते आप सच्चे हों। थाने में हनक दिखाने वालों की इतनी औकात नहीं होती कि सच से देर तक पंजा लड़ा सकें। रही बात सत्ता प्रतिष्ठान की, तो उससे कोई भी उम्मीद बेमानी है। अलबत्ता, इस करतूत के लिए इन्हें कोर्ट में जरूर घसीटिए।