संजय कुमार सिंह-
गोदी मीडिया का हाल, संक्षेप में… दिल्ली पुलिस ने नुपुर शर्मा के खिलाफ एफआईआर लिख ली – टाइम्स ऑफ इंडिया ने पहले पन्ने पर बताया। कल मैंने आपको बताया था कि एफआईआर नहीं लिखी गई है, सुरक्षा दी गई और मुंबई पुलिस ने पूछताछ के लिए समन भेजा है – जैसी खबरें महत्वपूर्ण होने के बावजूद पहले पन्ने पर लगभग नहीं थीं।
आज, जब कई दिनों बाद आखिरकार नुपुर ही नहीं, जिन्दल के खिलाफ भी एफआईआर लिख ली गई है तो यह खबर टाइम्स ऑफ इंडिया में जितनी प्रमुखता से है उतनी प्रमुखता से किसी और अखबार में नहीं है।
आप जानते हैं कि भाजपा के समर्थक नुपुर शर्मा के खिलाफ कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं और इसे सरकार की कमजोरी मान रहे हैं। ऐसे में इस खबर का पहले पन्ने पर नहीं होना मायने रखता है।
आप जानते हैं कि काम करने वाली मजबूत ‘सरकार’ और उसके कर्ता-धर्ताओं ने सर्जिकल स्ट्राइक किया, घुस कर मारने का दावा किया, आतंकवादी खत्म कर देने का दावा किया और बादलों के पीछे से हमले के फायदे बताए – नुपुर शर्मा के बयान पर 10 दिन कोई कार्रवाई नहीं की और फिर सरकारी पार्टी ने अपने ही अधिकृत प्रवक्ता को फ्रिंज एलीमेंट कह दिया और सरकारी कार्रवाई के बदले भाजपा से निकालने जैसी कार्रवाई करके कह दिया था कि कार्रवाई हो गई। फिर भी समर्थकों को लगा कि भारत कतर जैसे देश के दबाव में आ गया। ऐसी हालत में हर खबर महत्वपूर्ण है और हर खबर की प्रस्तुति में सेवा भावना देखी या दिखाई जा सकती है। देखते रहिए। मस्त रहिए।
गोदी मीडिया की जय जय।
ये है 8 जून की संजय कुमार सिंह जी की पोस्ट-
आज के अखबारो में भक्ति वाले शीर्षक देखिए
सत्तारूढ़ दल के अधिकृत प्रवक्ताओं ने पैगम्बर मोहम्मद के खिलाफ बातें की। लगभग 10 दिन तक कोई कार्रवाई नहीं हुई तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का विरोध शुरू हुआ। भारत सरकार ने कार्रवाई नहीं की और सरकारी पार्टी ने अपने प्रवक्ताओं को फ्रिंज एलीमेंट कह दिया। दुनिया भर में झूठी जानकारी दी कि उनके खिलाफ कार्रवाई की गई है। दूसरी ओर पार्टी के समर्थक इस कार्रवाई का भी विरोध कर रहे हैं। देश और देश की राजनीति से संबंधित इस महत्वपूर्ण घटना को बताने में अखबारों को शर्म आ रही है, डर लग रहा है। पूरी घटना से संबंधित एक रिपोर्ट द टेलीग्राफ में छपी है और बाकी ये शीर्षक हैं। इनसे आप समझ सकते हैं कि यहां खबर क्या होगी। यह सिर्फ बताने के लिए अखबार आपको खबरें देने के नाम पर खबरें छुपा रहे हैं।
1.इंडियन एक्सप्रेस
पैगम्बर पर टिप्पणी को लेकर विवाद (लाल रंग में फ्लैग शीर्षक)
संयुक्त अरब अमीरात और मालदीव इस्लामिक विश्व की आलोचना के साथ हुए; भारत ने ओआईसी, पाकिस्तान पर जवाबी कार्रवाई की
- हिन्दुस्तान टाइम्स
पैगम्बर पर टिप्पणी, और देशों ने निन्दा की
सरकार पश्चिम एशिया के राजनयिक विवाद को नियंत्रित करने के लिए काम कर रही है - द हिन्दू
और भी देशों ने गुस्सा जताया; भारत ने ओआईसी को खींचा
संयुक्त अरब अमीरात, ओमान, इंडोनेशिया, मालदीव, पाकिस्तान ने विरोध दर्ज कराया - टाइम्स ऑफ इंडिया
खाड़ी में बढ़ते कोरस के बीच भारत ने ओआईसी की अनअपेक्षित टिप्पणी की निन्दा की
पाकिस्तान को अल्पसंख्यक अधिकारों को नियमित उल्लंघन करने वाला कहा - जनसत्ता
भाजपा नेताओं के विवादित बयान पर दुनिया भर में तीखी प्रतिक्रिया
सऊदी अरब समेत कई मुस्लिम देशों ने की निनदा - हिन्दुस्तान
विदेश मंत्रालय ने कहा, भारत में सभी धर्मों का सम्मान
ओआईसी को भारत ने दिया सख्त संदेश और इसमें विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता का कोट हाइलाइटेड है, आंतरिक मामलों में किसी का हस्तक्षेप मंजूर नहीं। लेकिन वह सब नहीं है जो सत्तारूढ़ दल के समर्थकों ने नुपुर शर्मा के खिलाफ कार्रवाई के बारे में कहा है। - नवभारत टाइम्स
भारत का जवाब, छोटी सोच वाले दुनिया को गुमराह कर रहे हैं मुख्य शीर्षक है। ओआईसी के बयान पर एतराज, पाक को अल्पसंख्यकों का हक छीनने वाला कहा – उपशीर्षक है। - दैनिक जागरण
ओआईसी व पाकिस्तान को भारत ने फटकारा - नवोदय टाइम्स
भारत ने किया ओआईसी के बयान को खारिज - अमर उजाला
भारत ने इस्लामी देशों के समूह को फटकारा, पाकिस्तान को दिखाया आईना- फ्लैग शीर्षक है
ओआईसी की छोटी सोच, बयान अस्वीकार्य पाकिस्तान को तो अपना ही रिकार्ड खराब – मुख्य शीर्षक है। - द टेलीग्राफ
मुख्य खबर का शीर्षक है, “कुछ भी चौंकाता नहीं है। यह सख्त कार्रवाई चौंकाती है।” यही नहीं, भारत सरकार के यह कहने पर कि भाजपा प्रवक्ता फ्रिंज तत्व है, अखबार ने प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के बयानों की याद दिलाई है। एक खबर में बताया है कि ट्वीटर पर क्या चल रहा है। इसके अनुसार हैशटैग, “#ShameOnBJP” ट्रेंड कर रहा था और कथित कार्रवाई से भाजपा की ट्रोल सेना की उसके खिलाफ हो गई है।
दूसरी ओर, बहुत सारे अखबारों में ये खबरें पहले पन्ने पर हैं ही नहीं।
खेल खबरों और गोदी वाले प्रचारकों का!!
कल की खबरों में खेल यह था कि विदेशी दबाव यह था कि भाजपा प्रवक्ता के खिलाफ कार्रवाई की जाए पर कार्रवाई भाजपा ने की और विरोध करने वालों के समक्ष इस कार्रवाई को ऐसे प्रस्तुत किया गया जैसे भाजपा की कार्रवाई ही सरकारी कार्रवाई है। आज कोई ऐसी खबर नहीं है जो सभी अखबारों में लीड बन सके लेकिन नुपुर शर्मा को दिल्ली पुलिस ने कार्रवाई की बजाय सुरक्षा दी है यह खबर सबसे महत्वपूर्ण है।
और इतना ही महत्वपूर्ण है कि मुंबई पुलिस ने नुपुर शर्मा को 22 जून को पेश होने के लिए समन भेजा है। पुलिस उनकी विवादास्पद टिप्पणी के संबंध में बयान रिकार्ड करना चाहती है। पत्रकारिता के नियमों के अनुसार कार्रवाई तो एंकर और टेलीविजन चैनल पर भी होनी चाहिए लेकिन अभी वह मुद्दा नहीं है। चैनल ने अगर अपने एंकर पर कार्रवाई की होती तो चैनल पर कार्रवाई की जरूरत नहीं थी लेकिन एंकर के खिलाफ कार्रवाई की खबर नहीं है।
पता नहीं यह संयोग है या प्रयोग कि जिस दिन दिल्ली पुलिस ने नुपुर शर्मा को सुरक्षा दी उसी दिन मुंबई पुलिस का समन मिला पर दोनों हुआ एक ही दिन और इसलिए भी यह खबर महत्वपूर्ण है लेकिन द टेलीग्राफ और हिन्दू में ही है। इस एक खबर के अलावा आज के अखबारों की लीड का शीर्षक पढ़कर आप समझ सकते हैं कि अखबारों ने नुपुर शर्मा वाली खबर को महत्व क्यों नहीं दिया है। मैं आज कुछ और शीर्षक बता रहा हूं जो दूसरे अखबारों में होने की संभावना कम है।
उदाहरण के लिए, शाह टाइम्स की लीड है, पैगम्बर साहब पर टिप्पणी के बाद भाजपा बैकफुट पर। इस खबर का उप शीर्षक है, धार्मिक भावनाएं भड़काने वाले नेताओं पर भाजपा ने लगाम कसी। नया इंडिया ने इसी खबर को लीड बनाया है। शीर्षक है, धर्म पर नहीं बोलेंगे भाजपा नेता। उपशीर्षक है, प्रवक्ताओं और नेताओं के लिए नए दिशा-निर्देश जारी, संयमित भाषा का प्रयोग करने की सलाह।