प्रख्यात पत्रकारों और प्रतिष्ठित लेखकों को बदनाम करने का षडयंत्र…
भोपाल। भ्रष्टाचार और व्यापम में बदनाम मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को अपनी तारीफ में अब लेख, आलेख और संपादकीय लिखवाने पड़ रहे हैं। यह आरोप विचार मध्यप्रदेश की कोर कमेटी सदस्य पारस सकलेचा, अक्षय हुंका, विनायक परिहार और आजाद सिंह डबास ने लगाया।
कोर कमेटी ने अपनी विज्ञप्ति में कहा कि मुख्यमंत्री अपनी गिरती साख बचाने के लिए शासकीय धन का निरंतर दुरूपयोग कर रहे हैं। कमेटी ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ने अपने कार्यकाल के 11 वर्ष पूर्ण होने पर शासकीय धन से लेखकों के द्वारा स्वयं को महिमामंडित करने वाले लेख लिखवाये, आलेख तैयार करवाये और संपादकीय लिखवाये और उन्हें समाचार पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित करवाया। यह जानकारी जनसंपर्क विभाग ने वर्ष 2016-17 के वार्षिक प्रतिवेदन में प्रकाशित की है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह द्वारा पेड न्यूज़ की खबरें तो निरंतर सुनी जा रही थी लेकिन अब तो उन्होंने पेड लेख, पेड आलेख और पेड संपादकीय भी शुरू कर दिए हैं। संपादकीय समाचार पत्र की पहचान और आत्मा होती है, वह किसी के कहने से ने तो लिखा जाता है और न छापा जाता है। लेकिन जनसंपर्क विभाग की यह घोषणा सिर्फ निंदनीय ही नहीं बल्कि प्रदेश की पत्रकारिता को बदनाम करने का गहरा षड्यंत्र है।
कोर कमेटी ने कहा कि मुख्यमंत्री को यह पता होना चाहिए कि कोई प्रख्यात पत्रकार किसी के इशारे पर संपादकीय नहीं लिखता और अगर लिखता है तो वह पत्रकार “प्रख्यात” कैसे हो सकता है? कोई प्रतिष्ठित लेखक किसी लोभ से किसी को महिमामंडित करने वाले लेख नहीं लिख सकता, अपनी कलम नहीं बेच सकता और अगर ऐसा करता है तो वह लेखक “प्रतिष्ठित” कैसे हो सकता है?
कोर कमेटी ने मुख्यमंत्री ने मांग की है कि अगर उनकी छवि को महिमामंडित करने के लिए उनके इशारों पर प्रतिष्ठित लेखकों ने लेख लिखे हैं, समाचार पत्रों ने संपादकीय प्रकाशित किये हैं तो उन लेखकों और समाचार पत्रों का नाम बताएं तथा उन्हें कितनी राशि का भुगतान किया गया उसका खुलासा करें।
कोर कमेटी ने कहा कि अगर मुख्यमंत्री ने नाम नहीं बताये तो हम यह मानेंगे कि उन्होंने समाचार पत्रों को एवं प्रतिष्ठित लेखकों को बदनाम करने का घिनोना षड्यंत्र किया है जिसके लिए उन्हें माफ़ी मांगनी चाहिए। विचार मध्यप्रदेश इस बात को लेकर जनसंपर्क विभाग, भोपाल में जाकर आयुक्त के सामने अपना विरोध दर्ज करेगा।