आगरा के पारस अस्पताल को सील करने का आदेश जारी कर दिया गया है. इस अस्पताल के मालिक जैन साहब ने मजा लेने के लिए पांच मिनट तक आक्सीजन की सप्लाई रुकवा दी. इससे 22 मरीज मर गए.
अस्पताल मालिक ने अपनी हरकत को खुद अपने ही मुंह से कुबूल किया है. इस संबंध में एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें अस्पताल मालिक के अलावा कुछ अन्य लोग बैठे हैं और अस्पताल मालिक बोले जा रहा है. इस प्रक्रिया में वह बताता है कि किस तरह उसने आक्सीजन संप्लाई बंद कराकर माकड्रिल किया और इसमें 22 मरीज निपट गए.
इस वीडियो के सामने आने के बाद जब अस्पताल मालिक की थू थू हुई तो प्रशासन नींद से जगा और अस्पताल को सील करने की कार्रवाई शुरू हुई है.
देखें इस प्रकरण पर प्रशासन की तरफ से जारी विज्ञप्ति-
Vibha Singh –
हम उस देश के वासी हैं जिस देश में लोभी,लालची, पापी, हत्यारे बसते हैं। सुनिए पढ़िए इस बातचीत को। क्या इन्हें इंसान होने का हक है ? क्यों न इनका भी सार्वजनिक रूप से मॉकड्रिल करवाया जाए। कितने ही निजी अस्पताल होंगे ऐसे जिनके राजफाश होने चाहिए मगर होगा क्या ?
ये वीडियो भयानक है. मामला आगरा के पारस अस्पताल का है. जहां ऑक्सीजन बंद कर देखा गया कि कितने मरीज मरने वाले हैं? अस्पताल के मालिक का एक वीडियो वायरल हो रहा है. इस वीडियो में डॉक्टर अरिंजय सिंह कुछ ऐसा ही कहते सुनाई दे रहे हैं. मामला उस वक़्त का है जब अप्रैल में ऑक्सीजन की किल्लत थी. डॉ अरिंजय यह बताते हैं कि मरीज़ ज़्यादा थे और ऑक्सीजन कम तो उन्होंने ऑक्सीजन का मैनेजमेंट कैसे किया.
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डॉ अरिंजय: “जो भी पेंडुलम बने रहे कि नहीं जाएंगे,नहीं जाएंगे. मैंने कहा कोई नहीं जा रहा है. दिमाग मत लगाओ छोड़ो. अब वो छांटो जिनकी (ऑक्सीजन) बंद हो सकती है.”
डॉक्टर के सामने बैठा शख्स: “जो बिल्कुल ही डेड लाइन पर हैं. “
डॉ अरिंजय : “एक ट्रायल मार दो. मॉक ड्रिल कर के देख लो कि कौन सा मरेगा,कौन सा नहीं मरेगा ?’
डॉ के सामने बैठा शख्स : “सही बात है,सही बात है.”
डॉ अरिंजय : “मॉक ड्रिल करी. सुबह सात बजे मॉक ड्रिल हुई. किसी को पता नहीं है कि मॉक ड्रिल कराई. सुनकर के सबकी, छंट गए 22 मरीज़. नीले पड़ने लगे. “
डॉ के सामने बैठा शख्स : “22 मरीज़ छंट गए भाई साहब ?”
डॉ अरिंजय:”22 मरीज़ छंट गए कि ये मरेंगे.”
डॉ के सामने बैठा शख्स :”ओह भाई साहब, कितनी देर के लिये मॉक ड्रिल करी ?”
डॉ अरिंजय :”पांच मिनट के लिए. “
डॉ के सामने बैठा शख्स :”पांच मिनट में 22 मरीज़ ?मॉक ड्रिल हुए,हुए.”
डॉ अरिंजय : “नीले पड़ने लगे, 74 बचे, इन्हें टाइम मिल जाएगा.”
डॉ के सामने बैठ शख्स : ” सही बात है. “
डॉ अरिंजय : “फिर 74 से कहा कि अपना सिलेंडर लाओ.”
ये क्रूरतम अपराध है. हालांकि मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं. राजनीति से इतर सवाल यही कि हमारी संवेदनाएं कितनी मर चुकी हैं.