उत्तर प्रदेश में पत्रकारों के दिन अच्छे नहीं चल रहे हैं. खबर यूपी के शामली जिले से है. यहां कांधला बिजली घर के सामने पत्रकार मोनू सैनी का मकान है. पत्रकार का कहना है कि बिजली विभाग के कर्मचारी ड्यूटी के दौरान शराब पीकर हंगामा मचाते हैं.
उस दिन भी कुछ ऐसा ही हुआ. मामला 24 जुलाई रात्रि 9:00 बजे का है जब पत्रकार ने बिजली विभाग कर्मचारी का विरोध किया तो बिजली घर पर ड्यूटी पर तैनात बिजली विभाग के कर्मचारियों ने पत्रकार के साथ गाली गलौज करते हुए मारपीट शुरू कर दी.
पत्रकार के ऊपर पिस्टल तान दिया गया. जब पत्रकार अपनी जान बचाकर वहां से निकला और तुरंत इस घटनाक्रम की जानकारी पुलिस को दी तो आधा घंटे तक पुलिस आई ही नहीं. कांधला पुलिस जब मौके पर नहीं पहुंची तो पत्रकार ने जिले के पुलिस अधीक्षक को फोन पर जानकारी दी. उनको पूरा घटनाक्रम बताया. उसके बाद पुलिस वाले घटनास्थल पर पहुंचे और ड्यूटी पर तैनात कर्मचारी को उठाकर पुलिस थाना ले गई.
जानकारी के अनुसार वहां पर उनका मेडिकल कराया गया. उसके कुछ समय बाद ही बिजली विभाग के कर्मचारी को छोड़ दिया गया. इसके बाद पुलिस वाले पत्रकार के घर जा पहुंचे और पत्रकार के छोटे भाई को घर से उठाकर मारपीट करते हुए थाने ले गए. फिर उसे थाने ले जाकर पीटा गया.
पत्रकार के भाई का शांति भंग में चालान कर जेल भेज दिया गया.
पत्रकार ने थाने में रिपोर्ट दर्ज करने के लिए अप्लीकेशन दी थी जिस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई और न ही रिपोर्ट दर्ज की गई. उल्टे शिकायतकर्ता के परिजन को पकड़ कर पीटा गया और जेल भेज दिया गया.
यही नहीं, उसी रात में पत्रकार व उसके भाई पर बिजली विभाग के कर्मचारी द्वारा मुकदमा दर्ज करा दिया गया। इस बात की सूचना पत्रकार को भी नहीं हुई. जब इस मामले के 25 दिन बाद पत्रकार को पता चला और पुलिस ने घर पर दबिश दी तो पत्रकार ने थाने पहुंचकर मामले की जानकारी ली. फिलहाल थाने से जमानत मिल गई है. पर सवाल ये है कि जो पीड़ित है, जो शिकायतकर्ता है, उसी को पुलिस क्यों परेशान कर रही है?