सौमित्र रॉय-
यूपी में बांदा के पत्रकार मित्र Ashish Sagar जिले में खनन माफ़िया से लगातार लड़ रहे हैं।
पिछले कुछ सालों में जब पुलिस प्रशासन और माफ़िया की गुंडई से डरकर बड़े तुर्रमखां मैदान छोड़ गए तो आशीष और मजबूती से डटे हैं।
आशीष के हौसले को झुकाने के लिए अब प्रशासन ने उन पर हिस्ट्रीशीटर का फ़र्ज़ी तमगा जड़ दिया है, क्योंकि उन्होंने जिले की अमलोर मुरम खदान में अवैध खनन की शिकायत की थी।
खदान जिले के बीजेपी के कद्दावर नेता रामकांत त्यागी के बेटे विपुल त्यागी की है और बसपा का स्थानीय नेता जयराम सिंह इसमें हिस्सेदार है।
यानी मोदीजी के न्यू इंडिया में शिकायत करने वाला हिस्ट्रीशीटर और सांसद, मंत्री बना हुआ गुंडा, बलात्कारी और हत्यारा संत कहलाता है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी इसके करीबी उदाहरण हैं।
कमोवेश यह हाल बीजेपी शासित पूरे यूपी में है, क्योंकि लोगों ने एक नाकाबिल व्यक्ति पर तमाम संगीन आरोपों को खारिज़ कर उसे सीएम बना दिया।
आज उसी सीएम की कुर्सी दांव पर है। लेकिन मित्र आशीष की ज़िंदगी भी दांव पर है।
खनन माफ़िया की प्रशासन से मिलीभगत लूट और आतंक के राज को बयां करती है, जिसकी अगुवाई बीजेपी का बाहुबली नेता कर रहा है।
बांदा के मेरे मित्र कृपया आशीष का इस लड़ाई में साथ दें और यूपी के सभी पत्रकार बंधु इस मुद्दे को सरकार तक पहुंचाएं।
रवीश शुक्ला-
मैं बार बार आशीष को समझाता हूं कि ताकतवर खनन माफिया, भ्रष्ट नेता और पुलिस-प्रशासन के खतरनाक गठजोड़ के खिलाफ क्यों इतनी मुस्तैदी से लड़ते हो? इनकी जड़ें सत्ता और उससे उपजी व्यवस्था में इतनी गहरे तक हैं कि तुम खोदते खोदते थक जाओगे और ये बिना कुछ करे ही तुरंत तुम्हारी गर्दन पकड़ लेंगे। लेकिन क्या करें ?
हर शख्श के खून में चापलूसी, मक्कारी और डर जाने का DNA नहीं होता है। मुझे अलग अलग जगहों पर कई बार और कई सौ ऐसे लोग मिले हैं जिनके पास संसाधन नहीं है ताकत नहीं है लेकिन बस व्यवस्था को कुछ हद तक बेहतर और जवाबदेह बनाने की एक जिद है। और वो उसी जिद के साथ जिद्दी बनकर खुश कम और परेशान ज्यादा है। लेकिन फिर भी सुविधाभोगी जिंदगी नहीं चाहते हैं।
आप उन्हें बेवकूफ, पागल जैसा कुछ बोल सकते या समझ सकते हैं। मैं आज भी ऐसे लोगों को नहीं समझ पाया।
लेकिन फिर ऐसे लोग जीतने के लिए नहीं लड़ते है वो इस भ्रष्टतंत्र के खिलाफ इसलिए लड़ते हैं ताकि आने वाली पीढ़ी कह सके कि कोई था जो लड़ रहा था…