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प्रभात हिन्दी दैनिक के लखनऊ संस्करण ने सातवें वर्ष में रखा कदम

: बदलते दौर में खबर लिखने का अंदाज भी बदलना चाहिए : लखनऊ : प्रभात तीन पीढ़ियों का अखबार है। ये पूंजीपतियों का अखबार नहीं है। पैसा कमाना अखबार का उद्देश्य नहीं है। समाज को नयी दिशा दिखाना व जागरूकता फैलाना ही उद्देश्य है। सुभारती मीडिया लिमिटेड के गौरवशाली प्रकाशन हिन्दी दैनिक प्रभात के लखनऊ संस्करण की छठी वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को स्थानीय संपादक पारस अमरोही ने यह बातें कहीं। उन्होंने कहा कि, पिछले एक वर्ष में अखबार का कलेवर और तेवर बदलने में पूरी टीम प्रयासरत है। जिसके सकारात्मक परिणाम धीरे-धीरे दिखने लगे हैं। सीमित साधनों व संसाधनों में धारदार व असरदार अखबार निकालना बड़ी चुनौती है। पर, छोटे-छोटे कदमों से चलकर ही लंबी दूरी तय करने का जज्बा पैदा करना होगा। संख्याबल से ज्यादा जज्बे की जरूरत है। परेशानियां आना स्वाभाविक है, पर सबसे खराब औजार से गड़बड़ी दूर करना ही हुनरमंदी है।

<p>: <span style="font-size: 14pt;">बदलते दौर में खबर लिखने का अंदाज भी बदलना चाहिए</span> : लखनऊ : प्रभात तीन पीढ़ियों का अखबार है। ये पूंजीपतियों का अखबार नहीं है। पैसा कमाना अखबार का उद्देश्य नहीं है। समाज को नयी दिशा दिखाना व जागरूकता फैलाना ही उद्देश्य है। सुभारती मीडिया लिमिटेड के गौरवशाली प्रकाशन हिन्दी दैनिक प्रभात के लखनऊ संस्करण की छठी वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को स्थानीय संपादक पारस अमरोही ने यह बातें कहीं। उन्होंने कहा कि, पिछले एक वर्ष में अखबार का कलेवर और तेवर बदलने में पूरी टीम प्रयासरत है। जिसके सकारात्मक परिणाम धीरे-धीरे दिखने लगे हैं। सीमित साधनों व संसाधनों में धारदार व असरदार अखबार निकालना बड़ी चुनौती है। पर, छोटे-छोटे कदमों से चलकर ही लंबी दूरी तय करने का जज्बा पैदा करना होगा। संख्याबल से ज्यादा जज्बे की जरूरत है। परेशानियां आना स्वाभाविक है, पर सबसे खराब औजार से गड़बड़ी दूर करना ही हुनरमंदी है।</p>

: बदलते दौर में खबर लिखने का अंदाज भी बदलना चाहिए : लखनऊ : प्रभात तीन पीढ़ियों का अखबार है। ये पूंजीपतियों का अखबार नहीं है। पैसा कमाना अखबार का उद्देश्य नहीं है। समाज को नयी दिशा दिखाना व जागरूकता फैलाना ही उद्देश्य है। सुभारती मीडिया लिमिटेड के गौरवशाली प्रकाशन हिन्दी दैनिक प्रभात के लखनऊ संस्करण की छठी वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को स्थानीय संपादक पारस अमरोही ने यह बातें कहीं। उन्होंने कहा कि, पिछले एक वर्ष में अखबार का कलेवर और तेवर बदलने में पूरी टीम प्रयासरत है। जिसके सकारात्मक परिणाम धीरे-धीरे दिखने लगे हैं। सीमित साधनों व संसाधनों में धारदार व असरदार अखबार निकालना बड़ी चुनौती है। पर, छोटे-छोटे कदमों से चलकर ही लंबी दूरी तय करने का जज्बा पैदा करना होगा। संख्याबल से ज्यादा जज्बे की जरूरत है। परेशानियां आना स्वाभाविक है, पर सबसे खराब औजार से गड़बड़ी दूर करना ही हुनरमंदी है।

श्री अमरोही ने कहा कि, पिछले दो-तीन दशकों में हमारे खाने-पीने का, कपड़े पहनने, बोलचाल का अंदाज बदला है। बदलते दौर में खबर लिखने का अंदाज भी बदलना चाहिए। समाचारों को भी आधुनिक तरीके से लिखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि, ऐसी खबरें लिखनी चाहिए जो पाठकों को लुभाएं और समाज को दिशा दिखाएं। वहीं शब्द संपदा बढ़ाने और भाषा में नयापन लाने में उर्दू का ज्ञान मददगार साबित हो सकता है। जिला संवाददाताओं को प्रशिक्षण देने की जरूरत पर भी उन्होंने जोर दिया। 

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गोष्ठी में समाचार संपादक प्रमोद सिंह ने कहा कि, सातवंे वर्ष में प्रवेश के वक्त हमें संकल्प लेना होगा कि हम नयी ऊर्जा, विश्वास, परस्पर सहयोग के साथ आगे बढ़ेंगे। उन्होंने रूटीन खबरों की व्यापक कवरेज, जिला संवाददाताओं की खबरों को धारदार बनाने, कटेंट व हैडिंग को असरदार बनाने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि, सपने पूरे करने के लिए दृढ संकल्प की जरूरत होती है। और जब सब साथी अपनी क्षमता व मेहनत से काम करेंगे तो सपने भी पूरे होंगे। ब्यूरो चीफ राकेश मिश्र ने अपने उदबोधन में छह वर्षों की यात्रा पर रोशनी डाली। उन्होंने कहा कि, पिछले एक वर्ष में अखबार का कलेवर और तेवर में बदलाव आया है। टीम वर्क के सहारे हमें भविष्य में गुणवत्ता को मद्देनजर रखते हुये कंटेट पर काम करना है। राकेश ने कहा कि पृष्ठों की संख्या बढ़ाकर स्थानीय व प्रादेशिक समाचारों की मांग को पूरा किया जा सकता है।  कार्यक्रम में अखिलेश पाण्डेय, विशेष संवाददाता आशीष वशिष्ठ, संवाददाता विनीत राय, हेमंत सिंह व शिव बचन मौर्य, सब एडीटर विष्णुमाया व दीना नाथ वर्मा, वरिष्ठ फोटोग्राफर सुशील सहाय ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम में प्रसार प्रबंधक संतोष सिंह, विज्ञापन प्रबंधक सूर्य प्रताप सिंह, सब एडीटर कमल पाण्डेय व मार्कण्डेय सिंह, शिखा शुक्ला, कामना सिंह, साहिबा, कमल पाण्डेय, इन्द्रजीत सिंह, प्रेम सागर व संस्थान के अन्य कर्मचारी उपस्थित थे।

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