Yashwant Singh-
प्रदीप कुमार जी मेरे संपादक रहे हैं, अमर उजाला कानपुर में. वे टाइम्स आफ इंडिया समूह में लंबे समय तक काम कर चुके हैं. भास्कर ग्रुप में भी संपादक रहे. दैनिक जागरण के भी हिस्से रहे. प्रदीप कुमार जी को बेहद तेजतर्रार और पढ़े-लिखे पत्रकारों में शुमार किया जाता है. उन्होंने अपने दौर में अमर उजाला कानपुर के कर्मियों में पढ़ने जानने सीखने बदलने प्रयोग करने को लेकर जोश भरा था. इसका नतीजा हुआ कि बहुत से लोगों ने अपने रुटीन को ब्रेक किया और दिल दिमाग को उदात्त कर नई लीक पर चलने को प्रेरित हुए. इसका फायदा भी सबको मिला. आज प्रदीप जी के सानिध्य में काम कर चुके ढेर सारे लोग संपादक हैं.
प्रदीप कुमार जी आज भी लिखने पढ़ने के काम में जुटे रहते हैं. परसों अमर उजाला में उनका एक लंबा चौड़ा लेख आया है, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के सौ साल पूरे होने पर. ये लेख पढ़ लीजिए. चीन में कम्युनिज्म को लेकर आपकी दृष्टि साफ हो जाएगी. आपके पास एक विजन होगा.
ये सब तो परिचय था प्रदीप कुमार जी के बारे में उन नए लोगों को बताने के लिए जो उन्हें जानते नहीं हैं. प्रदीप कुमार जी लो प्रोफाइल आदमी हैं. वे निजी चर्चा और निजी मार्केटिंग-ब्रांडिंग से बहुत बचते हैं.
महीने भर पहले उन्हें फोन लगाया था. कोरोना काल में उनका हालचाल लेने के लिए. उनने फोन नहीं उठाया. दुबारा फोन भी नहीं आया. मैं भी भूल गया और अपने काम में लगा रहा. कल अचानक उनकी फिर याद आई. मैंने काल किया. फिर फोन न उठा. शाम को सब्जी मंडी से लौटा तो देखा मोबाइल पर प्रदीप सर की मिसकाल है. उन्हें पलटकर फोन किया. देर तक बात हुई.
पता चला कि प्रदीप सर और उनकी पत्नी लंबे वक्त तक कोरोना से जूझते रहे. अब वे लोग ठीक हैं. पत्नी स्नेहलता श्रीवास्तव जी की हालत ज्यादा खराब हो गई थी. जब सब तरफ आक्सीजन, आईसीयू आदि के लिए हाहाकार था, उन्हीं दिनों में स्नेहलता श्रीवास्तव जी को कई लोगों के प्रयास के चलते एक आईसीयू बेड गायत्री हास्पिटल में मिल पाया. करीब पंद्रह दिन वे वहां रहीं. अब ठीक हैं.
प्रदीप कुमार जी भी कोरोना से संक्रमित थे. उन्होंने इलाज अपने घर पर ही रहकर किया. लखनऊ और दिल्ली के कई डाक्टर मित्रों के निर्देशन में वे दवाएं लेते खाते रहे. वे भी अब ठीक हैं लेकिन कमजोरी बहुत है. पांच मिनट तक बात करने के बाद उन्हें कमजोरी फील होने लगती है.
प्रदीप कुमार जी और स्नेहलता श्रीवास्तव जी के पूरी तरह स्वस्थ होने की कामना करते हैं हम लोग.