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जियो रे एडिटर्स ‘गिल्ट’! Presstitute, News Trader, बाजारू, बिकाऊ कहे जाने पर चुप्पी, Pliable पर उबाल!

Samar Anarya : मोदी ने मीडिया को बाज़ारू कहा, मंत्री वीके सिंह ने प्रेस्टीट्यूट। एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया सोता रहा. फिर राहुल गाँधी ने एक पत्रकार को प्लाइअबल (कोमल /दब्बू /आसानी से वश में आ जाने वाला /पुटुक /लचीला /आज्ञाकारी) कहा- एडिटर्स गिल्ट ऑफ इंडिया मीडिया पर हमलों को लेकर बहुत चिंतित हो गया! जियो रे एडिटर्स गिल्ट! Modi called Media Bazaru, his minister V K Singh presstitute. Editors Guild of India slept on. Then Rahul Gandhi called one journalist Pliable. Editors GUILT of India got really concerned! Well done, Editors GUILT!

Amitaabh Srivastava : जब आपने Presstitute, News Trader, बाजारू, बिकाऊ, दलाल जैसी अपमानजनक उपाधियों को badge of honour की तरह स्वीकार कर लिया था तो Pliable पर ही सारा स्वाभिमान क्या इसलिए नहीं उबल पड़ा है कि इस बार ताना विपक्ष के नेता ने मारा है? वह भी उन राहुल गांधी ने जो कल तक मीडिया में चुटकुलों और चकल्लस का विषय होते थे! यह सही है कि राहुल गांधी को अपनी सुधरती हुई छवि के बीच इस तरह की अभिव्यक्तियों से यथासंभव परहेज़ करना चाहिए लेकिन उनको यह कहने का मौका मिला क्यों, इस सवाल पर भी ईमानदारी से मीडिया मंचों पर चर्चा होनी चाहिए।

कांग्रेस और राहुल गांधी की भर्त्सना ज़रूर करिये लेकिन मीडिया को फिलहाल अपने गिरेबान में भी झांक कर देखने की सख्त ज़रूरत है। हाल-फिलहाल में बीजेपी, केंद्र सरकार और राज्यों की बीजेपी सरकारों की चरण वंदना ने पिछले सभी रिकॉर्ड तोड दिए हैं। Pliability is bitter truth of media in India today . बीजेपी का नेता बीजेपी परस्त पत्रकार को, बीजेपी कवर करने वाले पत्रकार को और/या ऐसे पत्रकार को इंटरव्यू देना पसंद करता है जिसके साथ वह comfortable महसूस करता है। यही हाल कांग्रेस और बाकी तमाम छोटी-बड़ी पार्टियों का है। किसी को अब तीखे सवाल पूछने वाले पत्रकार पसंद नहीं हैं।

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पत्रकार और मीडिया संस्थान भी नेताओं के साथ अपने संबंध बिगाड़ना नहीं चाहते। राजनीतिक इंटरव्यू भी अब चालू/चलताऊ किस्म की फिल्मी पत्रकारिता की तरह ज़्यादातर पीआर का हिस्सा हैं, इस सच से इन्कार नहीं किया जा सकता। नेताओं को मीडिया चाहिए, मीडिया को नेता। और अब इस रिश्ते में मिठास, नरमी, दोस्ती, pliability वगैरह खबरों के पुराने तौर-तरीकों से आगे जाकर बड़े-बड़े मीडिया समारोहों और इवेंट्स में नेताओं की भीड़ जुटाने के लिए ज़रूरी बन गई है। अफसोस की बात यह है कि कुछ नामी-गिरामी लोगों की वजह पूरे मीडिया का दामन दाग़दार हो चुका है और आम लोगों की नज़रों में अब पत्रकारों के लिए पहले जैसा सम्मान नहीं रहा है। यह गंभीर समस्या है और इस पर खुल कर बेबाकी से बात होनी चाहिए।

Sanjaya Kumar Singh : Editorsguild माने Me too पर सुस्त, Pliable पर चुस्त… एडिटर्स गिल्ड को मीटू और एमजे अकबर के खिलाफ कार्रवाई में कितना समय लगा था याद है ना? Pliable पर फुर्ती देख ही रहे हैं। प्रेस कांफ्रेंस कइसे होई?”

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वैसे, ‘Pliable’ गाली नहीं योग्यता है। वरना पत्रकारिता और इंटरव्यू तो बहुत लोग करते हैं – मुखिया और निगम पार्षद भी नहीं पूछता।

एडिटर्स गिल्ड क्या एएनआई को दूरदर्शन के लिए कंटेंट मुहैया कराने के विशाल ठेके देने पर कुछ बोलेगा? कश्मीर से उत्तर पूर्व तक गृहमंत्रालय के जरिए। सुबह और शाम ‘Pliable’ को काम ही काम – क्यों नहीं लेता एडिटर्स गिल्ड ठेकों और ठेकेदारों का नाम।

एडिटर्स गिल्ड नाम है तो चिन्ता एडिटर की ही करेगा। और प्रधानमंत्री जिसे इंटरव्यू देगा वही तो एडिटर होगा। उसे विपक्ष का नेता ‘Pliable’ कहे यह भी गलत हो सकता है। अंग्रेजी के इस शब्द के निम्नलिखित मायने हैं। अगर इनमें से किसी एक या सबों को एक पत्रकार / संपादक / मालकिन के लिए आपत्तिजनक भी मान लिया जाए तो प्रधानमंत्री से ये कौन पूछेगा कि वे इंटरव्यू के लिए संपादक का चुनाव किस गुण के आधार पर करते हैं।

ये काम एडिटर्स गिल्ड ही कर दे। हम जैसे पाठकों के लिए। या एडिटर्स गिल्ड के रहते असंभव है?

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नमनशील, आज्ञाकारी – फादर कामिल बुल्के
अनुकूलनशील प्रभाव्य – अरविन्द लेक्सिकन
उपरोक्त के अलावा दब्बू – चैम्बर्स
लचकदार, नरम – हरदेव बाहरी
बिना टूटे आसानी से मोड़ने योग्य – कैम्ब्रिज इंटरनेशनल

Samarendra Singh : ज्यादातर सरकारों की विज्ञापन नीति में 3 बातें होती हैं: 1) शर्तें पूरी होने और सूचीबद्ध होने पर भी विज्ञापन मिले ये जरूरी नहीं; 2) शर्तें पूरी नहीं होने और सूचीबद्ध नहीं होने पर भी विज्ञापन मिल सकता है… और… 3) सरकार ये देखेगी कि मीडिया संस्थान का काम राज्यहित में है या नहीं। सत्ता में बैठी हर पार्टी मीडिया को अपने हिसाब से इस्तेमाल/ब्लैकमेल करती है। प्रलोभन देती है। डराती है। Indian National Congress ने यही किया। अब BJP4India यही कर रही है। स्वतंत्र पत्रकार/मीडिया को बर्दाश्त करने की हिम्मत और समझ किसी में नहीं। #Pliable #presstitute

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सौजन्य : फेसबुक

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